उद्यमिता के विकास में विज्ञान एवं तकनीकी की भूमिका अहम



लखनऊ - आजादी के अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई), नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंडिया एवं बायोटेक कॉन्सर्टियम  के संयुक्त तत्वावधान में  “विज्ञान एवं तकनीकी द्वारा उद्यमिता विकास” पर बुधवार को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-एनबीआरआई सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया |

एनबीआरआई एवं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजीकल रिसर्च (आईआईटीआर) के निदेशक डा. एस.के.बारिक ने कहा कि सीएसआरआई की प्रयोगशालाओं में जो शोध सम्पन्न किये जाते हैं | उनके उद्यमिता विकास के लिए डिपार्टमेंट ऑफ साइंटिफिक  एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (डीएसआईआर) के माध्यम से कार्यक्रम सतत चलता रहता है | इस कड़ी में नवाचारों की श्रृंखला में नवीन शोधार्थियों को स्टार्ट अप प्रारंभ करने के लिए प्रेरित किया जाता है |

सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) के पूर्व निदेशक डॉ. वी.पी.कंबोज ने कहा कि यह सत्य है कि कोरोना महामारी के कारण कितने लोगों ने अपने परिजनों को खोया है वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिकों के अथक प्रयास एवं उद्यमियों के के अग्रणी पंक्ति में खड़े रहने के कारण वैक्सीन का विकास करके कोरोना महामारी को रोकने में इसने अवरोधक का काम किया है | मार्च 2020 की तुलना करते हुए यदि एक विहंगम दृष्टि डालें तो फेस मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटर का भी उत्पादन उस समय वृहद स्तर पर प्रारंभ हुआ | यद्यपि इसमें आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेन्स एवं बायोइंफर्मेटिक्स की महती भूमिका रही है | इसी क्रम में नेजल वैक्सीन की अनुमति आपातकालीन प्रयोग के लिए   दी गई है | यह वैज्ञानिकों की विचारधारा है कि नेजल वैक्सीन कोरोना के नियंत्रण में मील का पत्थर साबित होगी |

बायोटेक्नॉलॉजी भारत सरकार, नासी  की पूर्व अध्यक्ष  प्रो. मंजु शर्मा  ने कहा कि विज्ञान ज्ञान का भंडार है परंतु यह ज्ञान मनुष्य के उत्थान में किस प्रकार उपयोग में लाया जा सकता है यही उद्यमिता विकास का प्रारंभ बिंदु है |

आईआईटी दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. वी.रामगोपाल राव ने कहा कि ज्ञान को उद्यमिता में बदलते हुए संपत्ति का निर्माण किया जा सकता है | उन्होंने पेटेंट कराने पर विशेष बल दिया | नासी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. अजय घटक ने स्टार्ट अप के बिंदुओं में नवाचार, विचार, उद्देश्य, व्यावसायिक योजना,धनराशि, टीमवर्क एवं स्केलविल्टी बिंदुओं को समझाया | प्रो. अजय ने बताया कि हमे एरोगेन्ट नहीं होना चाहिए | इसमें सत्यनिष्ठा अति महत्वपूर्ण है | | सफलता का अंत नहीं है और असफलता घातक  नहीं है इसलिए हमेशा साहस से काम करें | नासी के सहायक सचिव डा. संतोष शुक्ला ने कार्यक्रम में आये लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया |

कार्यक्रम में वैज्ञानिकों द्वारा विभिन विषयों पर व्याख्यान दिए गये | इस अवसर पर नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी (नेहु)-शिलांग के पूर्व कुलपति तथा बायोटेक पार्क के पूर्व सीईओ तथा नासी लखनऊ चैप्टर के  प्रमुख पद्मश्री डा. प्रमोद टंडन, सीमैप के निदेशक डा. प्रबोध त्रिवेदी , डॉ. वीणा टंडन, डॉ. पीके सेठ, डा. परमजीत खुराना, डा.आर त्रिपाठी, चिकित्सा स्वास्थ्य एवम परिवार कल्याण की पूर्व महानिदेशक डा. मिथलेश चतुर्वेदी, डा. शरद,  सीडीआरआई से डॉ. रितु त्रिवेदी और नासी से डा. मानवेंद्र त्रिपाठी उपस्थित रहे | इस कार्यक्रम में 210 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया |