घर-घर शुरू हुई टीबी रोगियों की खोज



  • 24 फरवरी से 5 मार्च तक घर-घर जाकर खोजे जाएंगे टीबी मरीज
  • 9.82 लाख की आबादी के बीच चलेगा अभियान, 255 टीमें और 60 सुपरवाइजर तैनात

कानपुर नगर - राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सक्रिय टीबी रोगी खोजो अभियान (एसीएफ) शुक्रवार से शुरू हो गया। इस बार मलिन बस्तियों व उच्च जोखिम जनसंख्या (एचआईवी एवं डायबिटीज़) की कुल आबादी के सापेक्ष 20 प्रतिशत यानी 9.82 (9,82,441) लाख को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।  उधर, चार दिनों तक उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों जेल, नवोदय विद्यालय, मदरसा और वृद्धाश्रम में टीमों ने टीबी रोगियों की खोजबीन की।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ एपी मिश्रा ने बताया कि जनपद में 24 फरवरी से पांच मार्च तक सक्रिय टीबी रोगी खोजे जाएंगे। इस अभियान में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों, मलिन बस्तियों आदि पर ज़ोर दिया जा रहा है। उन्होंने जनमानस से अपील की कि टीबी रोग छिपाने से ठीक नहीं होगा। टीबी के लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द जांच करानी चाहिए। टीबी की पुष्टि होने के बाद डॉक्टर के परामर्श पर सम्पूर्ण उपचार के साथ पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

एनटीईपी के जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि समाज में कुछ ऐसे क्षयरोगी हैं जो अज्ञानता और भय के कारण सामने नहीं आ रहें हैं। ऐसे छुपे हुए लोग खुद तो बीमारी का शिकार होते ही हैं और दूसरों को भी प्रभावित करते हैं। ऐसे ही छुपे हुए लोगों को खोजने और उनको सही परामर्श देकर इलाज कराने हेतु यह अभियान जनपद की कुल 12 टीबी यूनिट के माध्यम से शुरु हो गया है। अभियान के लिए कुल चिन्हित क्षेत्रों के 1,96,488 घरों में क्षय रोगियों की खोज के लिए 255 टीम तैयार की गई हैं, जो घर-घर जाकर टीबी रोगियों को खोजने का कार्य कर रही हैं। इस दौरान 50 सुपरवाइजर और 11 मेडिकल ऑफ़िसर लगे हैं जो टीमों की निगरानी कर रहे हैं । टीम के निरीक्षण में लक्षण मिलने पर सर्वे टीम उसी समय व्यक्ति के बलगम का नमूना लेकर जांच के लिए भेजेंगी। रोग की पुष्टि होने पर दो दिन के भीतर व्यक्ति का उपचार शुरू हो जाएगा। यदि व्यक्ति में रोग की पुष्टि होती है तो सर्वे टीम को 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी ।

उन्होंने जनमानस से अपील की कि अभियान के दौरान अगर टीम किसी के दरवाजे पर पहुंचती है तो उनका सहयोग करें, सही जानकारी प्रदान करें, ताकि क्षय रोगियों का चिन्हीकरण करके उसका इलाज कराया जा सके और जिले को क्षय मुक्त बनाया जा सके।

इलाज के लिए जिले में उपलब्ध सुविधाएं : राजीव सक्सेना ने बताया कि जिले में कुल 26 टीबी यूनिट हैं। 42 माइक्रोस्कोपिक सेंटर हैं जहां बलगम की जांच होती है। चार सीबीनाट व 13 ट्रूनाट मशीन हैं। चार बेड का डीडीआरटीबी एक सेंटर है। वर्तमान समय में जिले में आठ हज़ार के करीब क्षय रोगी हैं। सभी को निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये उनके खाते में दिए जा रहे हैं।