कुपोषण की रोकथाम के लिए शुरू हुआ ‘संभव 3.0’



  • बच्चों व गर्भवती के स्वास्थ्य को सुदृढ़ करेगा अभियान
  • विभिन्न गतिविधियों से संवारी जाएगी गर्भवती और शिशुओं की सेहत

बाराबंकी - गर्भवती और छह साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी और उन्हें जरूरी सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बाराबंकी समेंत पूरे प्रदेश में जून माह से सितंबर तक संभव 3.0 अभियान चलाया जा रहा है। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग अन्य विभागों के सहयोग से अति कुपोषित यानी (सैम) एवं कुपोषित यानि (मैम) से ग्रसित बच्चों को चिन्हित कर उपचार व संदर्भन किया जा रहा है। अभियान के तहत अभी 3275 कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया गया है। इसमें से 25 बच्चें अति कुपोषित मिलने पर उनका उपचार शुरू किया गया है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) निधि सिंह ने बताया कि पिछले दो वर्षों के अभियान की सफलता व परिणाम के आधार पर जून से  सितंबर तक ‘सम्भव 3.0’ अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत आंगनबाडी कार्यकर्ता पहली तिमाही की गर्भवती का वजन व ऊचांई मापेंगी। अगर वजन 45 किलोग्रम से कम है और ऊंचाई 145 सेमी से कम है, उस स्थिति में गर्भवती  कुपोषित मानी जाएगी। गर्भवती के एमसीपी कार्ड में हिमोग्लोबिन 11 ग्राम से कम है तो एनीमिया प्रबंधन के लिए चिकित्सकीय व्यवस्था की जाएगी। गर्भवती और शिशु स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए यह अभियान चार माह तक चलेगा। अभियान के तहत समस्त विकास खंडों में 30 सितंबर तक अभियान के दौरान पोषण व स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।

डीपीओ ने बताया अभियान के तहत बच्चों की नाम वार सूची गांव की आशा, एएनएम, ग्राम प्रधान व संबंधित कन्वर्जेंस विभागों के साथ साझा करेंगी। ऐसे  बच्चों को स्वास्थ्य जांच के लिए ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) पर लेकर आएंगी। जो बच्चे गंभीर होंगे, उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र अथवा ब्लॉक चिकित्सा इकाई पर भेजा जाएगा।

उन्होने बताया कि इस अभियान को तीन मुख्य मासिक थीम एवं साप्ताहिक थीम के रूप में विभाजित किया गया है। जून माह में गर्भवती और शिशु की जांच की जाएगी, सैम मैम बच्चों का चिन्हांकन किया जाएगा। जुलाई को स्तनपान प्रोत्साहन माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसके अंतर्गत प्रत्येक सप्ताह स्तनपान से जुड़ी जन जागरूक गतिविधियां की जाएंगी। अगस्त को ऊपरी आहार माह के रूप में मनाया जाएगा। प्रत्येक सप्ताह ऊपरी और अर्ध ठोसाहार के बारे में जागरूक किया जाएगा।

पोषण चौपाल का होगा आयोजन : अगस्त में ही पोषण चौपाल का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही सितंबर को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा, जिसमें हर सप्ताह पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता व शिक्षा से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। सुपोषण दिवस का पोषण उत्सव व पोषण पंचायत का आयोजन होगा। अभियान की मासिक थीम पर विषय-विशेषज्ञों द्वारा आवश्यक परामर्श के लिए ‘पोषण पाठशाला’ का आयोजन भी किया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका मासिक थीम के आधार पर गृह भ्रमण कर समुदाय को जागरूक करेंगी।

संभव अभियान के दौरान जिलावार सीएसआर ,गैर सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों जो पोषण संबधित गतिविधियां जैसे बाल, किशोरी और महिला पोषण ,आंगनवाड़ी का सौदर्यीकरण, पोषण वाटिका, के निर्माण आदि में निवेश करने के इच्छूक है। उन संगठनों को सूचीबद्ध कराया जाएगा। इसके लिए जिलाधिकारी व सीडीओ के नेतृत्व में पोषण फोरम बनाया जाएगा।

संभव की सफलता के लिए अर्न्तविभागो की भी सक्रियता : आईसीडीएस विभाग को इस अभियान का नोडल विभाग बनाया गया है। अभियान के सफलतापूर्वक संचालन में स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग, ग्राम्य विकास विभाग (मनरेगा व अजीविका मिशन), शिक्षा, खाद्य एवं रसद, पशुपालन, उद्यान एवं आयुष विभाग के साथ संस्थाएं भी समन्वयक स्थापित कर सहयोग करेंगी। इसमें स्वास्थ्य विभाग कुपोषित बच्चों की वीएचएनडी के माध्यम से जांच व आवश्यकतानुसार उपकेंद्र या एनआरसी भेजना सुनिश्चित करेंगे।

गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच के साथ आयरन फॉलिक एसिड, कैल्शियम एवं एल्बेंडाजोल की गोलियों का वितरण सुनिश्चित करेंगी। वहीं शिक्षा विभाग हर माह स्कूलों में पोषण परामर्श सत्र का आयोजन करेंगे। छात्र-छात्राओं को साप्ताहिक आयरन और छमाही एल्बेंडाजोल गोली खिलाएंगे।