जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता में शामिल हो टीबी का मुद्दा



लखनऊ - अभी स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर जन प्रतिनिधि घर-घर जा रहे हैं। इस दौरान जहां वह इलाके के विकास की बात कर रहे हैं वहीं बहुत से लोग स्वास्थ्य के मुद्दे पर भी उनकी राय जानना  चाहते हैं। कई जागरूक नागरिकों ने अपने क्षेत्रीय प्रत्याशियों से सवाल किया है कि यदि आप पार्षद चुनाव में जीत जाते हैं तो प्रधानमंत्री के  वर्ष 2025 तक के टीबी खत्म करने के संकल्प को साकार करने में किस तरह सहयोग करेंगे।

डॉट प्रोवाइडर चन्दा बताती हैं कि बहुत से टीबी रोगी ऐसे तबके से हैं जिनके लिए टीबी के  इलाज के साथ पौष्टिक भोजन का सेवन कर पाना कठिन है जबकि टीबी के इलाज में पौष्टिक भोजन की अहम भूमिका है। जनप्रतिनिधियों को पहल करते हुए टीबी रोगियों को गोद लेकर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना चाहिए। इसके अलावा समाज के अन्य लोगों को भी टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

 

टीबी  चैम्पियन सुनीता तिवारी बताती हैं कि टीबी को लेकर जो भ्रांतियाँ हैं उनके कारण टीबी के मरीज छिपकर इलाज कराते हैं। जनप्रतिनिधियों से मेरी अपेक्षा कि वह क्षेत्र की जनता से टीबी के मुद्दे पर भी खुलकर बात करे और लोगों की शंका दूर करने में मदद करें ताकि हम ज्यादा से  ज्यादा रोगियों को सेवा दे सकें ।

 

राजेन्द्र नगर स्थित टीबी अस्पताल के निकट रहने वाले शरद मल्होत्रा बताते हैं कि मैं अक्सर देखता हूँ कि व्यक्ति को टीबी के सही इलाज और केंद्र का पता ही नहीं होता है । यहाँ पर जो भी आता है वह कई जगह चक्कर लगा  कर आता है । ऐसे में मुझे लगता है कि जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र में  उपलब्ध सार्वजनिक संसाधनों के प्रचार प्रसार पर भी काम करना चाहिए जिससे आम जनता इन संसाधनों का उपयुक्त इस्तेमाल कर सके ।

 

पेशे से वकील श्वेतांक शुक्ला का कहना है सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर लोग पान या गुटखा खाकर थूकते हैं। इससे गंदगी तो होती है साथ में कई संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा होता है, जैसे कोविड और टीबी। इसलिए जनप्रतिनिधियों को शहर की साफ सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए और इस पर ठोस कदम उठाने चाहिए।

 

जनपद में वर्तमान में कुल 11,382 टीबी मरीज हैं। इसमें 10,505 वयस्क व 877 बच्चे हैं। कुल 298 निक्षय मित्र 10,423 टीबी के रोगियों को गोद लेकर उन्हें पोषणात्मक और भावनात्मक सहयोग दे रहे हैं।