चूसकर खाने या चूरा बनाकर पीने से प्रभावकारी होती हैं कृमि मुक्ति की दवा – सीएमओ



  • राष्‍ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर 20 जुलाई को खिलाई जाएगी एलबेण्‍डाजॉल
  • 1  से 19 बर्ष आयु वर्ग के 8.51 लाख बच्‍चों को दवा खिलाने का है लक्ष्‍य

संतकबीरनगर - मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि राष्‍ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर जनपद में एक साल से 19 साल की उम्र के 8.51 लाख बच्‍चों को कृमि से मुक्‍त कराने के लिए 20 जुलाई को एलबेंडाजॉल दवा खिलाई जाएगी। यह दवा 3 साल तक के बच्‍चों को चूरा बनाकर पानी में घोलकर खिलाई जाएगी। वहीं 4 से 19 साल तक के बच्‍चों को यह दवा चूसकर खानी होगी। दवा को सीधे निगल लेने से वह उतना प्रभाव नहीं दे पाएगी जितनी उसकी क्षमता है। इसलिए दवा का चूरा बनाकर या चूसकर ही दवा खिलाई जाय, ताकि बच्‍चे कृमि से मुक्‍त होकर सुपोषित बन सकें।

यह बातें मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी ने राष्‍ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के सफल संचालन के लिए आयोजित जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला को सम्‍बोधित करते हुए कही। उन्‍होने आगे कहा कि जिले के समस्‍त लक्षित बच्‍चों के समूह को कृमि से मुक्‍त कराने के लिए प्राथमिक व माध्‍यमिक स्‍कूलों के बच्‍चों के साथ ही साथ 1 से 19 साल की आयु वर्ग के किशोर – किशोरियों को एलबेंडाजॉल की दवा 20 जुलाई को खिलाई जाएगी। 25 जुलाई से लेकर 27 जुलाई तक इसका मॉप अप राउण्‍ड चलाया जाएगा। इस दौरान सभी छूटे लोगों को दवा खिलाई जाएगी। इस दौरान एसीएमओ वेक्‍टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम डॉ वी पी पाण्‍डेय ने कहा कि यह एक राष्‍ट्रीय कार्यक्रम है। इसका पोषण में विशेष महत्‍व है। इसलिए 1 से 19 साल तक के आयु वर्ग के सभी बच्‍चों को यह दवा जरुर खिला दी जाय । वर्ष 2021 मे जिले का कवरेज 92 प्रतिशत हुआ था।

इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एस रहमान, एपीडेमियोलाजिस्‍ट डॉ मुबारक अली,  जिला मलेरिया अधिकारी राम सिंह, राष्‍ट्रीय किशोर स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के प्रबन्‍धक दीन दयाल वर्मा, राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर पिंटू कुमार, सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद के प्रभारी डॉ राधेश्‍याम यादव, जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ आर पी मौर्या के साथ ही सभी ब्‍लॉको के बीपीएम, बीसीपीएम, शिक्षा विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारीगण मौजूद रहे।

आंत में रहते हैं तथा खा जाते हैं जरुरी पोषण : सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अमित सिंह बताते हैं कि कृमि मनुष्‍य की आंत में रहते हैं। जीवित रहने के लिए वह आंत में मौजूद जरुरी पोषण को खा जाते हैं। इसके चलते शरीर को पोषण नहीं मिल पाता है तथा गंभीर कृमि संक्रमण होने पर दस्‍त, पेट में दर्द, गंभीर बीमारी भी हो सकती है। इससे बचने के लिए हाथों की स्‍वच्‍छता के साथ ही भोज्‍य पदार्थों में भी स्‍वच्‍छता जरुरी है।

कृमि से बचने के लिए सफाई पर दें विशेष ध्‍यान : कृमि के संक्रमण से बचने के लिए नाखून साफ और छोटे रखें। हमेशा साफ पानी पिएं । खाने को ढंक कर रखें। फल व सब्जियों को साफ पानी से धोएं। अपने हाथ को साबुन से धोएं विशेषकर खाने से पहले और शौच जाने के बाद। आसपास सफाई रखे तथा जूते पहनें व शौचालय का प्रयोग करें।