एमएमडीपी किट के शत प्रतिशत वितरण के निर्देश



  • जनपदों में बांटी जाएंगी शत प्रतिशत एमएमडीपी किट
  • आयुष्मान मेला में भी दी जाएगी एमएमडीपी किट
  • स्वास्थ्य केंद्रों पर हर शनिवार, रविवार को लगता है आयुष्मान मेला

लखनऊ - फाइलेरिया मरीजों को दी जाने वाली मोरबिटी मैनेजमेंट एंड डिजेबिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) किट अब आयुष्मान मेला में भी मिल सकेगी। इस किट में बाल्टी, बाथ टब, मग, साबुन, तौलिया और क्रीम वितरित की जाती है। जनपदों में हर शनिवार को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर और रविवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आयुष्मान मेला आयोजित हो रहे हैं।

गत वर्ष केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य तय किए थे। लक्षित वर्ष 2027 तक फाइलेरिया को उपेक्षित बीमारी से प्राथमिकता की श्रेणी में लाने के उद्देश्य से कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में एनएचएम की मिशन निदेशक डॉ पिंकी जोयल ने जनपदों को भेजे पत्र में निर्देश दिया है कि जनपद में शत प्रतिशत फाइलेरिया रोगियों को चिन्हित कर सभी को एमएमडीपी किट वितरित की जाए। पत्र के अनुसार प्रदेश में वर्तमान में लिम्फ़ोडिमा के 95097 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 24207 मरीज हैं जिसमें 6928 मरीजों के हाइड्रोसील का ऑपरेशन हो चुका है। 41721 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी है। जो लक्ष्य के मुकाबले 44 प्रतिशत है। फाइलेरिया प्रभावित हर जिले को कम से कम हर वर्ष 500 एमएमडीपी किट मुहैया कराई जा रही है। एमएमडीपी किट वितरण में संतकबीर नगर, कुशीनगर और प्रतापगढ़ ने बेहतर काम किया है। यहां क्रमशः 100 प्रतिशत, 99 प्रतिशत व 98 प्रतिशत किट वितरित की गई हैं। वहीं गोंडा में शून्य प्रतिशत, उन्नाव में एक प्रतिशत और अंबेडकरनगर में 10 प्रतिशत एमएमडीपी किट वितरित की गई हैं।

अपर निदेशक, मलेरिया, डॉ भानु प्रताप सिंह कल्याणी ने बताया कि मच्छर जनित रोगों से हम सभी को बचाव करना चाहिए। मच्छर से बचने के प्रति लोग जितने जागरूक होंगे बीमारियां उतनी ही कम होंगी। उन्होंने बताया कि 10 फरवरी 2024 से सर्वजन दवा सेवन अभियान प्रदेश के 18 जिलों में चलेगा। इनमें से स्वास्थ्य कर्मी अपने सामने ही 13 जिलों में त्रिपल ड्रग और 5 में डबल ड्रग का सेवन कराएंगे। उन्होंने आमजन से अपील भी की है कि फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कर प्रदेश को फाइलेरिया मुक्त बनाने में सहयोग करें।

फाइलेरिया को हाथीपांव भी कहते हैं, यह क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इस बीमारी को देश से समाप्त करने के लिए वर्ष 2027 तक लक्ष्य तय किया गया है। फ़ाइलेरिया रोग का कोई इलाज नहीं लेकिन इससे बचाव संभव है। फाइलेरिया किसी भी व्यक्ति को दिव्यांग बना सकता है। यह शरीर के लटके हुए अंगों जैसे पैर, हाथ, अंडकोश और स्तन को प्रभावित करता है। ध्यान रहे कि संक्रमित व्यक्ति को सफाई के बाद त्वचा को रगड़ना नहीं चाहिए बल्कि धुलाई के बाद त्वचा को सिर्फ सुखना चाहिए। सबसे अहम बात यह कि व्यक्ति में मच्छर के काटने से संक्रमित होने के बाद बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 10-15 वर्ष लग जाते हैं। यह बीमारी ज्यादातर बचपन में लोगों को प्रभावित करती है। फ़ाइलेरिया से बचाव की दवा अगर हर व्यक्ति खा ले तो समाज में संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है। इसलिए ईमानदारी से सभी को यह दवा जरूर खानी चाहिये। सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान या फाइलेरिया अभियान साल में दो बार फाइलेरिया प्रभावित जिलों में चलाया जाता है। यह अभियान हर वर्ष अगस्त एवं फरवरी माह में चलता है।