फाइलेरिया उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता पर हो विशेष जोर - डीएमओ



  • निक्षय दिवस पर सबौली ग्राम में फाइलेरिया उन्मूलन कैम्प आयोजित
  • 25 फाइलेरिया रोगियों को मिली रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट
  • बेहतर प्रबंधन से फाइलेरिया मरीजों के जीवन में आ रही खुशहाली

कानपुर - फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। इसका बेहतर प्रबंधन किया जाए तो रोगी सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सकता है। इसी क्रम में सरसौल ब्लॉक के सबौली ग्राम में शुक्रवार को निक्षय दिवस के अवसर पर फाइलेरिया उन्मूलन कैम्प आयोजित हुआ।

यह कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान एवं सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित हुआ। जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) एके सिंह द्वारा करीब 25 फाइलेरिया रोगी सहायता समूह नेटवर्क के सदस्यों (रोगियों) को रुग्णता प्रबन्धन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट प्रदान की गयी। इसके साथ ही फाइलेरिया प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल के बारे में विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण में जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर जनित रोग है। इससे बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के आस- पास व अंदर साफ-सफाई रखें और समय-समय पर रुके हुए पानी में कीटनाशक, जला हुआ मोबिल ऑयल, डीजल का छिड़काव करते रहें। उन्होंने बताया की जनपद के कुल पाँच ब्लॉक में फाइलेरिया रोगी नेटवर्क कार्य कर रहा है। इस गंभीर बीमारी से ग्रसित फाइलेरिया मरीज ही इस नेटवर्क का हिस्सा बन कर समुदाय को जागरूक कर रहे हैं। नेटवर्क की मदद से फाइलेरिया रोग की गंभीरता को जन-समुदाय के बीच रखा जाए। जिससे लोग इस गंभीर बीमारी के प्रति सतर्क रहें और समय पर दवा का सेवन कर इसे समाप्त करने में अपनी भूमिका निभाएं।

इस दौरान पाथ संस्था के प्रतिनधि अनिकेत कुमार ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों के रुग्णता प्रबंधन का अभ्यास कराया।

मरीजों की कहानी, उन्हीं की जुबानी : कार्यक्रम में सुभौली निवासी 45 वर्षीय राजकुमारी यादव ने बताया कि "छह साल से मै फाइलेरिया रोग से पीड़ित हूं, पिछली बार जैसा कि मुझे ट्रेनिंग में बताया गया था मैं उसी तरह से प्रतिदिन व्यायाम करती हूं और अपने पैर की सफाई भी रखती हूं। वह बताती हैं कि नियमित व्यायाम का लाभ यह है कि पिछले साल मैं अपने पैर में जिस पायल को नहीं पहन पाती थी, उसे अब आसानी से पहन लेती हूं, और अपने घरेलू काम भी कर लेती हूं।

इसी गाँव के निवासी 62 वर्षीय जगदीश द्विवेदी ने बताया -“मैं बारह साल से फाइलेरिया बीमारी से पीड़ित हूँ। बताते हैं कि मैंने दो बार एमएमडीपी प्रशिक्षण लिया है। प्रशिक्षण के बाद बीते चार माह से मैं नियमित व्यायाम कर रहा हूं, जिससे मेरे पैर की सूजन लगभग खत्म हो गई है।

फाइलेरिया रोगी सहायता समूह से जुड़ने और इस प्रशिक्षण के बाद मुझे पता चला कि पैर को लटका कर नहीं रखना है तब से मैं ऐसा ही करती हूँ , कहीं बैठते हूँ तो पैर को सामने किसी चीज पर या फिर पैर पर पैर को ही रख लेती हूँ।

इस अवसर पर कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर, क्षेत्रीय आशा, सहायक मलेरिया अधिकारी भूपेंद्र सिंह व मलेरिया इंस्पेक्टर सहित सीफार संस्था के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे।