गर्भवती महिलाओं को पोषण के प्रति सतर्क रहना जरूरी



बाराबंकी - गर्भावस्था में गर्भवती महिलाओं को पोषण के प्रति सतर्क रहना चाहिए। क्योंकि इस दौरान गर्भवती को टीबी होने का जोखिम बना रहता है। इसका असर भ्रूण पर भी पड़ सकता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती को टीबी यानि तपेदिक रोग हो जाए तो यह चिंता का विषय हो सकता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान गर्भवती के शरीर में हो रही हर छोटी-बड़ी समस्या के प्रति सचेत रहने कि जरूरत होती है। साथ ही उसके पोष्टिक भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ताकि गर्भ में पल रहा शिशु और मां दोनों सुरक्षित रह सकें।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. विनोद कुमार दोहरे ने बताया कि गर्भवती महिला का वजन बहुत कम होना, थकान व सांस फूलना, बुखार, तीन हफ्तों से ज्यादा खांसी, खांसी में खून आना, खांसते या सांस लेते हुए सीने में दर्द होना, ठंड लगना और सोते हुए पसीना आना टीबी के लक्षण होते हैं। वहीं गर्भावस्था में टीबी के खतरा जन्म के समय शिशु का वजन कम होना, टीबी के कारण शिशु का समय से पहले जन्म, शिशु को जन्म के समय टीबी इंफेक्शन से संक्रमित होना, जन्मजात लिवर और श्वसन की समस्या होती है। इसके अतिरिक्त गर्भनाल से टीबी इंफेक्शन होना, हेपेटोसप्लेनोमेगाली यानी लिवर और स्प्लीन संबंधी समस्या, श्वसन से जुड़ी परेशानी होना, टीबी के कारण नवजात शिशु को बुखार होना और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाता है।

सिंप्टोमेटिक स्क्रीनिंग की सुविधा यहां उपलब्ध: जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया जनपद में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सिंप्टोमेटिक स्क्रीनिंग चल रही है। अब अन्य जांचों की तरह अब जिले के सभी गर्भवती महिलाओं का टीबी की जांच विभाग बिल्कुल नि:शुल्क करेगा। इस जांच की सुविधा मुख्यालय के अलावा जिले के 17 सामुदायिक व 53 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं सभी हेल्थ वेलनेस सेन्टर पर होगी। जिले में करीब 1542 टीबी के मरीज इलाज पर हैं।  क्षय रोगियों को नि:क्षय पोषण योजना के तहत पौष्टिक आहार  के लिए इलाज के दौरान 500 रुपये  प्रतिमाह उनके बैंक खाते में भेजे जाते हैं।

लक्षण होने पर किया जाएगा टीबी सेंटर रेफर: जिला कार्यक्रम समन्वयक शिप्रा ने बताया गर्भवती की जांच के पश्चात टीबी की पुष्टि होती है तो तुरंत उपचार शुरू कर दिया जाएगा। साथ ही मरीज को नि:क्षय पोषण योजना से भी जोड़ दिया जाएगा। उन्होंने बताया सिंप्टोमेटिक स्क्रीनिंग में गर्भवती महिलाओं में देखा जाएगा कि उनको दो सप्ताह से खांसी व बुखार तो नहीं आ रहा, लगातार वजन तो नहीं कम हो रहा, रात में पसीना तो नहीं आता। यदि ऐसे कोई लक्षण पाए जाते हैं तो उनको तत्काल टीबी जांच केंद्र के लिए रेफर किया जाएगा। यदि जांच के दौरान महिला को क्षय रोग की पुष्टि हो जाती है तो उसका तत्काल उपचार शुरू किया जाएगा।