नई दिल्ली - भारत में वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में प्रोजेक्ट चीता एक बड़ी सफलता के रूप में सामने आया है। 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से 8 चीते भारत लाए गए थे, जिसके साथ इस ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत हुई। मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट चीता का शुभारंभ किया गया था।
यह दुनिया का पहला अंतर-महाद्वीपीय मांसाहारी पशुओं का स्थानांतरण प्रोजेक्ट है। इसका उद्देश्य वर्ष 1952 में भारत से विलुप्त हो चुके एशियाई चीते को दोबारा भारतीय भूमि पर स्थापित करना है।
दिसंबर 2025 तक भारत में चीतों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। इनमें 21 वयस्क और 9 शावक शामिल हैं। कुल चीतों में 11 फाउंडर चीते हैं, जबकि 19 चीते भारत में ही जन्मे हैं। भारतीय भूमि पर जन्मी पहली मादा चीता ‘मुखी’ ने हाल ही में 5 स्वस्थ शावकों को जन्म दिया है। यह परियोजना केवल जैव विविधता के पुनरुत्थान का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि सुनियोजित मानवीय प्रयासों से प्रकृति के नाजुक संतुलन को भी सहेजा जा सकता है। बोत्सवाना से भारत में 8 और चीते लाए जाने की योजना के साथ यह परियोजना लगातार आगे बढ़ रही है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिल रही है।
प्रोजेक्ट चीता के तहत स्थानीय समुदाय की भागीदारी भी बढ़ाई गई है। 80 गांवों में 450 से अधिक ‘चीता मित्र’ सक्रिय हैं। अब तक 2,200 छात्रों के लिए 150 जागरूकता कार्यक्रम और 16 अनुभूति शिविर आयोजित किए जा चुके हैं। इस परियोजना से रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। 80 लोगों को चीता ट्रैकर, 200 को पेट्रोलिंग कर्मी और कई युवाओं को सफारी गाइड के रूप में काम मिला है।
भारत वर्ष 2032 तक लगभग 17,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में करीब 70 चीतों की एक स्व-संरक्षित मेटापॉपुलेशन विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रोजेक्ट चीता आज भारत की जैव विविधता संरक्षण नीति का एक मजबूत उदाहरण बन चुका है और दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है।