महिला एवं बाल विकास विभाग की 100 दिन की उपलब्धियां गिनाईं



  • महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री ने पेश किया लेखा-जोखा
  • 100 दिनों में 1.40 लाख बालिकाएं मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना से लाभान्वित
  • 50 हजार नई पात्र महिलाओं को निराश्रित महिला पेंशन योजना से जोड़ा गया
  • महिला सशक्तिकरण के लिए वन स्टॉप सेन्टर व महिला शक्ति केन्द्र का कन्वर्जेन्स
  • योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए हर 15 दिन में हर ब्लाक पर स्वावलंबन कैम्प

लखनऊ - प्रदेश में बालिकाओं की स्वास्थ्य, शिक्षा की स्थिति को सुदृढ़ करने, लिंगानुपात के संकेतकों में सुधार लाने और बालिकाओं के जन्म के प्रति लोगों में सकारात्मक सोच विकसित करने को लेकर सरकार गंभीर है। इसी उद्देश्य से वर्ष 2019 में शुरू की गई मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना में विभाग ने 100 दिवसों में 1.40 लाख पात्र बालिकाओं को जोड़ा। बालिकाओं के खातों में धनराशि अंतरित कर दी गई। विभाग ने निरंतर योजना के अंतर्गत लक्ष्य निर्धारित कर समयबद्ध तरीके से लाभार्थियों को जोड़ने के प्रयास किये । इसके परिणामस्वरूप योजना के तहत तीन वर्षों में 12.97 लाख बालिकाओं को योजना का लाभ दिया गया है। इस बारे में वृहस्पतिवार को महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 100 दिन में प्राप्त की गईं उपलब्धियां साझा करने के लिए आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान प्रदेश की महिला कल्याण एवं बाल विकास व पुष्टाहार मंत्री बेबी रानी मौर्या द्वारा जानकारी दी गईं।

मंत्री ने बताया कि विभाग द्वारा नई सरकार के गठन के साथ ही अप्रैल से जून के मध्य 100 दिवसों में किये जाने वाले कार्यों को नियोजित रूप में करने हेतु लक्ष्य निर्धारित किये गये थे और हमारा उद्देश्य था कि हम ऐसे लक्ष्य बनायें जो लाभार्थियों को सीधे तौर पर लाभान्वित करें। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को बधाई देते हुये खुशी जताई कि सभी लक्ष्यों को समय से पहले ही प्राप्त कर लिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं के मुद्दों के प्रति संवेदित है और विपरीत परिस्थितियों में जीवनयापन कर रहीं महिलाओं को हरसंभव सहायता पहुंचाने केलिए  प्रयासरत है। विभाग ने मात्र तीन माह में 50 हजार ऐसी महिलाओं को चिन्हित किया जो 18 वर्ष से ऊपर की हैं और किन्हीं कारणों से पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला की श्रेणी में हैं, ऐसी सभी महिलाओं को पेंशन देने की कार्यवाही पूर्ण कर ली गई है। मंत्री ने बताया- इस योजना में वर्ष 2016-17 में लाभार्थी महिलाओं की संख्या 17.31 लाख थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर अब 31.50 लाख हो गई है। अधिक से अधिक पात्र महिलाओं को योजना से जोड़ने के लिए लाभार्थी की वार्षिक आय सीमा बढ़ाकर दो लाख रूपये किया तथा आयु की अधिकतम सीमा को समाप्त किया गया, जिसके फलस्वरूप हमारी सरकार के कार्यकाल में 14.19 लाख नई महिलाओं को योजना से जोड़ा गया है। योजना के अंतर्गत पेंशन की धनराशि को 500 से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रतिमाह किया गया। यह सरकार की महिलाओं के कल्याण हेतु प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सरकार द्वारा कोविड-19 के दौरान प्रभावित हुए बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि में आर्थिक सहयोग हेतु उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (कोविड) और उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) शुरू की गई, जिसके अंतर्गत क्रमशः 11049 बच्चों को 4000 रुपये प्रतिमाह और 5284 बच्चों को 2500 रुपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता सहित उनकी पैतृक सम्पत्ति की सुरक्षा, उन्हें प्रशिक्षित विशेषज्ञों के माध्यम से ट्रामा काउंसिलिंग आदि सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। इसके अतिरिक्त कक्षा-9 या उससे ऊपर की कक्षाओं में अध्ययनरत 1060 बच्चों को लैपटॉप प्रदान किया गया।

