प्रदेश कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को पाने की दिशा में अग्रसर



  • कालाजार प्रभावित जिलों के वेक्टरजनित रोग कार्यक्रम अधिकारियों का प्रशिक्षण

लखनऊ - कालाजार एक गंभीर वेक्टर जनित रोग है । उत्तर प्रदेश सरकार इस रोग के उन्मूलन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए  समय-समय पर इससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती रहती है। इसी क्रम में मंगलवार को कालाजार प्रभावित जनपदों के वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम अधिकारियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ। इस अवसर पर कार्यक्रम की समीक्षा भी हुई ।   

इस अवसर पर निदेशक संचारी रोग, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश डॉ. ए.के.सिंह ने कहा कि प्रदेश को कालाजार उन्मूलन की दिशा में अभूतपूर्व सफलता मिली है । वर्ष 2015 में कालाजार के 131 केस थे जो वर्ष 2022 में घटकर केवल 15 रह गए हैं । कालाजार के जो केसेस आ भी रहें हैं वह बिहार और नेपाल सीमाओं से सटे गाँवों से हैं। हम सभी को यह प्रयास करने होंगे कि कहीं भी अगर कालाजार का एक भी केस मिलता है तो उसके आस-पास के क्षेत्रों में एक्टिव केस डिटेक्शन अभियान शुरू किया जाये ताकि कालाजार का और प्रसार न हो सके। प्रदेश में कालाजार छह जनपदों के मात्र 46 ब्लाक तक ही सीमित रह गया है। वर्ष 2019 से उत्तर प्रदेश कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को बनाये रखा है यानि प्रति 10 हज़ार की आबादी पर एक से कम केस हैं और हम अथक प्रयास कर रहे हैं कि प्रति 10 हज़ार की आबादी पर 0.5 से कम केस का लक्ष्य प्राप्त हो सके। यह चुनौतीपूर्ण तो है मगर हम सब एक साथ समन्वय और अन्तर्विभागीय सहयोग से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

अपर निदेशक मलेरिया और वेक्टर बार्न डिजीज के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. वी. पी. सिंह ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है जो कि बालू मक्खी से फैलता है। बालू मक्खी कालाजार रोग के परजीवी लीशमेनिया डोनोवानी को एक से दूसरे व्यक्ति तक फैलाती है। बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, जानवर बांधने के स्थान तथा नम मिट्टी में रहती है।

कालाजार एंडेमिक जनपदों में यदि किसी को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो और वह मलेरिया या अन्य उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है। कालाजार की पुष्टि के लिए निशुल्क जांच निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उपलब्ध है एवं समुचित उपचार भी जिला चिकित्सालय में निशुल्क उपलब्ध हैl  कालाजार उत्पन्न करने वाले परजीवी के संक्रमण से रोगों से लड़ने की क्षमता घट जाती है जिसके कारण उसे दूसरे रोगों से संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि कालाजार उन्मूलन की वर्तमान रणनीति के मुख्य रूप से दो स्तम्भ हैं; पहला रोगियों की पहचान, शीघ्र निदान व उपचार और दूसरा कीटनाशक दवा का छिड़काव यानि (आई.आर.एस) । आई.आर.एस. एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा घर के अन्दर की दीवारों और घर में जानवरों के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों पर दवा का छिड़काव किया जाता है ताकि कालाजार बीमारी का कारण बनने वाली बालू मक्खी को समाप्त किया जा सकेl  कीटनाशक का छिड़काव यदि सभी हिस्सों में नहीं किया गया हो तो बालू मक्खी बिना छिड़काव वाले सतह पर रह जायेगी और  कालाजार फैलाने में सहायक होगीl   

डॉ. सिंह ने कहा कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और उत्तर प्रदेश सरकार की रणनीति के तहत आशा प्रतिदिन लक्षित घरों का भ्रमण करती हैं और यह पता लगाती हैं  कि किसी को 14 दिनों से ज्यादा बुखार तो नहीं आ रहा है क्योंकि अगर ऐसा है तो उस व्यक्ति को कालाजार होने की संभावना हो सकती है । कालाजार से संक्रमित व्यक्ति की नि:शुल्क जाँच जनपदों के ब्लाकस्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) पर और जिला अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा चलाये गए संचारी रोग नियंत्रण अभियान /दस्तक अभियान  में फाइलेरिया और कालाजार जैसी संक्रामक बीमारियों की रोकथाम को भी शामिल किया गया है। इसके परिणामस्वरुप प्रदेश में वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हो रही है । डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि कालाजार ठीक होने के बाद भी 5 से 10% केसेस में पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पी.के.डी.एल.) नमक त्वचा रोग हो सकता है। इसमें  त्वचा पर अलग प्रकार और रूप के सफेद धब्बे या छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं।  

लिश्मेनिया डोनोवानी की उपस्थिति में मानव शरीर की त्वचा में होने वाले बदलाव  को पी.के.डी.एल. कहते हैं, लेकिन घबराने की बात नहीं है क्योंकि कालाजार और पी.के.डी.एल का इलाज सभी जनपदों  में नि:शुल्क उपलब्ध है और इलाज के बाद यह रोग पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। उन्होंने, प्रदेश से कालाजार के समूल उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता की अत्यंत आवश्यकता बतायी। डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश के हर नागरिक को इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए अपने आस-पास स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और अगर स्वयं या किसी में कालाजार से संक्रमित होने के लक्षणों का आभास हो तो तुरंत अपने नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र और स्वास्थ्य प्रदाताओं से संपर्क स्थापित करना चाहिए। सरकार द्वारा कालाजार मरीजों को उपचार के दौरान श्रमपूर्ति धनराशि भी दी जाती है ।

इस अवसर पर बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के डॉ. अमोल पाटिल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. तनुज शर्मा, पाथ से डॉ. अमरेश कुमार, डॉ. अर्पित, डॉ. शोएब अनवर , ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज संस्था के अनुज घोष, प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के ध्रुव, सीफार से रंजना द्विवेदी और कालाजार से प्रभवित 14 जनपदों के वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।