नुक्कड़ नाटक के जरिये फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने को किया प्रेरित



  • स्वास्थ्य विभाग के मार्गदर्शन में सीफार के सहयोग से प्रस्तुत किया नाटक
  • नाटक देखकर देखकर छह लोगों ने किया दवा का सेवन

लखनऊ - डालीगंज क्षेत्र की बांसमंडी मलिन बस्ती में शुक्रवार को आकार फाउंडेशन के कलाकारों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के लिए  प्रेरित किया। स्वास्थ्य विभाग के मार्गनिर्देशन में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से इसकी प्रस्तुति हुई।

मलिन बस्ती में नुक्कड़ नाटक देखने के बाद छह लोगों ने फाइलेरिया से बचाव की दवा खाई। इनमें दो बच्चे, तीन पुरुष और एक महिला शामिल हैं।

दवा खाने वाले फिरोज ने बताया कि पहले हमें इसके बारे में जानकारी नहीं थी। आशा कार्यकर्ता जब घर आती हैं तो हम काम पर  होते हैं। आज हमने नुक्कड़ नाटक देखा तो पता चला कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है । अगर बीमारी हो गयी तो ठीक नहीं होती है। अगर इस बीमारी से बचना है तो फाइलेरिया से बचाव की दवाका सेवन ही करना है। मैनें तो दवा खा ली है आप सभी लोग दवा का सेवन जरूर करें | दवा खाने के बाद हमें कोई दिक्कत नहीं हुई है।

जिला मलेरिया अधिकारी डा. रितु श्रीवास्तव का कहना है - जनपद में 10 फरवरी से राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन ( आईडीए) अभियान चल रहा है। इसके तहत घर-घर जाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की टीम गर्भवती, दो साल से कम उम्र के बच्चों और गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से बचाव की दवा  खिला रही है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता फाइलेरिया से बचाव की दवा लोगों को अपने सामने ही खिला रहे  हैं। सभी लोगों से अपील है कि वह स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सहयोग करें और जब वह दवा खिलाने आयें तो दवा का सेवन उनके सामने करें न कि दवा घर पर रख लें और कहें कि बाद में खाएंगे।

फाइलेरिया से जान तो नहीं जाती है लेकिन अगर व्यक्ति एक बार पीड़ित हो गया तो वह ठीक नहीं हो सकता है। यह बीमारी व्यक्ति को जीवन भर के लिए अपंग बना देती है | इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है | इससे बचाव ही इसका इलाज है। लगातार दो साल तक साल में एक बार दवा का सेवन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके साथ ही फाइलेरिया पीड़ित व्यक्ति के इस दवा का सेवन करने से  उसकी बीमारी बढ़ती नहीं है।