छह माह से बड़े बच्चों के विकास के लिए स्तनपान के साथ ऊपरी आहार जरूरी



  • संभव अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को सेहतमंद रखने के दे रहीं टिप्स
  • छह माह तक बच्चे को कराएँ सिर्फ और सिर्फ स्तनपान, बाहर का कुछ भी न दें  

लखनऊ - जुलाई से शुरू हुए संभव अभियान के तहत अगस्त माह की थीम ‘शिशु पोषण’ निर्धारित की गयी थी  | इसके तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर शून्य से छह माह तक के बच्चों को केवल स्तनपान कराने और छह माह से दो वर्ष तक के बच्चों को स्तनपान के साथ ऊपरी आहार भी देने के बारे में बता रही हैं | यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेन्द्र दुबे ने दी |

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया- छह  माह तक बच्चे के लिए मां का दूध ही सम्पूर्ण आहार माना जाता है | छह माह की आयु पूरी कर चुके बच्चों के  शारीरिक और मानसिक विकास के लिए स्तनपान के साथ ऊपरी आहार शुरू करना बहुत जरूरी होता है | छह माह के बाद माँ का दूध बच्चे के लिए पर्याप्त नहीं होता है | इसके साथ में ऊपरी आहार दिया जाना आवश्यक है क्योंकि बच्चे की लंबाई, वजन, मांस के साथ उसके अंगों में वृद्धि होती है । इसके साथ ही बच्चे का मानसिक विकास भी होता है। जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, उसकी गतिविधियां बढ़ने लगती हैं, जैसे-पलटना, रेंगना, खड़ा होना,  चलना आदि  । इन सभी गतिविधियों के लिए पर्याप्त  कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन और खनिज की जरूरत होती है और बच्चे की यह जरूरत पूरक आहार से ही पूरी होती है।  बच्चों में कुपोषण का मुख्य कारण समय से और  उचित मात्रा में पूरक आहार का नहीं दिया जाना भी  है |

जिला  कार्यक्रम अधिकारी ने बताया- अगस्त माह में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गृह भ्रमण के दौरान उन घरों पर विशेष ध्यान दे रहीं हैं, जहाँ कम वजन, अतिकुपोषित (सैम)/ मध्यम कुपोषित ( मैम) बच्चे हैं | ऐसे बच्चों के अभिभावकों को वह समझा रही हैं कि बच्चे को चाहे  बुखार हो या दस्त आ रहे हों या अन्य कोई समस्या हो  ऊपर का खाना देना बंद नहीं करना है | तबियत ख़राब होने की स्थिति में भी स्तनपान के साथ ऊपरी आहार देना है |

छह से नौ  माह के बच्चे को माँ के दूध के साथ दलिया, आटे या सूजी का हलवा, सूजी की खीर, मसला हुआ केला, मसला हुआ दाल -  चावल, खिचड़ी एक चम्मच घी और तेल अवश्य दें | इसके साथ ही मौसमी फल भी दें | जैसे जैसे बच्चा बड़ा हो खाने की मात्रा बढ़ाते रहें | नौ  माह की आयु के बाद बच्चे को स्वयं खाना खाने को दें | पहले तो वह खाने को गिरायेगा  लेकिन बाद में वह धीरे-धीरे खाने लगेगा , जैसे – बच्चा बड़ा हो उसे घर का बना हुआ जो परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बनता है वहीँ भोजन बच्चे को दें |

बच्चे को घर का बना हुआ खाना दें | खाना बनाने और खाना खिलाने में सफाई का विशेष ध्यान रखें | स्वयं और बच्चे में बार-बार हाथ धोने की आदत विकसित करें | साफ़ सफाई का अभाव भी कुपोषण का एक मुख्य कारण है |

श्री दुबे ने बताया- ऊपरी आहार के साथ-साथ बच्चों का सही समय पर नियमित टीकाकरण  भी बहुत जरूरी होता है | यह टीके बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाते हैं |