कब और कितने बच्चे चाहिए यह निर्णय लेने का महिला को है अधिकार



  • अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित  

जरवल (बहराइच) । अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में वृहस्पतिवार को जरवल ब्लॉक के 10 ग्राम पंचायतों में स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के साथ “प्रजनन स्वास्थ्य महिलाओं का मूल अधिकार” विषयक कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम जरवल ब्लॉक में मोबियस फाउंडेशन की सहायता से पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा चलाये जा रहे उम्मीद परियोजना के अंतर्गत आयोजित किये गए।  

राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अनुसार जिले की 37.5 फीसदी से अधिक लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले यानि बाल विवाह के रूप में हो रही है। इसका प्रभाव समाज में शारीरिक,मानसिक,आर्थिक और जनसंख्या वृद्धि के रूप में पड़ता है। इसको देखते हुए जिलाधिकारी मोनिका रानी द्वारा इस विषय पर निर्मित पोस्टर को लांच कर एवं सभी विभागों के अधिकारियों द्वारा शपथ एवं हस्ताक्षर करके किया गया। इस अभियान में मीडिया अभिमुखीकरण, शपथ, हस्ताक्षर अभियान, गांवों में दीवार लेखन, सामुदायिक बैठकें, स्वास्थ्य मेला तथा पंचायती राज सदस्यों के साथ संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करके इस कुप्रथा को समाप्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस प्रयास में स्वास्थ्य विभाग, उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, आई.सी.डी.एस.,पंचायती राज तथा शिक्षा विभाग की प्रमुख भूमिका रही है।  

कार्यक्रम में मोबियस फाउंडेशन के श्रवण कुमार ने बताया कि प्रजनन स्वास्थ्य किसी महिला का भारतीय संविधान द्वारा दिया गया वह अधिकार है जिसमें समानता एवं शिक्षा का अधिकार,सही उम्र में विवाह का अधिकार, परिवार नियोजन अपनाने का अधिकार, महिला को बच्चा कब और कितना चाहिए यह निर्णय लेने का अधिकार, सुरक्षित गर्भसमापन का अधिकार तथा हिंसा मुक्त एवं पोषणयुक्त खुशहाल के साथ जीवन जीने का अधिकार शामिल है।

मोबियस फाउंडेशन के प्रभात कुमार ने कहा कि पुरुष नसबंदी बहुत आसान है, फिर भी महिला नसबंदी सबसे ज्यादा होती है, इसलिए पुरुषों को भी आगे आकर पुरुष नसबंदी अपनाना चाहिए। कार्यक्रम में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ अनुराग ने स्वयं का उदाहरण देते हुए बताया कि उनके पास एक लड़की है, और इसका उन्हें गर्व है। खुशबू सिंह ने बताया कि उन्होंने दो लड़कियों के बाद ही नसबंदी करा लिया, इसके लिए कार्यक्रम में उन्हें पुरस्कृत भी किया गया।  

उत्तर प्रदेश राज्य आजीविका मिशन से शैलेन्द्र यादव सिंह, मिशन मैनेजर ने कहा कि महिलाओं के अधिकार और उन्हें मजबूत बनाने के लिए ही मिशन कार्यरत है और समूह को विभिन्न योजनाओं से जोड़कर उन्हें आजीविका प्रदान करने के पथ पर अग्रसर है।

कार्यक्रम के अंतर्गत महिला अधिकार की विस्तार से जानकारी दी गयी जिस पर महिलाओं द्वारा संयुक्त रूप से शपथ एवं प्रतिबद्धता जताई गयी कि उनके द्वारा बाल विवाह के विरुद्ध आवाज उठाई जाएगी और उसे रोकने का पूरा प्रयास किया जायेगा। लड़के की चाह में परिवार नहीं बढ़ाया जायेगा, लड़कियों को भी पढ़ाई का पूरा अवसर दिया जायेगा और परिवार नियोजन की जानकारी और सेवायें प्राप्त की जाएंगी। इसके साथ ही आशा एवं ए.एन.एम. द्वारा भी आपातकालीन गोली की जानकारी देना, महिलाओं का फॉलोअप नियमित रूप से करना और परिवार नियोजन सामग्री की उपलब्धता के सन्दर्भ में सहमति दी गयी, इसके लिए उम्मीद परियोजना भी प्रयासरत है।

इसी प्रयास के अंतर्गत उम्मीद परियोजना एवं उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में 10 ग्राम पंचायतों क्रमशः बंभौरा ,सपसा, महुरीकला, बिराहिमपुर, हरवां टांड, खनेटा,रुदाइन,भौली,सखौता एवं ,करनई में 1500 से ज्यादा महिलाओं के साथ कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका विषय  “प्रजनन स्वास्थ्य महिलाओं का मूल अधिकार ” था।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से संजय राव, अंजू लता-सुपरवाईजर, इदरीसी-जिला संगठन आयुक्त भारत स्काउट और गाइड,पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इण्डिया से अभिषेक पाठक, बलबीर सिंह, राजीव, बिंदु एवं अवधेश की उपस्थिति रही। प्रधान-पूनम राव, चंदकला, कली, इमरान खान, फक्ररुद्दीन, मो.इमरान, मो.उमर आशा, ए.एन.एम.,अध्यापक, समूह सखी, चैंपियन दीपिका त्रिपाठी आदि की उपस्थिति रही।