लखनऊ । उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने महाभारत सर्किट अंतर्गत बरेली जिले के पौराणिक स्थल अहिच्छत्र के समेकित पर्यटन विकास की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दे दी है। इसके लिए दो करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। यह कदम बरेली को धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर सशक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार का एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि प्रदेश में धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के आसपास पर्यटक सुविधाओं का विस्तार तेज़ी से किया जा रहा है और अहिच्छत्र का विशेष धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है।महाभारत काल में उत्तरी पांचाल की राजधानी रहे अहिच्छत्र में गुप्त, पाल और सेन राजाओं का भी शासन रहा। समय के साथ यह स्थल व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने इसे संरक्षित स्थल घोषित किया है। 19वीं और 20वीं सदी में हुई खुदाइयों में कई अमूल्य वस्तुएं प्राप्त हुई हैं, जिन्हें देश के विभिन्न संग्रहालयों में सुरक्षित रखा गया है।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि जैन धर्मावलंबियों के लिए अहिच्छत्र विशेष तीर्थ स्थल है, जहां 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति की थी। साथ ही यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने अहिच्छत्र में सात दिन बिताए और नाग राजाओं को धर्म की दीक्षा दी थी। सम्राट अशोक ने भी यहाँ कई बौद्ध स्तूपों का निर्माण कराया।अहिच्छत्र में प्रवेश द्वार, सौंदर्यीकरण, प्रकाश व्यवस्था, शौचालय, सूचना केंद्र, पेयजल और विश्राम स्थल जैसी आधुनिक सुविधाओं का निर्माण कराया जाएगा। इससे न केवल धार्मिक यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि बरेली पहले से ही देशभर में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वर्ष 2024 में यहाँ 01 करोड़ 15 लाख से अधिक पर्यटक आए थे। वर्ष 2025 की शुरुआत में ही जनवरी से मार्च के बीच 28 लाख 61 हजार से अधिक पर्यटक पहुंचे। अनुमान है कि इस वर्ष पर्यटकों की संख्या 01.25 करोड़ तक पहुंच सकती है।मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य बरेली समेत प्रदेश के सभी पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को विश्व पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाना है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन निरंतर बढ़ रहा है और बरेली जैसे ऐतिहासिक स्थलों को विकसित कर अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त करना संभव है। यह योजना न केवल सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध कराएगी। प्रदेश सरकार के प्रयासों से धार्मिक पर्यटन को नया विस्तार मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।