बच्चों के टीकाकरण में माँ के साथ पिता और परिवार की भूमिका अहम



  • टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों को सारे टीके लगवाने के लिए विशेष प्रयास आवश्यक
  • देखभाल कर्ता, उनके रोजगार और सामाजिक परिवेश के मुताबिक बनायीं जाएगी संचार रणनीति

लखनऊ - मानव केन्द्रित संचार रणनीति बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग एवं यूनिसेफ़ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का आज बुधवार को यूनिवर्सल टीकाकरण की अपर निदेशक डॉ. संदीपा की अध्यक्षता में समापन हुआ।

कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों के टीकाकरण में सुधार के लिए मानव व्यवहार (माता पिता/ परिवार के व्यवहार) को केन्द्रित करते हुए संचार रणनीति बनाना था। इसको बेहतर तरीके से समझने के लिए यूनिसेफ़ के सहयोग से तत्त्व और वाइट आयल इनसाइट्स (डब्लूओआई) द्वारा प्रदेश के दो जिलों बहराइच और फ़िरोज़ाबाद में एक अध्ययन किया गया है, जिसके आधार पर कार्यशाला तीन दिन संचार की रणनीति बनाने के लिए गहन चिंतन और मनन किया गया।

डॉ. अजय गुप्ता, राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि मुख्यतः बच्चों के टीकाकरण के लिए माँ को प्रेरित किया जाता है, जबकि परिवार में ज्यादातर निर्णय लेने की ज़िम्मेदारी अन्य लोगों  (पिता या दादी माँ) की होती है। ऐसे में माँ के साथ जो अन्य देखभाल कर्ता होते है, उनकी भागीदारी से सही समय और सम्पूर्ण टीकाकरण को बढ़ावा मिल सकता है। कार्यशाला के माध्यम से इन्हीं लोगों को केन्द्रित कर संचार की रणनीति बनायीं गयी है। जिसमें प्रतिभागियों द्वारा बहुत से नवाचार निकलकर आयें हैं। अब इन नवाचारों को मूर्त रूप देने के लिए प्रयास किये जाएंगे।

फ़िरोज़ाबाद और बहराइच से आये प्रतिभागियों ने दो दिन समूह गतिविधि करके संचार के नवाचारों को अंतिम दिन प्रस्तुत किया। जिसमें सामाजिक परिवेश, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में माता पिता की दिनचर्या और रोजगार आदि को ध्यान में रखकर रणनीति बनाने का प्रयास किया गया| जैसे कि भट्टा मजदूर के लिए भट्टा एसोसिएशन के साथ संवेदीकरण बैठक करना, महिला आरोग्य समितियों के माध्यम से बच्चों की दादी माँ को मोटिवेट करना, जिन बच्चों का पूर्ण टीकाकरण हो गया है उनके घरों पर प्रशंसा स्टीकर लगाना, लोकल स्टेक होल्डर को प्रोमोट करना आदि शामिल है।

यूनिसेफ से सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तन संचार (एसबीसीसी) की विशेषज्ञ अल्का मल्होत्रा ने बताया कि यह एक शुरुआत है, अभी कुछ आईडिया निकलकर आयें है, उन्हें अभी पक्का करने की जरुरत है| निरंतर प्रयास से यह संभव हो सकता है।

आपको बता दें कि शिशु मृत्यु दर को कम करने में टीकाकरण सबसे सस्ता और प्रभावी माध्यम है। और इसके सफ़ल क्रियान्वयन में देखभाल कर्ता का व्यवहार बहुत ही प्रभाव डालता है।

कार्यशाला के अंत में सभी प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट वितरित किये गए। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सहित, फ़िरोज़ाबाद और बहराइच के जिला एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारी, डीसीपीएम, हेल्थ एजुकेटर, एएनएम, और आशा कार्यकर्ता मौजूद रहीं| साथ ही यूनिसेफ के प्रतिनिधि के साथ यूएनडीपी, टीएसयू , जेएसआई, चाई व सिफार,  संस्थाओं के प्रतिभागी भी उपस्थित रहे।