गोआश्रय स्थलों की व्यवस्थाएं हों बेहतर, भूसा-साइलेज टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से पूरी की जाए : धर्मपाल सिंह



लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि भूसा और साइलेज की टेंडर प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी एवं नियमानुसार सम्पन्न कराई जाए। जहां कहीं भी टेंडर दरों में भिन्नता या अनियमितता की शिकायत प्राप्त हो, वहां जांच कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी गोआश्रय स्थलों में अनुमन्य सुविधाएं पूर्ण रूप से उपलब्ध हों और भरण-पोषण मद में एक माह की अग्रिम धनराशि समय पर उपलब्ध कराई जाए, ताकि गोवंश के पालन-पोषण में किसी प्रकार की कमी न रहे।

उन्होंने कहा कि गोशालाओं में चारा, भूसा, पानी, औषधियों और प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था हर समय बनी रहनी चाहिए। गोआश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सतत प्रयास किए जाएं और इस दिशा में स्थानीय जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी लिया जाए। किसानों और पशुपालकों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने पर भी विशेष बल दिया गया, ताकि वे पशुपालन के क्षेत्र में आर्थिक रूप से सक्षम बन सकें।

पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने सोमवार को विधान भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया कि अवस्थापना कार्यों में गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए और सभी निर्माण कार्य निर्धारित समय में पूरे किए जाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संचालित बड़े गोआश्रय स्थलों की भूमि को पीपीपी मॉडल पर गो पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किए जाने की संभावनाएं तलाशने के लिए ठोस कार्यवाही की जाए एवं अभियान चलाकर 15 दिसम्बर तक खेतों से पराली उठाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। सभी गोआश्रय स्थलों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और पशुचिकित्साधिकारी नियमित रूप से गोशालाओं का निरीक्षण करें। साथ ही, राजमार्गों और प्रमुख स्थलों पर विचरने वाले गोवंश को रेडियम बेल्ट पहनाने के निर्देश भी दिए, ताकि दुर्घटनाओं की संभावना कम हो सके। 

उन्होंने कहा कि निराश्रित गोवंश का संरक्षण और संवर्धन राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है और इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।दुग्ध विकास विभाग की समीक्षा के दौरान धर्मपाल सिंह ने कहा कि प्रदेश में दुग्ध समितियों की संख्या बढ़ाई जाए और समिति के सदस्यों को कम से कम दो पशु पालने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। किसानों और पशुपालकों को प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे आधुनिक तकनीक और योजनाओं का लाभ उठा सकें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि प्रत्येक गांव में दुग्ध समिति गठन का कार्य तेजी से पूरा किया जाए तथा राज्य सरकार द्वारा पशुपालन और दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए संचालित योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।

बैठक में दुग्ध विकास विभाग के विशेष सचिव राम सहाय यादव, पशुपालन विभाग के निदेशक प्रशासन एवं विकास डॉ. योगेन्द्र पवार, निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र डॉ. मेमपाल सिंह, यूपीएलडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. पी.के. सिंह, अपर निदेशक डॉ. संगीता तिवारी तथा संयुक्त निदेशक डॉ. पी.के. सिंह सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।