अब आयुष्मान मेला में लाभान्वित होंगे फाइलेरिया रोगी



  • रोग प्रबंधन के लिए एमएमडीपी किट व हाइड्रोसील ऑपरेशन का मिलेगा लाभ
  • सीएमओ ने दीपापुर गाँव के 35 फाइलेरिया रोगियों एमएमडीपी किट देकर की शुरुआत
  • रोगी सहायता समूह के सदस्यों ने कहा एमएमडीपी किट से मिल रहा फायदा

कानपुर - फाइलेरिया मरीजों को रोग प्रबंधन व हाइड्रोसील के रोगियों को ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए अब आयुष्मान मेला सहायक होगा। मिशन निदेशक डॉ पिंकी जोवल ने समस्त जनपदों के जिलाधिकारियों सहित मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देशित किया है कि प्रत्येक शनिवार को स्वास्थ्य केंद्रों पर आयोजित हो रहे मेले में अब फाइलेरिया रोगियों को भी लाभान्वित किया जाये। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत लिम्फोडिमा एवं हाइड्रोसील के रोगियों के  लक्ष्य के सापेक्ष शत प्रतिशत उपचार व मरीजों को मार्बिडीटी मैनेजमेंट एंड डिस्बिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) किट के वितरण की उपलब्धि प्राप्त करना है।

इसी क्रम में शनिवार को सरसौल ब्लॉक के ग्राम दीपापुर हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर आयुष्मान मेला का आयोजन किया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन के निर्देशन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था ने भी सहयोग किया। कार्यक्रम में लिम्फ़ेटिक फाइलेरियासिस (फाइलेरिया) से ग्रसित मरीजों की ग्रेडिंग करते हुये प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए 35 एमएमडीपी किट प्रदान की।

सीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित अंगों में मुख्यतः पैर की साफ-सफाई रखने से संक्रमण का डर नहीं रहता है और नियमित व्यायाम व योगा करने से सूजन में भी कमी रहती है। उन्होंने  बताया कि जिनके हाथ-पैर में सूजन आ गई है या फिर उनके फाइलेरिया ग्रस्त अंगों से पानी का रिसाव होता है। इस स्थिति में उनके प्रभावित अंगों की साफ-सफाई बेहद आवश्यक है। इसलिए एमएमडीपी किट प्रदान की जा रही है।उन्होंने रोगी सहायता समूह के सदस्यों का मनोबल बढ़ते हुए कहा की आप लोगों ने फाइलेरिया के प्रति जागरूक करने की जो पहल की है वह काबिल-ए-तारीफ है ।

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने एमएमडीपी किट के प्रयोग और फाइलेरिया ग्रस्त अंगों की साफ-सफाई के तरीकों की जानकारी दी। इस मौके पर सहायक मलेरिया अधिकारी भूपेंद्र सिंह, सरसौल सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रणवकर, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अंजना कुशवाहा सहित क्षेत्रीय आशा देवी पाल, नीलम दिवाकर सहित प्राथमिक विद्यालय की सहायक अध्यापिका अंजली वर्मा, फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य व सीफार संस्था के प्रतिनधि उपस्थित रहे।

रोगी सहायता समूह के सदस्यों ने सराहा : रोगी सहायता समूह की सदस्य निर्मला पाल (45) ने बताया कि उन्हें करीब 30 साल से हाथीपाँव बीमारी है। पहले बहुत झाड़ फूंक करवाया, कुछ घरेलू दवाओं का भी सेवन किया पर कोई फायदा नहीं हुआ। पहले इस उपचार के बारे पता नहीं था लेकिन गाँव के समूह से जुड़ने के बाद डॉक्टर से इसकी देखभाल के लिये सम्पूर्ण जानकारी मिली और एमएमडीपी किट भी दी गई। अब वह अपने सूजे हुये पैरों की नियमित देखभाल व व्यायाम कर रही हैं। इससे काफी आराम मिल रहा है।

एक अन्य सदस्य मालती पाल (55) ने बताया कि वह करीब 22 साल से इस बीमारी से ग्रसित हैं। उन्हें समूह से जुड़ने के बाद पता चला कि फाइलेरिया मच्छर काटने से ही होता है। इसके लक्षण कई सालों बाद देखने को मिलते हैं। अब किट के जरिये वह अपने सूजे हुये पैरों की साफ-सफाई और देखभाल करती हैं। साथ ही योगा व सामान्य व्यायाम करने से आराम मिल रहा है। इसके अलावा फाइलेरिया से बचाव के बारे में लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं।