उत्तर प्रदेश में आयुष्मान योजना से निजी अस्पताल में हुआ किडनी ट्रांसप्लांट -संगीता सिंह



  • ईद के मौके पर आयुष्मान भारत योजना से मिली नाज़िश को नई ज़िन्दगी  

लखनऊ - आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और माँ  सबीला ने मिलकर नाजिश को दी नई ज़िन्दगी। इस जीवन दान में कौशांबी के यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने भी सहयोग दिया।

सलीम अहमद और सबीला की 28 वर्षीय बेटी नाजिश की किडनी खराब होने का पता इस वर्ष जनवरी में लगा था| बीमार होने पर जब नाज़िश को डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया। यह सुनकर पूरा परिवार सन्न रह गया| किडनी प्रत्यारोपण का खर्च लाखों में होता है और यह खर्च उठाना इस परिवार के बस का था ही नहीं। लेकिन आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से बिना कोई पैसा खर्च किए यह संभव हुआ। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद ईद पर नाजिश अपने घर लौट आई और पूरा परिवार बहुत खुश है।  

मेरठ जनपद की सरधना तहसील के दौराला ब्लॉक स्थित वालिदपुर गांव में सलीम अहमद अपने परिवार के साथ रहते हैं। सलीम और सबीला के तीन बच्चे हैं, दो बेटियां फरहीन और नाजिश व एक बेटा आजम। फरहीन ब्याह कर अपने घर चली गयी। घर पर अब सलीम अपनी पत्नी सबीला, बेटी नाज़िश और आजम के परिवार के साथ रहता है। सलीम और आजम किसी तरह मेहनत- मजदूरी करके परिवार के साथ गुजर बसर कर रहे थे, ऐसे में नाज़िश की बीमारी ने सबको चिंता में डाल दिया।

नाज़िश गंगनगर जाती थी डायलिसिस के लिए जहां उन्हें जानकारी मिली कि यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू हुई है। यह जानकारी नाजिश के परिवार के लिए नए सवेरे की तरह थी लेकिन मन में यह संदेह ज़रूर था कि क्या इतने बड़े अस्पताल में उन्हें उपचार मिलेगा भी या नहीं।

बहन को बचाने के लिए आजम ने यशोदा हॉस्पिटल में संपर्क कर जानकारी की तो मानों उसकी मुंह मांगी मुराद पूरी हो गई। अस्पताल ने उन्हें बताया वह आयुष्मान कार्ड पर करवा सकते हैं लेकिन फिर समस्या थी किडनी दान कौन करेगा| सबीला और आज़म दोनों ही अपनी किडनी देने के लिए तैयार थे लेकिन आखिर में माँ पर ही सहमति बनी लेकिन क्या वह किडनी नाज़िश को दी जा सकती थी या नहीं, यह शंका भी तब दूर हुई जब डोक्टरों ने हामी भरी। तमाम कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ट्रांसप्लांट के लिए हॉस्पिटल से 20 जून की तारीख मिल और नाजिश को 18 जून को अस्पताल में भर्ती किया गया। नेफ्रोलॉजी से डा. प्रजीत मजूमदार और यूरोलॉजी से डा. वैभव सक्सेना, डा. निरेन राव एवं डा. कुलदीप अग्रवाल की टीम ने 20 जून को किडनी ट्रांसप्लांट किया और 27 जून, 2023 को मां-बेटी को अस्पताल से छुट्टी देकर घर भेज दिया।

नाजिश की बहन फरहीन ने बताया - "एक सप्ताह बाद फालोअप के लिए अस्पताल बुलाया गया है। हमें अस्पताल में उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हुई, बहन नाजिश और मां (डोनर) सबीला का डॉक्टरों और स्टाफ ने अच्छे से ध्यान रखा। हमने डॉक्टरों के बताए अनुसार पूरे घर को सेनेटाइज कराने के बाद ही एक अलग कमरे में नाजिश को रखा है। दोनों स्वस्थ हैं और परिवार खुश है। ईद पर आयुष्मान भारत योजना से हमारे परिवार को बड़ा तोहफा मिला है।‘’

सुश्री संगीता सिंह, सीईओ, स्टेट एजेंसी फॉर कोम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (SACHIS) का कहना है यह बहुत हर्ष और संतोष का विषय है।" आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना बनी ही आम आदमी के लिए है जो बीमारी का खर्च नहीं उठा सकते हैं। आयुष्मान कार्ड उनके लिए जीवन दायिनी है| आने वाले दिनों में और भी ऐसे ऑपरेशन होने वाले हैं।"
 
सबीला की ही बात करें तो वह किडनी तो उसका परिवार यह खर्च नहीं उठा सकते थे। लेकिन यह आयुष्मान कार्ड की ही ताकत है जो वह निजी अस्पताल में उपचार करवा सके। इस पूरे प्रकरण में निजी अस्पताल की भी सराहना करना ज़रूरी है जो गरीबों का उपचार करना अपना कर्त्तव्य समझने लगे है, संगीता सिंह कहती है।

डा. उपासना अरोड़ा, प्रबंधक निदेशक एवं सीईओ यशोदा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ने बताया आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से आबद्ध होने के साथ ही उन्होंने ठान लिया था कि योजना के लाभार्थियों को वह सुविधाएं भी उपलब्ध कराएंगे जो अन्य अस्पताल नहीं करा पा रहे हैं ताकि गरीबों को महंगा उपचार प्राप्त करने में दिक्कत न हो।"

उत्तर प्रदेश में अब तक 2.9 करोड़ आयुष्मान कार्ड बने हैं और 22.8 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं| सरकार द्वारा अब तक तब 2,700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि संवितरित की गयी है जिसमें 80% निजी अस्पतालों और 20% सरकारी अस्पतालों में वितरित किये गए हैं।