क्षयरोगी की खोज से इलाज होने तक सामुदायिक सहभागिता जरूरी - डीटीओ



  • सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान में करें सहयोग, कराएं टीबी की जांच
  • लक्षणों के आधार पर की जा रही टीबी की जांच
  • टीबी से स्वस्थ हो चुके लोग नेटवर्क से जुड़ कर बन सकते हैं टीबी चैंपियन

कानपुर नगर - भेदभाव के डर से टीबी मरीज बीमारी को छिपाते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। भेदभाव और कलंक की दुर्भावना को दरकिनार कर अगर सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान के दौरान टीबी मरीजों को खोजने और उनका इलाज करवाने में समुदाय सहयोग करे तो इस बीमारी का प्रसार रोका जा सकता है । यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. आरपी मिश्रा का । डॉ मिश्रा राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत जिला क्षय रोग इकाई पर सहयोगी संस्था वर्ल्ड विजन इंडिया के सहयोग से बृहस्पतिवार को टीबी चैम्पियन की समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे । 

डीटीओ ने टीबी चैम्पियन को सुझाव दिया कि क्षय रोगियों के परिवार के सदस्यों को प्रीवेंटिव थेरेपी लेने के लिए राजी करें और इसके लिए उनकी काउंसलिंग करें । उन्होंने कहा कि टीबी चैम्पियन जब भी सामुदायिक बैठकें करें वह प्रचार प्रसार सामग्री का प्रयोग जरूर करें । उन्होंने कहा की टीबी चैंपियन टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत समाज मे टीबी रोग के प्रति फैली भ्रांतियों को दूर करने में मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।

डीटीओ ने बताया कि टीबी के वह रोगी जो इलाज पूरा कर चुके हैं और जब प्रशिक्षण के बाद टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में योगदान देने लगते हैं तो इन्हें टीबी चैंपियन कहा जाता है । टीबी चैंपियन को समुदाय में यह संदेश देना है कि नया टीबी मरीज मिलने पर जब उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है तो वह  दो माह के नियमित उपचार के बाद किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित नहीं करता है। उन्होंने कहा कि टीबी के उन्मूलन के यह जरूरी है कि लक्षण दिखते ही जांच करवाएं। संक्रमित पाए जाने पर दवा लेना शुरू करें और दवा बीच में ना छोड़ें। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम सही मायने में तब ही सफल हो सकेगा, जब गांव-ढाणी तक बैठे टीबी संक्रमित व्यक्ति तक सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और उपचार की जानकारी मिल सकेगी।

वर्ल्ड विजन इण्डिया संस्था के जिला समन्वयक राम राजीव सिंह ने पीपीटी के माध्यम से पिछले तीन माह के कार्यों का विवरण दिया कि कितने क्षय रोगियों तक चैम्पियन ने पहुँच बनाई है | कितने क्षय रोगियों के परिवार के सदस्यों को टीबी चैम्पियन द्वारा एनटीईपी की सुविधाएं दी गई और कितनों की काउंसलिंग की गई।

अभियान में करें सहयोग, कराएं टीबी की जांच : डीटीओ ने लोगों से अपील की है कि वह घर आने वाली एसीएफ टीम का सहयोग करें और लक्षणों के आधार पर जांच जरूर कराएं। दो हफ्ते से लगातार खांसी रहना, खांसी के साथ बलगम में खून आना, दो हफ्ते से ज्यादा बुखार रहना, वजन कम होना,रात में सोते समय पसीना आना, भूख कम लगना इत्यादि टीबी के लक्षण हैं। यदि परिवार में किसी के इससे मिलते जुलते लक्षण हैं तो छिपाएं नहीं, जांच जरूर कराएं।

मरीज को जानकारी के साथ दें संबल : उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश्वर सिंह ने टीबी चैंपियन और सर्वाइवर से कहा है कि वह लक्षणों के आधार पर लोगों को टीबी जांच के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाने के लिए प्रेरित करें। उन्हें बताएं कि दो सप्ताह तक खांसी, रात में पसीने के साथ बुखार, वजन घटने, भूख न लगने जैसे लक्षण दिखने पर टीबी जांच अवश्य कराएं । टीबी मरीज को अपना उदाहरण देकर समझाएं कि सम्पूर्ण इलाज से यह ठीक हो जाती है । उन्हें मानसिक संबल दें और मनोबल बढ़ाएं ।

नेटवर्क से जुड़ने के लिए करें सम्पर्क : जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि टीबी नेटवर्क से जुड़ने के लिए वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था के जिला समन्वयक राम राजीव सिंह के मोबाइल नंबर 9956097821 पर सम्पर्क कर सकते हैं । बीमारी की जांच व अन्य सुविधाओं की जानकारी के लिए सिविल लाइन्स स्थित जिला क्षयरोग़ केंद्र पर सम्पर्क किया जा सकता है।