पोषण माह में चिन्हित किये गये कुपोषित बच्चे, हो रही है सतत निगरानी



  • जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत 4.26 लाख बच्चों का छह सितम्बर को हुआ था वजन
  • 11000 बच्चे अति गंभीर कुपोषण, जबकि 4000 बच्चे सैम व 9000 बचे मैम श्रेणी के कुपोषण में

गोरखपुर - सुपोषण का संदेश घर-घर पहुंचाने और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने लिए पोषण माह मनाया जा रहा है। 30 सितंबर तक चलने वाले इस माह में छह सितम्बर को जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन दिवस मनाया गया। जिले में 4.26 लाख बच्चों का वजन किया गया। इनमें से 4000 सैम और 9000 बच्चे मैम श्रेणी में मिले हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारी हेमंत सिंह ने बताया कि सैम व मैम कुपोषण की ऐसी अवस्था है जो बच्चे की लंबाई और ऊंचाई के सापेक्ष वजन नापने से होती है। इसमें वसा व मांसपेशी की कमी के कारण बच्चा कमजोर व दुबला दिखाई पड़ता है । इन सभी कुपोषित बच्चों की सतत निगरानी हो रही है और पोषण संबंधित आवश्यक सेवाएं भी प्रदान की जा रही हैं । उन्होंने बताया कि अति गंभीर कुपोषण की श्रेणी के बच्चों को चिकित्सकों को दिखाया जाता है और उनके परामर्श पर आवश्यकतानुसार पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भी भर्ती कराया जाता है। बच्चों को एनआरसी में भर्ती के दौरान अभिभावकों को निःशुल्क भोजन और प्रतिदिन 100 रुपये की दर से श्रम ह्रास के लिए पैसे भी दिये जाते हैं। कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र से दलिया व घी भी दिया जा रहा है। उन्हें दलिया की खिचड़ी, हलवा, पूड़ी जैसे पौष्टिक व्यंजन बनाने की भी जानकारी दी जा रही है । उन्होंने बताया कि 1200 कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को तैयार कर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर दिखाया जा चुका है। चिकित्सक की सलाह पर उनके पोषण स्तर में सुधार के प्रयास हो रहे हैं।

चरगांवा ब्लॉक के मिर्जापुर गांव में पेशे से श्रमिक प्रदीप की चार साल एक माह की बेटी रागिनी सभी के प्रयासों से अति कुपोषण की श्रेणी से धीरे-धीरे बाहर आ रही है । जून में उनकी बच्ची का वजन 10.600 ग्राम था । बच्ची को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अंजनी देवी ने दलिया से बनी खिचड़ी, दूध, हरी साग-सब्जी देने की सलाह दी।प्रदीप बताते हैं कि उनकी बच्ची काफी कमजोर थी । आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने चना और दलिया देकर मदद किया। समय-समय पर उचित सलाह भी देती हैं । अब उनकी बच्ची का वजन 11 किलो के करीब हो चुका है लेकिन अभी भी वह कुपोषण से बाहर नहीं हो रही है । हर माह बच्ची का वजन किया जा रहा है और लंबाई की नाप भी ली जा रही है। उम्मीद है बच्ची का स्वास्थ्य और भी सुधर जाएगा । उनकी बच्ची को जुलाई माह में मुख्यमंत्री के हाथों पौष्टिक आहार दिलवाया गया था और बच्ची उसका भी सेवन कर रही है।

4300 गर्भवती की गोदभराई : जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बच्चों के अलावा गर्भवती माताओं के पोषण स्तर का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। 13 सितम्बर को विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर आयोजित गोदभराई दिवसों में 4300 गर्भवती को पोषण पोटली दी गयी । धात्री, गर्भवती और उनके परिवारीजनों के साथ गांवों में पोषण संबंधित हुई बैठकों में 45000 लोगों के बीच संदेश दिया गया कि गर्भावस्था में मां के पोषण का विशेष ध्यान रखता है। गर्भवती को हरी साग सब्जियों, ताजे फल, दूध, सोयाबीन, मूंगफली आदि का सेवन करना है। आयरन और फोलिक की गोलियां आशा और एएनएम से संपर्क कर प्राप्त करना है और उनका सेवन भी करना है। 2142 रेसिपी प्रतियोगिताओं का आयोजन कर दलिया से स्वादिष्ट रेसिपी तैयार करने के तरीके भी बताए गये।