काउंसिलिंग कक्ष बने दंपति के मददगार



  • निजता का ध्यान रखते हुए काउंसलर देती हैं दंपति को परिवार नियोजन की पूरी जानकारी
  • यूपी में गोरखपुर सभी ब्लॉक में काउंसलिंग कक्ष वाला एक मात्र जिला बना
  • यूपीटीएसयू की मदद से सुदृढ़ की गयी व्यवस्था

गोरखपुर - परिवार नियोजन की महत्ता समझने वाले दंपति के सामने यह चुनौती होती है कि उनके लिए कौन सा साधन उपयुक्त होगा और कौन सा नहीं। साथ ही कई बार भ्रांतियों के कारण भी वह साधन का इस्तेमाल करने से हिचकिचाते हैं । ऐसे दंपति के लिए मददगार बन रहे हैं जिले में ब्लॉक और जिला स्तर पर बने काउंसलिंग कक्ष, जहां निजता का ध्यान रखते हुए काउंसलर द्वारा दंपति को सही सलाह दी जाती है । गोरखपुर यूपी का एकमात्र ऐसा जिला है जहां प्रत्येक ब्लॉक पर काउंसलिंग कक्ष बना हुआ। इस व्यवस्था को सुदृढ़ करने में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ अहम भूमिका निभा रहे हैं।

व्यवस्था को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के परिवार नियोजन काउंसलर्स के अलावा जिले की एएनएम को भी परिवार नियोजन काउंसलिंग का प्रशिक्षण यूपीटीएसयू के सहयोग से दिया गया है । जंगल कौड़िया की ऐसी ही एएनएम काउंसलर श्वेता बताती हैं कि अंतराल दिवस प्रत्येक गुरुवार को, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस और खुशहाल परिवार दिवस पर दंपति को आशा कार्यकर्ता उनके पास लाती हैं। दंपति का पूरा विवरण रजिस्टर में दर्ज किया जाता है और उन्हें सभी साधनों के बारे में जानकारी दी जाती है। दंपति को समझाया जाता है कि परिवार नियोजन से मातृ एवं शिशु रुग्णता एवं मृत्यु दर को कम किया जा सकता है । छोटा परिवार सुखी परिवार होता है । दंपति में पुरुष को समझाया जाता है कि पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की तुलना में आसान, चन्द मिनटों में होने वाली और कम जटिल है । उन्हें यह भी बताया जाता है कि गर्भावस्था को रोकने के साथ ही संक्रमण को रोकना और यौन व प्रजनन स्वच्छता में सुधार करना पुरुष की भी ज़िम्मेदारी है ।

श्वेता बताती हैं कि महिलाओं को समझाया जाता है कि अंतरा और छाया जैसे आधुनिक गर्भनिरोधक न केवल बच्चों के बीच दूरी सुनिश्चित करते हैं बल्कि कैंसर और एनीमिया को भी रोकते हैं। परिवार नियोजन पर बेहतर निर्णय लेने के लिए पति-पत्नी दोनों की काउंसलिंग महत्वपूर्ण है। खासतौर से नसबंदी से पहले दोनों को बुला कर काउंसिलिंग की जाती है । नव दंपति की काउंसिलिंग पर विशेष जोर होता है और यह संदेश दिया जाता है कि परिवार नियोजन शादी के ठीक बाद शुरू हो जाना चाहिये । पीएसआई इंडिया संस्था भी परिवार नियोजन कार्यक्रम में जंगल कौड़िया ब्लाक में मदद कर रही है।

एसीएमओ आरसीएच डॉ नंद कुमार बताते हैं कि जिला महिला अस्पताल, सददारनगर, पिपराईच, गोला, सहजनवां, ब्रह्मपुर, खोराबार, चरगांवा, जंगल कौड़िया, खजनी, कौड़ीराम, पाली, बड़हलगंज, डेरवा, बांसगांव, कैंपियरगंज, गगहा, उरूवा और पिपरौली स्थित सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में सुसज्जित काउंसलिंग कक्ष बने हुए हैं जहां परिवार नियोजन के सभी साधनों की न केवल जानकारी दी जाती है बल्कि साधन भी उपलब्ध कराए जाते हैं। जिला महिला अस्पताल और पुरुष अस्पताल में अर्श काउंसलर भी हैं जो किशोर-किशोरियों की समस्याओं का समाधान के साथ साथ परिवार नियोजन का भी काउंसलिंग करते हैं। पूरे प्रदेश में गोरखपुर एक मात्र ऐसा जिला है जहां ब्लॉक पीएचसी और सीएचसी पर भी परिवार नियोजन काउंसलिंग के लिए समर्पित कक्ष सक्रिय हैं।

सही जानकारी मिली तो अपनाया छाया : जंगल कौड़िया ब्लॉक की रहने वाली पूजा (24) बताती हैं कि  चार साल पहले उनकी शादी हुई थी। उनका एक बेटा है जो दो साल का है। आशा कार्यकर्ता मंजू ने उन्हें काउंसलिंग कक्ष जाने के लिए प्रेरित किया । वहां जाने पर काउंसलर श्वेता ने उन्हें सभी साधनों की जानकारी दी। उन्हें साप्ताहिक गोली छाया पसंद आई क्योंकि इसे रोज-रोज नहीं खाना पड़ता है जिससे भूलने की गुंजाइश नहीं होती है। पूजा बताती है कि वह छाया गोली का इस्तेमाल चार माह से कर रही हैं छाया गोली खाने से उन्हें किसी तरह का कोई परेशानी नहीं है।