विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान का आगाज, 12 विभाग मिलकर करेंगे काम



  • जिले के हाई रिस्क गांवों पर अभियान में रहेगा विशेष जोर
  • मच्छरों, चूहा, छछूंदर से फैलने वाली बीमारियों के प्रति लाएंगे जनजागरूकता

संतकबीरनगर - जिले में एक माह तक चलने वाले विशेष संचारी रोग नियंत्रण माह का शनिवार से आगाज हो गया । जिला स्तर पर अभियान का शुभारंभ खलीला‍बाद के विधायक अंकुर राज तिवारी ने मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी कार्यालय से किया। उन्होंने संचारी रोग अभियान के प्रचार प्रसार के लिए  हरी झंडी दिखा कर रवाना किया । सभी ब्लॉक क्षेत्रों में अभियान का शुभारंभ स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया । अभियान के दौरान 12 विभाग आपस में मिल कर कार्य करेंगे । जिले के 50 हाई रिस्क गांवों में अभियान के दौरान विशेष जोर रहेगा । इस दौरान मच्छरों, चूहा और छछूंदर से फैलने वाली बीमारियों के बारे में जनजागरूकता लाई जाएगी ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह ने बताया कि अभियान के दौरान ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में नालियों और झाड़ियों की साफ-सफाई, मच्छरों पर नियंत्रण, सुकरबाड़ों और पशुबाड़ों के स्वच्छता की जानकारी, बुखार के रोगियों को चिन्हित कर जांच व उपचार, स्वच्छ पेयजल के विषय में जनजागरूकता, क्लोरिन की गोलियों का वितरण, कुपोषित बच्चों की पहचान व संदर्भन, स्कूली बच्चों में संचारी रोगों के प्रति जनजागरूकता, चूहा और छछूंदर के प्रति जनजागरूकता, आबादी क्षेत्र से सुकरबाड़ों को दूर करने के लिए जनजागरूकता, हाई रिस्क गांवों को प्राथमिकता के आधार पर खुले में शौच से मुक्ति की गतिविधियां संचालित की जाएंगी । लोगों के बीच मुख्य संदेश दिया जाएगा कि वह व्यक्तिगत व सामुदायिक साफ-सफाई रखें। किसी भी प्रकार का बुखार हो तो सरकारी अस्पताल में निःशुल्क इलाज कराएं। अस्पताल जाने के लिए 108 नंबर की निःशुल्क एंबुलेंस सेवा का इस्तेमाल करें ।

एसीएमओ वेक्‍टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ. वी. पी. पाण्‍डेय  ने बताया कि अभियान में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, आईसीडीएस, ग्राम विकास एवं पंचायती राज विभाग, शिक्षा विभाग, नगर निगम अथवा शहरी विकास, कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, दिव्यांग कल्याण, स्वच्छ भारत मिशन, सूचना विभाग, संस्कृति विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग सक्रिय हिस्सेदारी निभाएंगे। इस संबंध में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह और मुख्य विकास अधिकारी अतुल मिश्रा  के स्तर से प्राप्त दिशा-निर्देशों का अनुसरण करते हुए समन्वय बना कर कार्य किया जाएगा।

हाई रिस्क गांवों पर नजर : जिला मलेरिया अधिकारी राम सिंह ने बताया कि अभियान में लगी टीम  की देखरेख में हाई रिस्क गांवों की गतिविधियों पर विशेष नजर रखी जाएगी। यह ऐसे गांव हैं जहां कभी दिमागी बुखार से मृत्यु हुई है अथवा तीन साल के भीतर कोई केस सामने आया है । ऐसे गांवों में सभी विभाग प्राथमिकता के साथ अपनी भूमिका निभाते हैं। अभियान के दौरान सहयोगी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) और पाथ की विशेष भूमिका रहेगी ।

मिलते हैं संदेश : आशा कार्यकर्ता अरविन्‍द सुधा का  कहना है कि पहले भी अभियान के दौरान उनके गांव में नालियों और झाड़ियों की साफ-सफाई होती रही है। आशा बताती हैं कि फुल आस्तीन के कपड़े पहनने हैं। अगर बुखार तेज है तो 108 एंबुलेंस को कॉल करके सीधे अस्पताल जाना है। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना है। नंगे पैर खेतों और झाड़ियों में नहीं जाना है।