डेंगू से होने वाली मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत से घटकर 0.17 प्रतिशत हुई



लखनऊ - समाज में एक ओर जहां मच्छरजनित रोगों के प्रति जागरूकता बढ़ी है वहीं सरकार और स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों से डेंगू जैसी बीमारी से होने वाली मृत्यु का ग्राफ काफी कम हुआ है।

वेक्टरजनित रोग  (वीबीडी) के निदेशक डा. ए.के. सिंह ने बताया कि प्रदेश में डेंगू से होने वाली मृत्यु दर एक फीसद से भी नीचे आ गई है। जहां वर्ष 2011 में 3.2 फीसद थी,वहीं पांच साल बाद 2016 में मृत्यु दर घटकर 0.28 फीसद और 2018 में 0.10 फीसद आ गई। हालांकि वर्ष में 2019 में इसमें कुछ बढ़त दिखी। यह 0.25 प्रतिशत तक आई लेकिन वर्ष 2022 में  वापस घटकर यह 0.17 फीसद पर आ गई।

डा. सिंह ने बताया कि सामान्यतया यह बीमारी मानसून या उसके बाद के महीनों में फैलती है। डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है। इसके वायरस की कोई विशेष दवा नहीं होने से लक्षणों के आधार पर इसका प्रबंधन किया जाता है। सबसे पहले बीमारी की पुष्टि की जाती है। इसके लिए जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर फीवर डेस्क स्थापित की गई। साथ ही इलाज के लिए संचरण के दौरान डेंगू वार्ड बनाए गए। जहां पर डेंगू पीड़ितों के लिए मच्छरदानी लगे बेड आरक्षित किए गए। साथ ही डेंगू के गंभीर मरीजों के लिए उच्च  स्वास्थ्य केंद्रों पर संदर्भन की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई।

वेक्टरजनित रोग (वीबीडी) के संयुक्त निदेशक डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि डेंगू सहित अन्य वेक्टरजनित बीमारियों से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से साल में तीन बार विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाता है। इसके तहत मच्छरजनित परिस्थितियां न उत्पन्न हों इसके लिए विभिन्न  विभागों के सहयोग से गतिविधियां भी की जाती हैं। डेंगू एक मच्छर जनित रोग है। जो डेंगू वायरस से होता है। डेंगू मादा प्रजाति एडीज एजिप्टाई नामक मच्छर से फैलता है। इस मच्छर की यह विशेषता है कि एक बार डेंगू वायरस से संक्रमित होने के बाद जब यह अंडे देता है तो वह अंडे भी डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं। इन अंडों से बनने वाले मच्छर भी संक्रमित होते हैं जो रोग फैला सकते हैं। इसके अंडे एक वर्ष तक जीवत रह सकते हैं। सूखा अंडा पानी पाते ही नए मच्छर तैयार कर देता है।

मच्छर से बचाव ही सर्वोत्तम : डेंगू बुखार से ठीक हो चुकी हिंद नगर निवासी ईशा बताती हैं कि उन्हें पिछले साल अक्टूबर में दो तीन दिन तक तेज बुखार आया था। उन्होंने स्वयं कोई दवा नहीं ली। चिकित्सक की सलाह पर सबसे पहले जांच कराई। डेंगू की पुष्टि होने पर नियमित दवाएं लीं और खूब पानी और तरल पदार्थों जैसे नारियल पानी, फलों का रस का सेवन किया। पांच से छह दिन में मैं पूरी तरह से ठीक हो गई। मैं इस बात का पूरा ध्यान रखती हूँ कि घर में कहीं भी चाहे वह ड्राइंग रूम में रखा मनी प्लांट का पौधा ही क्यों न हो, उसमें पानी इकट्ठा न रहने पाए | जिससे की मच्छर न पनपने पाएं ।

जानकीपुरम निवासी पृदधि मिश्र ने बताया कि डेंगू बुखार होने पर डर तो बहुत लगा था लेकिन नियमित तरल आहार और दवा लेने से एक हफ्ते के अंदर ही मैं स्वस्थ हो गई। अब तो हर रविवार घर के सारे कबाड़ बेंच देती हूं और उस दिन घर की कायदे से सफाई करवाती हूं। मैं सभी से अपील करूंगी कि मच्छर से दूर रहिए तो यह बीमारी पास नहीं आएगी।

डेंगू से बचाव : डेंगू  बचाव के लिए सबसे पहले आसपास जलजमाव होने से रोकें। इससे बचाव के लिए सप्ताह में एक दिन एंटी ड्राई डे "हर रविवार मच्छर पर वार" के रूप में मनाएं ।सभी पानी की टंकियों को ठीक से बंद होने वाले ढक्कनों से ढकें जिससे मच्छर न पनपने पाएं। फ़ूल दान, पौधों के बर्तन, फ्रिज की ट्रे, चिड़ियों के लिए या एकत्रित जल को हर सप्ताह बदलें । पूरी बांह के कपड़े पहने, सोते समय  मच्छरदानी, मच्छर रोधी क्रीम या क्वायल  का प्रयोग करें । घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगवाएं ।घर और घर के आस पास अनावश्यक पानी का ठहराव न होने दें। टूटे बर्तन, टायर और शीशी को खुला नहीं छोड़ें। बुखार होने पर स्वयं कोई दवा नहीं लें।

देश के सभी राज्यों में है डेंगू : विश्व के 100 से अधिक देशों को डेंगू प्रभावित कर चुका है। इन देशों में 40 प्रतिशत से अधिक आबादी डेंगू प्रभावित इलाकों में रहती है। वहीं भारत के करीब सभी राज्यों में  इसका प्रभाव है।

राष्ट्रीय डेंगू दिवस : हर साल 16 मई को किसी ने किसी थीम के साथ राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है । इस वर्ष मनाये जाने राष्ट्रीय डेंगू दिवस की थीम है - डेंगू को हराने के लिए मजबूत साझेदारी करें (“Harness partnership to defeat Dengue") | इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी से बचाव एवं खतरे के लक्षणों के बारे में जागरूक करना है ।