अभियान को सफल बनाएं, छाया वीएचएसएनडी की गुणवत्ता सुनिश्चित करें



  • जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में मुख्य विकास अधिकारी ने दिये दिशा-निर्देश
  • एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर अभियान और संस्थागत प्रसव पर विशेष जोर

गोरखपुर - आशा कार्यकर्ताओं के साथ बेहतर संचार और नेतृत्व के जरिये एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर अभियान को सफल बनाएं । प्रत्येक बुधवार और शनिवार को आयोजित होने वाले छाया ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (छाया वीएचएसएनडी) की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए । अभियान के दौरान और छाया वीएचएसएनडी पर मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़ी गुणवत्तापूर्ण सेवाएं दी जाएंगी तो संस्थागत प्रसव भी बढ़ेगा और जिले की स्थिति बेहतर होगी । यह दिशा निर्देश मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा ने जिला स्वास्थ्य समिति की बुधवार की देर शाम तक विकास भवन में चली बैठक के दौरान दिया ।

बैठक के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने मुख्य विकास अधिकारी को बताया कि जिले में एक सितम्बर से 30 सितम्बर तक एक कदम सुरक्षित मातृत्व की ओर अभियान चलाया जाएगा । इस अभियान के दौरान जिले की करीब 1.39 लाख गर्भवती व धात्री के बीच उनके पोषण के लिए चार प्रकार की दवाओं का वितरण होगा और उन्हें इनका सेवन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा । उन्हें बताया जाएगा कि गर्भावस्था के पहले तीन महीने में फोलिक एसिड गोली का सेवन करने से बच्चे को मस्तिष्क और मेरुदंड के जन्मजात दोषों के विकार से बचाया जा सकता है। अभियान के दौरान दूसरे व तीसरे त्रैमास की सभी गर्भवती को अगले दो माह के लिए आयरन व कैल्शियम की गोलियां दी जाएंगी और एल्बेंडाजोल की गोली आशा व एएनएम अपने सामने एक बार खिलाएंगी । धात्री महिलाओं को आयरन व कैल्शियम की गोलियां दी जाएंगी। इनके सेवन से न केवल मां को पोषण मिलता है बल्कि गर्भस्थ व स्तनपान करने वाले शिशु के पोषण की आवश्यकता भी पूरी हो जाती है । मुख्य विकास अधिकारी ने अभियान को पूरी गंभीरता से चलाने का दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि कोशिश हो कि एक भी गर्भवती व धात्री छूटने न पाएं ।

इस मौके पर सीएमओ ने कहा कि शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार अभियान में आठ माह से कम गर्भावस्था वाली अति गंभीर एनीमिक को आयरन सुक्रोज, जबकि आठ माह से ज्यादा गर्भावस्था वाली गंभीर एनीमिक को ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सेवा भी दी जाए । उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की पहचान कर प्रसव पूर्व प्रबंधन भी किये जाएं। मई माह में चले इसी अभियान के दौरान 11987 गर्भवती व 12349 धात्री को आयरन, कैल्शियम व फोलिक एसिड की गोलियां दी गयी थीं।

बैठक में पल्स पोलियो अभियान, टीबी उन्मूलन कार्यक्रम, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, मंत्र एप और एसएनसीयू सेवाओं पर भी चर्चा की गयी। कोविड टीकाकरण के प्रिकाशनरी डोज अभियान के संबंध में सीएमओ ने दिशा-निर्देश दिया कि विदेश से आने वालों को भी तीसरा डोज लगाएं। प्रमाण पत्र मांगने पर शेष दो डोज का प्रमाण पत्र वेरीफाई कर पोर्टल पर पंजीकृत करें। तीसरी डोज के तौर पर कोर्बेवैक्स टीका ही लगाना है।

बैठक में जिला महिला अस्पताल के एसआईसी डॉ एनके श्रीवास्तव, जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ अंबुज श्रीवास्तव, एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार, प्रभारी जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ गणेश प्रसाद यादव, जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद, एनयूएचएम समन्वयक सुरेश सिंह चौहान, डीडीएम पवन कुमार, डैम पवन कुमार गुप्ता, क्वालिटी सहायक विजय श्रीवास्तव और आदिल समेत जिले के स्वास्थ्य विभाग से संबंधित ब्लॉक स्तरीय अधिकारी और विभिन्न पार्टनर संस्थाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे ।

समुदाय से हो रेफरल : बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि जिला महिला अस्पताल के सिक न्यूनेटल केयर यूनिट (एसएनसीयू) में समुदाय के बीच से भी बीमार बच्चे भेजे जाएं । कम वजन के बीमार बच्चों को सीधे बीआरडी मेडिकल कालेज भेजने की बजाय जिला महिला अस्पताल भेजा जाए । अस्पताल में एसएनसीयू की अच्छी सेवाएं मिल रही हैं और वहां प्रशिक्षित बाल रोग विशेषज्ञ व स्टॉफ की उपलब्धता भी है । इस कार्य में आशा और एएनएम की मदद लेने का दिशा-निर्देश दिया गया।