लखनऊ। उत्तर प्रदेश को औद्योगिक निवेश का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने एक और बड़ा कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर औद्योगिक विकास विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में पांचवीं ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी-05) की तैयारियों की समीक्षा करते हुए कहा कि नवम्बर माह में होने वाला यह आयोजन प्रदेश के औद्योगिक विकास का नया मील का पत्थर साबित होगा। इसमें 05 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निजी निवेश परियोजनाओं की नींव रखी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते साढ़े आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” के मंत्र पर चलते हुए औद्योगिक क्रांति का नया इतिहास रचा है। अब तक चार ग्राउण्ड ब्रेकिंग सेरेमनी आयोजित की जा चुकी हैं, जिनके माध्यम से 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं धरातल पर उतरी हैं। इनसे 60 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार मिला है।
मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट कहा कि जीबीसी-05 की तैयारियों में किसी प्रकार की शिथिलता नहीं होनी चाहिए और प्रत्येक निवेश प्रस्ताव की प्रगति की समयबद्ध मॉनिटरिंग की जानी चाहिए।बैठक में भूमि आवंटन और अधिग्रहण की प्रक्रिया पर भी विस्तार से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि किसी भी व्यक्ति की जीवन भर की पूंजी और भावनात्मक धरोहर होती है, इसलिए अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी तरह संवाद और सामंजस्य से होनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि किसानों को अच्छा मुआवजा मिले और किसी भी स्तर पर उत्पीड़न की शिकायत न आए। औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को वर्तमान मुआवजा दरों में बढ़ोतरी पर भी विचार करने को कहा गया ताकि किसानों और निवेशकों दोनों का हित सुरक्षित रह सके।निर्यात को गति देने की रणनीति पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा या यमुना अथॉरिटी में एक फिनटेक हब विकसित किया जाए, जहां बड़े बैंकिंग संस्थानों के कार्यालय हों। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के निर्यात को और मजबूत करने के लिए नियोजित प्रयासों की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चेतावनी दी कि जो औद्योगिक इकाइयाँ भूमि आवंटन के बाद तीन वर्षों तक उसका उपयोग नहीं करेंगी, उनकी भूमि आवंटन रद्द कर दी जाएगी और वह भूमि अन्य इच्छुक निवेशकों को दी जाएगी। निवेशकों की सुविधा के लिए मुख्यमंत्री ने निवेश मित्र और निवेश सारथी पोर्टलों को और अधिक सहज बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि छोटे से छोटा निवेशक भी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर न हो। इसके साथ ही 22 सितम्बर से लागू होने वाले नए जीएसटी सुधारों का लाभ आम नागरिक तक सीधे पहुँचना चाहिए।
बैठक में सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित विशेष रोजगार ज़ोन की योजना पर भी विचार हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जनपदों में कम से कम 100 एकड़ भूमि पर रोजगार ज़ोन स्थापित किए जाएं। ये क्षेत्र उद्योग, निवेश, उद्यमिता, नवाचार, कौशल विकास और रोजगार का हब बनेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह कार्ययोजना पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल साबित होगी।वर्ष 2025-26 के लिए राज्य ने विनिर्माण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) लक्ष्य 05 लाख करोड़ रुपये रखा है। इसके लिए 8,000 नई अथवा विद्यमान औद्योगिक इकाइयों का पंजीकरण आवश्यक है। अभी तक 1,354 इकाइयों का पंजीकरण हो चुका है। मुख्यमंत्री ने श्रम सुधारों को और तेज करने तथा अप्रयुक्त औद्योगिक भूखण्डों को सक्रिय करने पर जोर दिया।
बैठक के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की पहचान अब सिर्फ उपभोक्ता राज्य की नहीं, बल्कि निवेश और उत्पादन के केंद्र की है। जीबीसी-05 के सफल आयोजन से यह संदेश और प्रबल होगा कि उत्तर प्रदेश आज देश के औद्योगिक मानचित्र पर सबसे अग्रणी स्थान पर है।