रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट की सुविधा, इलाज व निगरानी से मलेरिया नियंत्रित



विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रैल) पर विशेष
वर्ष 2024 में अभी तक कोई भी पॉजिटिव केस नहीं
थीम - "अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना।"

कानपुर नगर, 24 अप्रैल 2024। गर्मी बढ़ते ही मच्छरों की तादाद अचानक से बढ्ने लगती है जोकि कई प्रकार की बीमारियाँ घर पर लाती है। इन संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए जनपद स्तर पर ईडीपीटी (अर्लि डायग्नोस प्रॉम्प्ट ट्रीटमेंट) की खास रणनीति काम कर रही है इस रणनीति के तहत मलेरिया के मरीजों की जल्द से जल्द पहचान कर उनको बेहतर उपचार दिया जा रहा है। जनपद में कार्यरत प्रत्येक आशा बहु मलेरिया जांच के लिए रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) का प्रयोग कर त्वरित उपचार दे रहीं हैं।  जनपद में रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट की सुविधा, इलाज व निगरानी से वर्ष 2024 में जनवरी से लेकर मार्च तक कोई भी मलेरिया पाजिटिव केस नहीं मिला है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा आलोक रंजन का कहना है कि मलेरिया विभाग की टीम पूरे शहर में नियमित रूप से गली मोहल्लों में जाकर फोगिंग और नालियों में लार्वीसाइड स्प्रे छिड़क रही है जिससे ज्यादा से ज्यादा संख्या में मच्छरों को शुरुआती चरण में ही समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा की इस वर्ष  मलेरिया दिवस की थीम "अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना" है। इस अवसर पर नगर में रैलियों और जागरूकता अभियान का आयोजन किया जाएगा जिससे अधिक संख्या में लोग मच्छरों से बचने के लिए जागरूक हो सके, वहीं उनसे होने वाली खतरनाक बीमारियों से भी बच सके।

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया की जिले की कुल जनसँख्या (54.35 लाख) का 10 प्रतिशत लोगों के जांच का लक्ष्य रहता है। आशाओं के द्वारा लोगों को ट्रेस कर उनकी स्लाइड बनाई जा रही है। वर्ष 2024 में अब तक सिर्फ कोई भी पाजिटिव केस नहीं मिला है जो सुखद है। पिछले वर्षों में जो भी केस मिले उन्हें इलाज दिया जा चुका है सभी स्वस्थ हो चुके है।

उन्होंने बताया कि मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, जो एनाफिलीस मादा मच्छर के काटने से फैलती है। इससे निकालने वाला प्रोटोजुअन प्लाज्मोडियम शरीर के ब्लड के साथ मिलने लगता है जिससे धीरे धीरे खून की कमी होने लगती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अगर सही समय पर उचित इलाज तथा चिकित्सकीय सहायता न मिले तो यह जानलेवा हो सकती है। उन्होने बताया कि इन मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए पूरे जनपद में मलेरिया टीम नियमित रूप से नगर के प्रत्येक मोहल्लों एवं गलियों मे जाकर धुआँ और एंटी लार्वीसाइड स्प्रे का छिड़काव कर रही है। उनका कहना है कि मच्छरों को शुरुआती स्टेज में ही खत्म करने पर ज़ोर दिया जाता है जिससे वो नालियों और ठहरे पानी में पनपने ही न पाएँ।

मलेरिया के शुरूआती दौर में सर्दी, जुकाम या पेट की गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं, इसके कुछ समय बाद सिर, शरीर और जोड़ों में दर्द, ठंड लग कर बुख़ार आना, नब्ज़ तेज़ हो जाना, उबकाई, उल्टी या पतले दस्त होना इत्यादि होने लगता है। लेकिन जब बुखार अचानक से बढ़ कर 3 से 4 घंटे तक रहता है और अचानक उतर जाता है इसे मलेरिया की सबसे खतरनाक स्थिति माना जाता है। सभी मच्छर रुके हुये पानी में अंडे देते है। इसलिए रुके हुये पानी के स्थान को भर दें या कुछ बूंद जला हुआ मोबिआइल के तेल की दाल दें। पानी से भरे बर्तन को ढककर रखें। इसके अलावा ईडीपीटी के तहत जिला अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रत्येक दिन ओपीडी की सुविधा मौजूद है जिससे बुखार से पीड़ित व्यक्ति जल्दी से जल्दी अपनी बीमारी की पहचान कर उसका सम्पूर्ण उपचार करा सके। सरकारी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केन्द्रों जांच व उपचार सुविधा निःशुल्क मौजूद है।

‘हर रविवार मच्छरों पर वार’ : कुछ इसी तरह का नारा सरकारी स्कूलों के लिए मलेरिया विभाग द्वारा इजात किया गया है। जनपद के प्रत्येक सरकारी स्कूलों में इस नारे को प्रार्थना के समय नियमित रूप से दोहराया जाता है। बच्चों को बताया जाता है प्रत्येक रविवार वो अपने घर में एक जगह जमा पानी को हटाएँ क्योंकि ये मच्छर हमेशा साफ एवं ठहरे पानी में पनपते है। इसीलिए बच्चों को प्रत्येक सप्ताह जमा पानी निकालने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा बच्चों को इस अभियान से जुडने की भी सलाह दी जाती है जिससे इस रोग को कम किया जा सके। वहीं इन उपायों को अपने घर व पड़ोसियों को भी बताने के लिए संदेश दिये जाते है।

स्वास्थ्य केंद्रों सहित चिकित्सालयों में लगे हैं मलेरिया ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल : इस कार्यक्रम में सहयोग कर रहीं सहयोगी संस्था पाथ सीएचआरआई द्वारा स्वस्थ विभाग के सहयोग से सभी शहरी व ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों सहित 75 से अधिक निजी चिकित्सालयों में जनमानस को मलेरिया से जागरूक करने के लिए मलेरिया ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के पोस्टर्स चस्पा किये गए हैं। आईवीएम समन्वयक सीताराम चौधरी ने बताया की संस्था द्वारा निजी चिकित्सालयों में मौजूद चिकित्सकों व बाल रोग विशेषज्ञों को भी प्रशिक्षित किया गया है जिससे वह त्वरित उपचार दे सकें।

आंकड़ों पर एक नजर (मलेरिया) : जनपद में इस वर्ष 2024 में (जनवरी से मार्च तक) कुल 79632 आरडीटी किट जाँच व स्लाइड बनी जिनमें कोई भी मलेरिया पाजिटिव नहीं मिला है। वहीँ बात करें पिछले वर्ष 2023 की तो कुल 390546 आरडीटी किट जाँच व स्लाइड बनी जिनमें 43 पॉजिटिव मिले| वर्ष 2022 में आरडीटी किट जाँच व स्लाइड बनी 321799 जिनमें 8 पॉजिटिव मिले । वर्ष 2021 में 242713 आरडीटी किट जाँच व स्लाइड बनी जिनमें 15 पॉजिटिव केस मिले।