जलवायु परिवर्तन और जागरूकता पर गहन मंथन



  • डॉ. हीरा लाल ने कहा- प्लास्टिक से दूरी बनाना सेहत व पर्यावरण के लिए जरूरी

नई दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के सेंटर फॉर इनोवेशन एंड सोशल इंटरप्राइज (सीआईएसई) के तत्वावधान में सोमवार को जलवायु परिवर्तन और जागरूकता पर गहन मंथन हुआ। इस महत्वपूर्ण पैनल चर्चा में विभिन्न क्षेत्रों की दिग्गज हस्तियों ने अपने विचार रखे और इस दिशा में शीघ्र उचित कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया। पैनल डिस्कशन का विषय था- "समावेशी और सतत विकास : जलवायु परिवर्तन के लिए जागरूकता व एडवोकेसी पर ध्यान केन्द्रित करना।“ इस मौके पर सहारनपुर के थरोली गाँव में किये गए प्रयोग व अनुसन्धान की रिपोर्ट ‘परिप्रेक्ष’ भी प्रस्तुत की गयी। इस मौके पर थरोली गाँव पर स्टडी करने वाले छह विद्यार्थियों को प्रशंसा पत्र प्रदान कर हौसलाअफजाई की गयी ।   

पैनल डिस्कशन में प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के सिंचाई विभाग के विशेष सचिव व मॉडल गाँव प्रोजेक्ट के मेंटर डॉ. हीरा लाल, आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सलाहकार सौरभ कांत सिंह, सुप्रीम कोर्ट के वकील व पर्यावरण कानून प्रैक्टिशनर शवाहिक सिद्दीकी और सामाजिक कार्यकर्ता संदीप चौधरी शामिल रहे। विशेषज्ञों ने प्लास्टिक मुक्त और हरित कैम्पस, सतत ग्रामीण विकास और सतत व समावेशी विकास के लिए भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं के मध्य मूल्यवान दृष्टिकोण साझा किया। किरोड़ीमल कालेज के सीआईएसई केंद्र की प्रभारी डॉ. रूपिंदर ओबेरॉय के नेतृत्व में शुरू हुई इस तरह की महत्वपूर्ण पहल की अतिथियों ने तारीफ़ की और इस तरह के नवप्रयोग भविष्य में भी जारी रखने की कामना की। इस मौके पर डॉ. हीरा लाल ने प्लास्टिक को सेहत और पर्यावरण के लिए घातक बताया और कहा कि इससे दूरी बनाने में ही खुद के साथ देश और समाज की भलाई है। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सलाहकार सौरभ कांत सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या का समाधान सभी को मिलकर निकालना होगा तभी सफलता संभव है। कानूनविद शवाहिक सिद्दीकी ने जलवायु परिवर्तन के लिए देश के मुताबिक़ कानून बनाने की वकालत की ।   

इस मौके पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के थरोली गाँव में विस्तृत क्षेत्र अनुसंधान के प्रभावी मूल्यांकन से तैयार रिपोर्ट "परिप्रेक्ष" का अनावरण किया गया।  पैनल डिस्कशन में शामिल अतिथियों ने रिपोर्ट की तारीफ़ की । उन्होंने कहा कि गाँव में वह सब कुछ मौजूद है जिसका सही इस्तेमाल करते हुए हम अपने-अपने गाँव को मॉडल गाँव का दर्जा दिला सकते हैं ।  इस रिपोर्ट ने यथार्थ रूप से ग्रामीणो के अनुभव और परिवर्तन को दर्शाया है जो मॉडल गाँव परियोजना के द्वारा थरोली की जनता के संघर्ष और आकांक्षाओं को प्राप्त हुए हैं। यह रिपोर्ट थरोली गाँव के निवासियों के जीवन पर आये वास्तविक प्रभाव पर केंद्रित है, जो अन्य सामाजिक पहलों को वास्तविकता में लाने के लिये मूल्यवान दृष्टिकोण प्रदान करती है। गाँव ने समावेशी विकास और सतत प्रथाओं पर केवल महत्वपूर्ण वार्तालापों को ही बढ़ावा नहीं दिया बल्कि युवाओं के नेतृत्व में एक बड़े जन आंदोलन की घोषणा के संदर्भ में एक अहम पल को चिह्नित किया।

किरोड़ीमल कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय ने भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों को अपने-अपने क्षेत्रों में पेड़ों और जल संरक्षण के उपाय अमल में लाने और प्लास्टिक को पूरी तरह से इस्तेमाल से हटाने की संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए इस आंदोलन की शुरुआत की है। पैनल डिस्कशन के बाद डॉ. हीरा लाल व अन्य अतिथियों ने कालेज परिसर में पौध रोपण किया। इसके साथ ही सतत विकास को कायम रखने के प्रति प्रतिबद्धता जताई गई और जलवायु परिवर्तन के लिए जागरूकता को बढ़ावा दिया गया। यह पहल सतत प्रथाओं की महत्ता को साबित करती है और एक हरित, समावेशी भविष्य की ओर सख्त कदम उठाने का प्रत्यक्ष प्रमाण भी है।