सीएमओ कार्यालय से हुआ सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान का आगाज



  • जिले की 20 प्रतिशत आबादी की होगी स्क्रीनिंग, 225 टीम व 45 सुपरवाइज़र तैनात
  • आवासीय परिसरों और संवेदनशील क्षेत्रों में भी स्क्रीनिंग पर होगा ज़ोर
  • टीबी का रोगी 10 से 15 स्वस्थ व्यक्तियों को कर सकता है संक्रमित  – सीएमओ

कानपुर नगर - राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) व प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जनपद में गुरुवार को सक्रिय टीबी रोगी खोज (टीबी एसीएफ़) अभियान का आगाज़ हुआ। रामदेवी स्थित सीएमओ कार्यालय परिसर में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने फीता काटकर अभियान का शुभारम्भ किया।

सीएमओ ने बताया कि प्रधानमंत्री के वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के संकल्प को लेकर विभाग हर संभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि टीबी का रोगी एक वर्ष में 10 से 15 स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। टीबी के जीवाणु रोगी के खाँसने, छींकने और थूकने से हवा में फैल जाते हैं और साँस लेने से स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़े में पहुँचकर रोग उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान में टीबी के लक्षण युक्त (संभावित रोगियों) व्यक्तियों की जांच की जाएगी और जांच में टीबी की पुष्टि होने पर तत्काल उपचार शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को उनके उपचार के दौरान हर माह 500 रुपये की आर्थिक सहायता डीबीटी के माध्यम से बैंक खाते में प्रदान की जाती है।

    जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ आरपी मिश्रा ने बताया कि जनपद की करीब 51लाख आबादी में इस विशेष अभियान के तहत 20 प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग की जाएगी। अभियान के लिए कुल 335 टीम और 67  सुपरवाइजार तैनात किए गए हैं। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान आवासीय परिसरों, जैसे अनाथालयों, वृद्धाश्रमों, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसों और छात्रावासों में कैंप आयोजित कर टीबी के प्रति संवेदीकरण किया जाएगा और लक्षण युक्त व्यक्ति के स्पुटम (बलगम) के नमूने एकत्र किए जाएंगे।

संवेदनशील क्षेत्रों पर  होगा ज़ोर – उप जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राजेश्वर सिंह ने बताया कि अभियान के दौरान माइक्रोप्लान के मुताबिक संवेदनशील क्षेत्रों (घनी बस्ती और स्लम एरिया) को कवर करते हुए जनपद की 20 प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग की जाएगी। रोगी के बलगम की जांच करवाने पर फेफड़ों की टीबी का पता लग सकता है। बलगम के दो नमूनों की जांच माइक्रोस्कोपी एवं सीबीनॉट मशीन द्वारा की जाती है, जिससे टीबी की पुष्टि होती है। इसके साथ ही सभी रोगियों की शुगर और एचआईवी जांच भी की जाएगी। अभियान की समस्त रिपोर्ट को निक्षय पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।

इस मौके पर डिप्टी सीएमओ, जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह , डीपीसी राजीव सक्सेना , एसटीएस, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अनीता देवी व अनीता राव एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।   

इन बातों का रखें ध्यान : दो हफ्ते या उससे अधिक खाँसी, खाँसी के साथ बलगम आना, रात में पसीना आना, भूख न लगना और वजन में लगातार गिरावट टीबी हो सकती है। ऐसे लक्षण देने पर तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर सम्पर्क करें। टीबी की समस्त आधुनिक जाँच एवं सम्पूर्ण उपचार समस्त सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है।टीबी आरोग्य सेतु एप को भी डाउनलोड करें ।