आत्महत्या की रोकथाम के लिए जागरूकता है बेहद ज़रूरी



  • विश्व आत्महत्या सुरक्षा(10 सितंबर)  दिवस पर विशेष

लखनऊ - आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में प्रतिस्पर्धा के चलते अवसाद, तनाव, चिंता जैसे मनोरोगों से लोग ग्रसित हो रहे हैं | कभी-कभी स्थिति यहाँ तक पहुँच जाती है कि व्यक्ति आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठा लेता है |

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. सुनील कुमार पांडे बताते है कि आत्महत्या भी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या है जिसे अनदेखा कर दिया जाता है | जिससे चलते दुष्परिणाम  सामने आते हैं और अनायास ही हमारा अपना हमसे दूर चला जाता है |  समय रहते कदम उठाकर व्यक्ति को आत्महत्या करने से रोका जा सकता है |

बलरामपुर जिला अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. देवाशीष शुक्ला बताते हैं कि इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए परिवार में सभी सदस्यों को आपस में  संवाद स्थापित करना चाहिए समस्याएं एक दूसरे के साथ साझा करनी चाहिए | परिवार का  कोई सदस्य मनोचिकित्सीय सलाह ले रहा है तो उसे समय पर दवा की उपलब्धता एवं सेवन सुनिश्चित करें | परिवार का सदस्य अपने जीवन को समाप्त करने की बात करता है तो उसे गंभीरता से लेते हुए मनोचिकित्सक की सलाह लें | नशे का अत्यधिक  उपयोग करने वाले अवसाद के रोगियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है | ऐसे मरीजों का मनोबल बढ़ाएं, एवं नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करें | घर में ऐसी कोई भी चीज जिसे आत्महत्या के लिए मरीज उपयोग कर सकता है रोगी से दूर रखें |

आत्महत्या पर जागरूकता लाने के उद्देश्य से हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या सुरक्षा दिवस (सुसाइड प्रीवेंशन डे) मनाया जाता है | इस साल इसकी थीम है  “कार्यवाही के माध्यम से आशा पैदा करना”( “क्रियेटिंग होप थ्रु एक्शन”) है |  इस दिवस को मनाने का उद्देश्य इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान आकर्षित करना, रूढ़िवादिता को कम करना तथा  “आत्महत्या रोकी जा सकती है”  के प्रति लोगों को जागरुक करना है |

बलरामपुर अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ अभय सिंह ने बताया कि किरण हेल्पलाइन नंबर 1800-599-0019 पर कॉल कर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सहयोग लिया जा सकता है | इसके अलावा जिला चिकित्सालयों में  स्थापित मन कक्ष के माध्यम से आत्महत्या नियंत्रण संबंध काउंसिलिंग की सेवाएं ली जा सकती हैं |

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के “एक्सीडेंटल डेथ एवं सुसाइड रिपोर्ट 2022 के अनुसार” उत्तर प्रदेश में साल 2021 में  आत्महत्या के कुल  5932 मामले सामने आये हैं और यह आत्महत्या के मामलों में पूरे देश में निचले पायदान पर है | आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में 22,207, तमिलनाडु में 18,825,  मध्य प्रदेश में 14,965, पश्चिम बंगाल में 13,500 और कर्नाटक में 13,065 आत्महत्या की घटनायें दर्ज की गयीं  |