महिला एवं बाल विकास मंत्री ने विभाग की उपलब्धियां गिनाते हुए बताया कि विभागीय योजनाओं को अंतिम पायदान पर जीवनयापन करने वाले परिवार तक पहुंचाने  के लिए विभाग द्वारा समस्त जनपदों मे प्रत्येक विकास खण्ड स्तर पर 15-15 दिवसों में स्वावलंबन कैम्प का आयोजन किया गया। कैम्प के माध्यम से भी मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के 17,596, पति की मृत्युपरांत निराश्रित महिला पेंशन योजना के 7,972 , उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के 760 और उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना सामान्य के 1,725 नवीन आवेदन कराते हुए लाभान्वित करने की कार्यवाही की गयी है। विभाग द्वारा राज्य तथा मंडल स्तर पर ‘‘जागरूक‘‘ मीडिया कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। इस क्रम में लखनऊ में राज्य स्तरीय तथा तथा अन्य मंडलों (बस्ती मंडल को छोड़कर) में मंडल स्तरीय मीडिया कार्यशाला आयोजित की गई हैं। विभाग द्वारा इन कार्यशालाओं के माध्यम से विभागीय योजनाओं तथा मिशन शक्ति की उपलब्धियों को मीडिया के साथ साझा कर उन्हें जन-जन तक इन योजनाओं को पहुंचाने के लिए सक्रिय व संवेदित किया गया है।

विभाग द्वारा लैंगिक तथा घरेलू हिंसा या अन्य मुद्दों से पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को संरक्षण तथा समर्थन देने के लिए संचालित की जा रही वन स्टॉप सेन्टर और महिला शक्ति केन्द्र योजना का अप्रैल माह में कन्वर्जेन्स किया गया जिससे पीड़ित महिलाओं को अल्प प्रवास (पाँच दिवस), चिकित्सकीय सहायता, परामर्शी सेवायें, विधिक व पुलिस सहायता प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न विभागों की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

विभाग किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम 2015, क्रियान्वयन के लिए नोडल विभाग है। 100 दिवसों के भीतर ही विभाग द्वारा अधिनियम के अंतर्गत गठित किशोर न्याय बोर्ड तथा बाल कल्याण समितियों में नवनियुक्त 525 सदस्यों के प्रशिक्षण का लक्ष्य भी पूर्ण कर लिया गया है। 18 वर्ष से कम आयु के समस्त बच्चों के संरक्षण, देखभाल, पुनर्वासन आदि में बाल कल्याण समिति तथा किशोर न्याय बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभाग द्वारा न सिर्फ उन्हें प्रशिक्षित किया गया बल्कि उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की निगरानी तथा प्रदेश के गृहों में आवासित महिलाओं व बच्चों के प्रकरणों में उनके पुर्नवास हेतु की गई कार्यवाही की निगरानी के लिए एमआईएस पोर्टल विकसित किया गया है।

विभाग द्वारा उप्र मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (कोविड एवं सामान्य) पारदर्शी संचालन व नियमित समीक्षा के लिए भी एमआईएस पोर्टल तैयार करा लिया गया है। विभाग द्वारा जून माह में जनपद शाहजहांपुर के नवीन भवन में 50 बच्चों की क्षमता के राजकीय सम्प्रेक्षण गृह का निर्माण कार्य पूर्ण कराकर संचालन शुरू करा लिया गया है, वर्तमान में संस्था में 49 किशोर आवासित हैं। राजकीय सम्प्रेक्षण गृह में कानून से संघर्षरत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को आवासित किया जाता है।