हर त्योहार, उचित व्यवहार, सर्वोत्तम उपहार के फार्मूले पर मनाएं दीपावली



- सीफार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए वेबिनाॅर का आयोजन

कानपुर, 6 नवंबर - जिला प्रशासन के जागरूक कानपुर अभियान के तहत सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) द्वारा शुक्रवार को बेविनाॅर का आयोजन किया गया। जिसका विषय त्योहारों के दौरान कोविड प्रोटोकाॅल का अनुपालन और कोविड जांच व देखभाल था। बेवनार में करीब 200 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया।

इस मौके पर सिटी वन की बाल विकास परियोजना अधिकारी अनामिका सिंह ने कहा कि दूसरे शहरों में नौकरी कर रहे लोगों का त्योहरों में अपने घर आना होता है। इसके अलावा हम लोग भी एक दूसरे से मिलते हैं, ऐसे में हम तमाम आवश्यक सावधानियों काे भूल जाते हैं। इस कोरोना काल में जरूरत है कि हम सब एक दूसरे को बधाई देते समय कोविड प्रोटोकाॅल दो गज की दूरी, मास्क की उपयोगिता और हाथों की धुलाई के महत्व के बारे में चर्चा करना कतई न भूले। खास बात यह भी है कि हम लोग न सिर्फ कोविड प्रोटोकॉल के बारे में चर्चा करें बल्कि इसे हम अपने व्यवहार में भी लाएं।

जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी शैलेंद्र मिश्रा ने कहा कि इस बार हमें हर त्योहार, उचित व्यवहार, सर्वोत्तम उपहार के फार्मूले पर दीपावली मनानी होगी, जिससे कि जीवन की रंगोली में कोरोना का रंग न भरने पाए। उन्होंने कहा कि त्योहारों में खुशियां फैलाने के लिए उचित व्यवहार को अपनाकर कोरोना को दूर भगाना होगा।

यूपीटीएसयू की संचार विशेषज्ञ ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि पूर्व में कोरंटाइन सेंटर बने किसी भी भवन में वीएचएनडी सत्र आयोजित किए जाएं। जिस भी स्थान पर वीएचएनडी सत्र आयोजित किया जाए वहां पर ग्राम प्रधान के सहयोग से सेनिटाइजर कराया जाए। गर्भवती और बच्चों को अलग-अलग समय में पुष्टाहार बांटा जाए, जिससे कि वहां पर भीड़ न होने पाए। सत्र के दौरान कोई भी चीज छूने के बाद अपने हाथों को जरूर सेनिटाइज जरूर करें। बुखार, खांसी, सांस लेने में तकलीफ के मरीजों को सत्र में कतई न बुलाएं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि आप लोग समाज में जाते हैं, लोग आपको रोल मॉडल मानते हैं ऐसे में जरूरी है कि आप सब अपने मास्क को अच्छे ढंग से लगाएं।

सीफार संस्था की नेशनल लीड रंजना द्विवेदी ने कहा कि स्वास्थ्य व पोषण संचार लोगों को रोगों से बचाव के लिए है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि तमाम लोग प्रोटोकाल का पालन नहीं करते हैं, ऐसे लोगों को आप आसपास के लोगों का उदाहरण देकर उन्हें समझा सकते हैं...जागरूक कर सकते हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है, लेकिन तमाम परिवार की अलग-अलग मान्यताओं और परंपराओं के चलते तमाम माताएं अपने बच्चों को जन्म के तुरंत बाद का पीला गाढ़ा दूध नहीं देती हैं, ऐसे में आप लोग इस तरह के दोनों परिवाराें के साथ एक साथ बातचीत कर उन्हें स्तनपान के लाभों की जानकारी दे सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह जब भी किसी गर्भवती से बात करें तो उसके परिवार वालों को गर्भवावस्था से प्रसव तक होने वाले जोखिमों को भी जरूर बताएं।

कोरोना चैंपियन और फार्मासिस्ट स्वाती ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि लोग कोराेना को नजर अंदाज कर रहें हैं, जबकि इस त्योहारी सीजन में अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस दीपावली पर हम सब अपने घर के बार कोविड प्रोटोकाल से संबंधित एक पोस्टर जरूर लगाएं और घर के अंदर जो रंगोली बनाए उसमें भी मास्क लगाने, शारीरिक दूरी बनाने और हाथों की सफाई संबंधित संदेश दें। इससे हमारी खुशियां कई गुना बढ़ जाएंगी।

यूनिसेफ के मंडलीय सलाहकार आशीष शुक्ला ने कहा कि यदि कोई पॉजिटिव व्यक्ति निगेटिव हो चुका है, तो हम सब उसे मनोवैज्ञानिक समर्थन देकर उसका हौसला बढ़ाएं। उसे बताएं कि अच्छा पोषण लेकर अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने खानपान में दाल, अनाज, हरी सब्जियां, वसा, मौसमी फल, दूध से बने खाद्य पदार्थ का सेवन जरूर करना चाहिए। मांसाहार वाले लोग अंडा, मछली और चिकन का भी प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें कोरोना से डरने की नहीं लेकिन सतर्क रहने की जरूरत है। वेबिनाॅर के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के प्रश्नों के उत्तर सीफार संस्था की नेशनल लीड रंजना द्विवेदी ने दिए। कार्यक्रम का संचालन सीफार की मंडलीय समंवयक राशी गुप्ता ने किया।