धरती माता को स्वस्थ बनाएं, जीवन में खुशहाली लाएं : डॉ. हीरा लाल



  • पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) पर विशेष

लखनऊ । पृथ्वी जल, जंगल (पेड़) और जमीन (मिट्टी) से बनी है। इन तीनों के स्वस्थ होने से ही मनुष्य स्वस्थ बन सकता है। जल हमें पृथ्वी से प्राप्त होता है। पानी नदियों, तालाबों, कुओं, मिट्टी और कई अन्य जल निकायों में रहता है। पेड़ और जंगल हमें अनवरत हवा (ऑक्सीजन) प्रदान करते हैं और हमारे चारों ओर एक स्वस्थ और खुशहाल वातावरण बनाते हैं। ज़मीन हमारे लिए खाद्य पदार्थ पैदा करती है। हम आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए, इसका सेवन करते हैं। हमें अधिक मात्रा में गुणवत्तापूर्ण भोजन की आवश्यकता है। मिट्टी की उर्वरता एवं गुणवत्ता खराब हो रही है। खाद्य उत्पादन के लिए जगह कम होती जा रही है। इससे हमारी खाद्य आपूर्ति की उपलब्धता प्रभावित हो रही है। इसलिए इन तीनों के स्वास्थ्य को उनके मानकों के अनुरूप बनाए रखना हम सभी के लिए अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमारा अस्तित्व संकट में पड़ जायेगा। पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) की पूर्व संध्या पर यह कहना है आईएएस अधिकारी डॉ. हीरा लाल का। धरती माता को स्वस्थ बनाने के प्रति जागरूकता के लिए ही हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है । इस साल इस दिवस की थीम है “ग्रह बनाम प्लास्टिक”। इसका मतलब है कि प्लास्टिक के कचरे से बढ़ते प्रदूषण से धरती माता को बचाना है।  

डॉ. हीरा लाल का कहना है कि जल के बिना जीवन नहीं है। जल की गुणवत्ता एवं मात्रा की उपलब्धता दिन-ब-दिन घटती जा रही है। यह हम सभी के लिए संकट की स्थिति का संकेत देता है और हम अपने अस्तित्व के खतरनाक क्षेत्र में जा रहे हैं। जल हम सभी से जुड़ा है, तो इसका समाधान हम सभी के पास है। हम सभी को वर्षा ऋतु में एक वर्ष में उतना पानी बचाना चाहिए, जितना हम एक वर्ष में उपभोग करते हैं। यह काम सभी को मिलकर करना होगा। अगर हमें लगता है कि यह काम सिर्फ सरकार, सीएसओ, एनजीओ का है तो इस मानसिकता को बदलना होगा ।

स्वस्थ जीवन के लिए हमें गुणवत्तापूर्ण वायु (ऑक्सीजन) की आवश्यकता होती है। कोरोना ने हमें हवा का महत्व बताया है। ऑक्सीजन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों तेजी से कम हो रही है। यह हमारी स्थिरता के विरुद्ध एक मजबूत संकेतक है। हमें ऑक्सीजन फैक्ट्री लगाकर इस स्थिति से निपटने की जरूरत है। 'पेड़ ऑक्सीजन पैदा करने की फैक्ट्री हैं। हमें पेड़, लगाने होंगे और उनको जिन्दा रखना होगा। हममें से प्रत्येक को उतनी ऑक्सीजन का उत्पादन करना चाहिए जितनी हम एक वर्ष में उपभोग करते हैं। इसमें सभी को सार्वजनिक हित में ऑक्सीजन पैदा करने में योगदान देना होगा।

ज़मीन हमें जीवंतता के लिए विभिन्न प्रकार की ऊर्जा प्रदान करती है। ऊर्जा प्राप्त करने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के भोजन की आवश्यकता होती है। विविध भोजन के उत्पादन के लिए हमें विशाल उपजाऊ भूमि की आवश्यकता है। उर्वरता एवं खाद्यान्न उत्पादन का क्षेत्र घट रहा है। यह अच्छे लक्षण नहीं हैं। भोजन का दुरुपयोग, अपव्यय और अति प्रयोग से बचने की जरूरत है। हमें मल्टीक्रॉपिंग और मल्टीलेयर खेती को अपनाना होगा। जल-जंगल-जमीन के साथ अत्याचार हुआ है। परिणामस्वरूप, पृथ्वी गंभीर रूप से बीमार है। यह न तो स्वस्थ है और न ही खुश है। इसलिए, पृथ्वी हमें पानी, ऑक्सीजन और भोजन प्रदान करने में सक्षम नहीं पा रही है। हमारा अस्तित्व अब संकट में है, लेकिन हमें इस स्थिति का अहसास नहीं है। यह सबसे खतरनाक स्थिति है। हमें यह समझना होगा कि 'पृथ्वी' सबके लिए है, और सभी की है। हम सभी संकट में हैं क्योंकि हमारी धरती माता बीमार हैं। हमारी धरती माता हमारा पालन-पोषण ठीक से नहीं कर पा रही हैं। हमें खुद को बचाने के लिए, अपनी धरती का उपचार बिना किसी देरी के शुरू करना होगा।