शिवराज सरकार ने नौ साल में 7.43 लाख बुुजुर्गों को कराई तीर्थों की यात्रा



भोपाल -  जीवन में हर कोई चाहता है कि बच्चों की जिम्मेदारी से मुक्त होकर बुढ़ाने में तीर्थों की यात्रा करके इस भवसागर से पार पाया जा सके। लेकिन कई बुजुर्गों का यह सपना इसलिए पूरा नहीं हो पाता था कि उनके सामने पैसों की कमी आ जाती थी। इन बुजुर्गों के आंसू पोंछने का काम प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्रवणकुमार बनकर किया। उन्होंने बुजुर्गों को तीर्थयात्रा कराने के लिए मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना शुरु किया था।

इस योजना के तहत पिछले नौ सालों में 7.43 लाख बुजुर्गों को देश के कोने-कोने के तीर्थों के दर्शन कराए जा चुके हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2012 में बजुर्गों को देश के तीर्थों की यात्रा कराने के लिए मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना शुुरु की थी। जिसके तहत बजुर्गों को ट्रेनों के माध्यम से नि:शुल्क यात्रा कराई जाती है। 2020 में कोरोना के आ जाने से इस योजना को फिलहाल टाल दिया गया था। इन नौ सालों में प्रदेश के 7.43 लाख बुजुर्ग देश के विभिन्न तीर्थों की यात्रा कर चुके हैं। इसके लिए 740 ट्रेनों का उपयोग किया गया। दिसम्बर 2018 से मार्च 2020 के बीच प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने की वजह से योजना पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। हालांकि उसके बाद कोरोना महामारी आ गई जिसकी वजह से योजना को फिलहाल कुछ समय के लिए टाल दिया गया। इन स्थानों की होती है यात्रा - श्री द्वारकापुरी, काशी-गया, बद्रीनाथ, अमृतसर, वैष्णोदेवी, जगन्नाथपुरी, हरिद्वार-ऋषिकेश, दरनाथ, पुरी-गंगासागर, द्वारािकापुरी, तिरुपति, श्री कालहस्ती, हरिद्वार, द्वारका-सोमनाथ, रामेश्वरम-मदुरई, अमरनाथ, शिर्डी, अजमेर शरीफ, तिरपुति श्रवणबेलगोला, काशी (वाराणसी), अमृतसर, गया, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, कामाख्या देवी, उज्जैन, मैहर, श्री रामराजा मंदिर ओरछा, चित्रकूट, ओंकारेश्वर, महेश्वर और मुड़वारा, वेलाकानी चर्च (नागापट्टनम), पटना साहिब, गंगा सागर, गिरनान जी आदि तीर्थस्थल शामिल हैं। मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में पात्रता के लिए मध्यप्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है। तीर्थ-यात्री की उम्र 60 वर्ष से अधिक होना चाहिए। महिलाओं के संदर्भ में दो वर्ष की छूट दी जाती है। तीर्थ-यात्री आयकरदाता न हो और शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम होना चाहिए। किसी संक्रमण रोग से ग्रस्त न हो, यह भी आवश्यक है। यात्रा के लिए सक्षम 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग वयक्ति के लिए आयु सीमा का बंधन नहीं है। योजना में जो व्यक्ति तीर्थ-यात्रा कर आए हैं, वे पाँच वर्ष बाद ही पुन: यात्रा के लिए पात्र होंगे। योजना के संचालन के लिए आईआरसीटीसी को एजेंसी बनाया गया है। तीर्थ-यात्रियों की सुविधा का जिम्मा भी आईआरसीटीसी का ही है। तीर्थ-यात्रियों की पंजीयन प्रक्रिया को पूर्णत: पारदर्शी और ऑनलाइन करने के लिए मैप आईटी एक पोर्टल भी बना रहा है। ट्रेन के टूर पैकेज में ऑन बोर्ड एवं ऑफ बोर्ड पर भेाजन, सउ़क परिवहन, बजट, आवास, टूर एक्सकटर््स भी शामिल हैं। तीर्थ-यात्रियों को सुबह और शाम की चाय और यात्रा के दौरान फलाहार भी करवाया जाता है। राज्य शासन द्वारा एक चिकित्सक और सहायक के साथ औषधियों की व्यवस्था भी ट्रेन में की जाती है। सुरक्षा के लिए रेलवे के सुरक्षा बल के साथ ही राज्य सरकार अपने सुरक्षाकर्मी भी भेजती है।