फाइलेरिया से बचने को एमडीए राउंड में दवा का सेवन जरूरी



  • सीफार ने फाइलेरिया ग्रसित रोगियों के सपोर्ट ग्रुप को किया प्रशिक्षित
  • साल में एकबार लगातार पांच साल दवा सेवन से बचे रहेंगे बीमारी से

लखनऊ - स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल में एक बार चलाए जाने वाले सामूहिक दवा सेवन (एमडीए राउंड) कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन अवश्य करें। समुदाय को यह भी जानना जरूरी है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, इसलिए साल में एक बार लगातार पांच साल दवा के सेवन से ही इससे बचा जा सकता है। यह बातें फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में वृहस्पतिवार को सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित फाइलेरिया ग्रसित रोगियों के सपोर्ट ग्रुप के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान बताई गयीं। प्रशिक्षण कार्यक्रम बक्शी का तालाब ब्लॉक के साधमऊ गाँव में आयोजित किया गया।  

कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया ग्रसित रोगियों के सपोर्ट ग्रुप के सौजन्य से फाइलेरिया के रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांगता (एमएमडीपी) को रोकने के बारे में फाइलेरिया रोगियों को बताया गया। प्रशिक्षकों ने कहा- फाइलेरिया व्यक्ति को आजीवन अपंग बना देता है। इसलिए इससे बचाव ही इसका इलाज है। फाइलेरिया पीड़ित व्यक्ति को अपने प्रभावित अंगों की साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए । दिन में कम से कम दो बार साफ पानी से धोकर उसे साफ तौलिए से पोंछना चाहिए । उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए । उन्हें स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा बताए गए व्यायाम करने चाहिए । फाइलेरिया ग्रसित व्यक्ति को कोई भी चीज खाने की मनाही नहीं होती है वह सब कुछ खा सकता है। फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को बहुत अधिक समय तक खड़े नहीं रहना चाहिए । सोते समय पैरों के नीचे तकिया लगा लेनी चाहिए और बैठते समय पैरों को नहीं मोड़ना चाहिए ।

इस अवसर पर सीफार के डॉ. एस.के. पाण्डेय ने बताया- फाइलेरिया न कोई पिछले जन्म का श्राप है और न ही भूत प्रेत का साया | यह एक मच्छरजनित बीमारी है | फाइलेरिया को हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है | इसके संक्रमण के कारण शरीर में सूजन आ जाती है | यह संक्रमण लसिकातंत्र (लिम्फ नोड) को नुकसान पहुंचाता है ।  इस बीमारी से बचा जा सकता है | बस हमें कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए | इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि साल में एक बार लगातार पाँच साल तक सरकार द्वारा एमडीए अभियान के तहत घर -घर खिलाई जाने वाली फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें और घर व आस-पास सफाई रखें, पानी इकट्ठा न होने दें | यदि पानी इकट्ठा भी है तो उसमें मिट्टी का तेल या मोबिल ऑयल की कुछ बूंदें डाल दें | रात में मच्छरदानी लगाकर सोएं, फुल आस्तीन के कपड़े पहनें,  मच्छररोधी क्रीम लगायें और सोते समय मच्छररोधी अगरबत्ती का प्रयोग करें | इससे न केवल फाइलेरिया से बचाव होगा बल्कि अन्य मच्छरजनित रोगों जैसे डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया से भी बचाव होगा |

डा. पांडेय ने फाइलेरिया ग्रसित मरीजों में रुग्णता प्रबंधन (एमएमडीपी) का प्रदर्शन करके दिखाया ।  इसके साथ ही उन्होंने कुछ व्यायाम करके भी दिखाए । इस अवसर पर ठेक्कर फाइलेरिया उन्मूलन सपोर्ट  ग्रुप के 14 सदस्यों को फाइलेरिया रोग के प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई ।  इस मौके पर आशा कार्यकर्ता मुन्नी देवी, सीफार के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर सर्वेश पाण्डेय, ब्लॉक कोऑर्डिनेटर अखिलेश प्रजापति और बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे ।

“सपोर्ट ग्रुप के सदस्य फाइलेरिया उन्मूलन में विशेष सहयोग दे सकते हैं । वह  गाँव के अन्य लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के लिए प्रेरित करें । फाइलेरिया के कारण जिन मुश्किलों का आप सामना कर रहे हैं कोशिश करें कि किसी और को इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े, आगे आयें और लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करें ।“ - डॉ. ऋतु श्रीवास्तव - जिला मलेरिया अधिकारी