लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने सोमवार को विधान भवन में पशुधन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश में पशुपालन और गो संरक्षण के कार्यों को और अधिक मजबूत और सुव्यवस्थित करने के निर्देश दिए। पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को स्पष्ट रूप से कहा कि किसानों और पशुपालकों के पशुधन को संक्रामक रोगों और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जाएँ और पशुओं का शत-प्रतिशत टीकाकरण कार्य सुनिश्चित किया जाए। इसके लिए वैक्सीन और औषधियों की किसी भी प्रकार की कमी न होने दी जाए, साथ ही उनकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में लम्पी स्किन डिजीज पर नियंत्रण पाया जा चुका है, फिर भी सतर्कता जारी रखी जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि वृहद गो संरक्षण केंद्रों और गौशालाओं का नियमित निरीक्षण किया जाए और वहां चारा, भूसा, प्रकाश, पेयजल, औषधियाँ एवं अन्य आवश्यक व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाएँ। इसके अतिरिक्त, हाईवे और मुख्य सड़कों पर विचरण करने वाले गोवंश को रेडियम बेल्ट पहनाने के निर्देश दिए ताकि दुर्घटना से बचाव हो सके। उन्होंने पशुपालन विभाग से कहा कि लघुपशु की बैकयार्ड मुर्गीपालन, भेड़ पालन और बकरी पालन जैसी योजनाओं का प्रचार-प्रसार ग्रामीण अंचलों तक किया जाए, ताकि अधिक से अधिक पात्र लाभार्थी इन योजनाओं से लाभान्वित हो सकें और अपनी आय को बढ़ा सकें।
पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री ने 31 अक्टूबर तक लाभार्थी चयन का कार्य पूर्ण करने के निर्देश भी दिए। इसके साथ ही, पशुओं के नस्ल सुधार और उच्च गुणवत्ता के पशुधन के लिए कृत्रिम गर्भाधान के कार्यों में तेजी लाने और रोग नियंत्रण कार्यक्रमों को सुनियोजित रूप से संचालित करने पर जोर दिया।
बैठक में विभागीय आंकड़ों की जानकारी भी दी गई। वर्तमान में प्रदेश में 7608 गो आश्रय स्थलों में 12,36,815 गोवंश संरक्षित हैं। मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत अब तक कुल 1,79,024 गोवंश सुपुर्द किए गए, जिससे 1,14,089 लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं। प्रदेश में 403 वृहद गो संरक्षण केंद्र भी संचालित हैं।
बैठक में पशुधन एवं दुग्ध विकास के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने मंत्री को आश्वस्त किया कि सभी निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को गो आश्रय स्थलों का नियमित निरीक्षण, योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन और व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।बैठक में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख सचिव देवेन्द्र पाण्डेय, निदेशक योगेन्द्र पवार, निदेशक रोग नियंत्रण डा. राजीव सक्सेना, संयुक्त निदेशक डा. पी.के. सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।