सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर मनाया गया विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस



  • मानसिक विकारों में दुआ और दवा दोनों जरूरी
  • शारीरिक के साथ मानसिक बीमारी के प्रति भी जागरूक रहने की जरूरत

औरैया - सोमवार को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर सोमवार को जिला अस्पताल सहित समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया गया और परामर्श दिया गया । इस मौके पर लोगों को बताया गया कि मानसिक विकारों से ग्रसित मरीजों के लिए जितनी दुआ की आवश्यकता है उतनी ही दवा भी जरूरी है। शारीरिक बीमारी सभी को नजर आती है लेकिन मानसिक समस्या अक्सर मरीज को पता नहीं चल पाती है। इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि तनावग्रस्त जीवनशैली एवं बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इसके प्रति जागरूकता पैदा करने और इससे बचने के उपायों पर विचार करने के उद्देश्य से पूरे जनपद में मानसि‍क स्वास्थ्य दिवस मनाया गया । इस अवसर पर अस्पताल में आने वाले मरीजों को मानसिक तनाव से बचने के बारे में जानकारी देते हु विशेष रूप से उनकी काउंसिलिंग की गयी । उनका कहना है कि मानसिक रोग, कई तरह की मानसिक समस्याओं के कारण हो सकते हैं। इसकी वजह से इंसान की मनोदशा, व्यवहार और सोच पर काफी नकारात्मक असर पड़ता है।  डिप्रेशन, चिंता, स्ट्रेस और स्किजोफ्रेनिया जैसी समस्याएं मानसिक बीमारी कहलाती हैं।

मानसिक रोग के लक्षण : राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. वीपी शाक्य का कहना है कि किसी भी काम में मन नहीं लगना, चिड़चिड़ापन और बेचैनी, नींद से जुड़ी परेशानियों की शुरुआत, वजन तेजी से बढ़ना या कम होना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी आना, इंसान की मनोदशा में बदलाव, शरीर में उर्जा की कमी, खानपान की आदतों में बदलाव, सिरदर्द, कमर दर्द और शरीर में लगातार दर्द, शराब या ड्रग्स का सेवन आदि मानसिक बीमारी के लक्षण है।

इलाज के साथ अपनो के सहयोग की जरूरत : डा. वीपी शाक्य का कहना है कि मानसिक बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को इलाज के साथ-साथ अपनों के सहयोग की भी जरूरत होती है। नियमित व्यायाम, योग अभ्यास और हेल्दी डाइट लेने से आपको इन समस्याओं में फायदा मिलता है। मानसिक बीमार को एक्सपर्ट डॉक्टर को दिखाएं और इलाज के लिए प्रेरित करें।

मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता जरूरी : भागदौड़ भरी जिंदगी में अनियमित जीवनशैली के कारण थकान होना आम बात है। शरीर की थकान जब शारीरिक बीमारी का कारण बनती, तो हम दवाओं या अन्य उपायों के जरिए ठीक हो जाते हैं। वहीं, मानसिक थकान हमें मानसिक तौर पर बीमार कर सकती है। ऐसे में मेंटल हेल्थ यानी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है।