सरकारी एंबुलेंस का करेंगे इस्तेमाल तो मिलेगी ग्रीन कॉरीडोर की सुविधा



  • 108 और 102 नंबर एंबुलेंस के क्रिटिकल मरीजों के लिए सुविधा दे रही है ट्रैफिक पुलिस
  • अब तक आठ एंबुलेंस के लिए ट्रैफिक पुलिस की मदद से बनाया जा चुका है ग्रीन कॉरीडोर
  • नौसढ़ से बीआरडी मेडिकल कालेज की दूरी मात्र आठ मिनट में तय की गयी

गोरखपुर - किसी भी क्रिटिकल (अति गंभीर)मरीज के लिए सरकार की तरफ से चलाई जा रही 102 और 108 नंबर की सरकारी एंबुलेंस  ज्यादा सुरक्षित है । इन एंबुलेंस का इस्तेमाल करने वाले अति गंभीर मरीजों  को गोरखपुर शहर में ग्रीन कॉरीडोर की सुविधा दी जा रही है । यह सुविधा एंबुलेंस के संचालकों द्वारा ट्रैफिक पुलिस को सूचना देने के बाद ही दी जाती है । अब तक शहर में आठ बार इस तरह के कॉरीडोर बनाये जा चुकी हैं । बीते 12 जुलाई को बने कॉरीडोर के तहत नौसढ़ से लेकर बीआरडी मेडिकल कालेज की 13 किलोमीटर की दूरी एंबुलेंस ने महज आठ मिनट में तय की और दुर्घटना के शिकार दो बच्चों की जान बचायी जा सकी ।

ऊरवा ब्लॉक के युवा समाजसेवी अनिल अग्रहरि बताते हैं कि किशुनपुर गांव के तीन युवक सिकरीगंज की तरफ से लौट रहे थे कि पिपरा पांडेय गांव के पास उनकी स्कूटी किसी अन्य वाहन से टकरा गई। सूचना मिलने पर वह मौके पर पहुंचे । पहले तो वह निजी साधन से बच्चों को ऊरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गये और फिर वहां 108 नंबर एंबुलेंस को बुलाया। एक बच्चे की हालत काफी गंभीर थी। एंबुलेंस तीनों बच्चों की गंभीर हालत को देखते उन्हें उन्हें लेकर बीआरडी मेडिकल कालेज के लिए रवाना हो गयी ।

एंबुलेंस का संचालन कर रही संस्था जीवीके ईएमआरआई के प्रोग्राम मैनेजर प्रवीण कुमार द्विवेदी ने बताया कि एंबुलेंस ने रवानगी से पहले ही उन्हें सूचना दे दी कि मरीज काफी क्रिटिकल हैं और उन्हें ग्रीन कॉरीडोर की आवश्यकता है । प्रवीण ने अपराह्न दो बजकर 49 मिनट पर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को सूचित कर दिया। इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े आरक्षी नौसाद बताते हैं कि सूचना मिलने के बाद दो बजकर 58 मिनट पर नौसढ़ से एंबुलेंस को ग्रीन कॉरीडोर मिल गया और पैडलेगंज, मोहद्दीपुर और असुरन होते हुए एंबुलेंस तीन बजकर छह मिनट पर बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंच गयी । सूचनादाता अनिल अग्रहरि ने बताया कि तीन में से एक बच्चे की तो मौत हो गयी लेकिन इन प्रयासों से दो बच्चों की जान बचायी जा सकी ।

पूर्व सूचना आवश्यक है : शहर के एसपी ट्रैफिक डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सरकारी एंबुलेंस से आने वाले प्रत्येक क्रिटिकल मरीज को ग्रीन कॉरीडोर की सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। इसके लिए समय से सूचना आवश्यक है। यह सूचना एंबुलेंस के पॉयलट या ईएमटी या अन्य स्टॉफ अथवा प्रबंधक की तरफ से वाट्स एप व मोबाइल कॉल के जरिये आती है । क्रिटिकल मामलों में निजी साधन की तुलना में एंबुलेंस से आना ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि एंबुलेंस में एक तो त्वरित प्राथमिक चिकित्सा शुरू हो जाती है और दूसरी तरफ ट्रैफिक पुलिस भी एंबुलेंस को पास करवाने में वरीयता देती है ।

कुल 96 एंबुलेंस हैं : प्रोग्राम मैनेजर ने बताया कि जिले में 108 नंबर की कुल 46 एंबुलेंस हैं, जबकि 102 नंबर की 50 एंबुलेंस हैं । किसी की दुर्घटना, मेडिकल इमर्जेंसी की स्थिति में 108 नंबर को कॉल करना है, जबकि गर्भवती व दो साल तक के बच्चों के स्वास्थ्य संबंधित दिक्कत होने पर 102 नंबर पर कॉल करना है। दोनों सुविधा निःशुल्क है। ग्रीन कॉरीडोर सिर्फ अति गंभीर मरीजों के लिए बनता है।