एम्बुलेंस कर्मियों की सूझ –बूझ से बची जच्चा-बच्चा की जान



  • ग्रामीणों और परिवार वालों ने अदा किया शुक्रिया 

हरदोई, 15 अप्रैल 2021 - एक बार  फिर  102 एम्बुलेंस ने जच्चा-बच्चा की जान बचाकर अपने जीवनदायिनी होने की अहमियत को साबित कर दिया है  | जिले के अहिरौरी ब्लाक के ग्राम बेल्हा में मंगलवार को एम्बुलेंस 102 के इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) सच्चिदानंद और पायलट मंगलराम  की सूझ –बूझ से गर्भवती सीता देवी को सुरक्षित प्रसव हुआ | जच्चा - बच्चा दोनों ही सुरक्षित हैं | गाँव वालों और परिवार वालों ने 102 एम्बुलेंस के कर्मचारियों की सराहना की है |

प्रसूता के पति अवध किशोर कहते हैं – एम्बुलेंस कर्मी बधाई के पात्र हैं क्योंकि उनके कारण ही मेरी पत्नी और बच्ची सुरक्षित हैं | मैं उन सभी का धन्यवाद करना चाहता हूँ | आशा कार्यकर्ता अम्बिका ने बताया कि प्रसूता के परिवार के सदस्यों ने उन्हें देर से सूचना दी तब उन्होंने एम्बुलेंस को काल किया जब तक एम्बुलेंस आती तब तक प्रसूता की तकलीफ बढ़ चुकी थी | गाँव में ही पर्दा लगाकर  सड़क पर सच्चिदानंद और  मंगल राम ने प्रसव कराया | उनकी सूझ बूझ से ही सुरक्षित प्रसव् हुआ | जच्चा और बच्चा दोनों ही स्वस्थ  हैं  और अब वह अस्पताल से घर पहुँच गए हैं | 

ईएमटी सच्चिदानंद बताते हैं कि काल करने के 14 मिनट के भीतर  एम्बुलेंस गर्भवती के घर पहुँच गयी थी,   जब हम पहुंचे तो महिला इस स्थिति में नहीं थी कि अस्पताल तक पहुँच पाती तब हमने उनके परिवार और पड़ोस के लोगों से इजाजत  लेकर वहीँ पर ही प्रसव कराने का निर्णय लिया क्योंकि अगर हम अस्पताल  तक जाने का प्रयास करते तो दिक्कत बढ़ सकती थी | हमें इस तरह की विषम परिस्थितियों से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाता है |   हमने पायलट मंगलराम की मदद से महिला का गाँव में ही प्रसव कराया | प्रसव के बाद बच्चा रोया नहीं क्योंकि उसके गले में नाल फंसी हुयी थी | हमने क्लैंप की मदद से नाल काटी तो एक बार बच्चा रोया | इसके बाद देखा तो बच्चे के मुंह में गंदगी भर गयी थी जिसकी  सफाई की | इसके बाद  बच्चे को साफ़ कपडे से पोछकर तौलिये में लपेटकर माँ को दिया कि वह इसे सीने  से लगाये | अब माँ और बच्चा दोनों ही ठीक लग रहे थे इसके बाद  दोनों को सीएचसी अहिरौरी पहुँचाया | 

जिला प्रभारी विख्यात सक्सेना ने बताया कि एम्बुलेंस में ड्यूटी  करने वाले हमारे ईएमटी की हैदराबाद में ट्रेनिंग  दी जाती है कि इस तरह की विषम परिस्थितयों का सामना वह कैसे करें | ऐसी  परस्थितियों से  डरें नहीं  बल्कि विश्वास  के साथ उनका सामना करें ताकि मरीज की पूरी मदद कर पायें ।