सकल प्रजनन दर घटी तो परिवार की खुशहाली बढ़ी



  • दस साल में 1.1 प्रतिशत की गिरावट आने से मातृ-शिशु मृत्यु दर में आई भारी कमी
  • परिवार नियोजन साधनों की बढती डिमांड से परिवार कल्याण कार्यक्रम को मिला बल
  • विवाह की उम्र बढ़ाने, बच्चों के जन्म में अंतर रखने, पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर

लखनऊ, 10 जुलाई-2020 - मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ ही परिवार में खुशहाली लाने के लिए परिवार नियोजन पर जोर देना आज हर किसी के लिए जरूरी हो गया है । इस बारे में समय-समय पर आने वाले आंकड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं कि सकल प्रजनन दर कम होने के साथ ही मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गयी । इसी को ध्यान में रखते हुए परिवार कल्याण कार्यक्रमों के प्रति जनजागरूकता लाने और गर्भ निरोधक साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसँख्या दिवस मनाया जाता है ।

विश्व जनसँख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरे स्थान पर अपना देश है, यही नहीं पूरी दुनिया की 17.7 फीसद आबादी भारत में निवास करती है ।इसमें भी उत्तर प्रदेश,देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है । नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 (2015-16) में सकल प्रजनन दर में 1.1 अंकों की गिरावट दर्ज की गयी । सर्वे के मुताबिक 2005-06 में सकल प्रजनन दर 3.8 थी जो कि 10 साल बाद 2015-16 में 2.7 पर आ गयी । नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक़ इसी अवधि में शिशु मृत्यु दर पर निगाह डालें तो वह 73 से गिरकर 64 प्रति हजार पर पहुँच गयी ।दूसरी ओर एसआरएस 2004-06 की रिपोर्ट देखें तो मातृ मृत्यु दर 440 थी जो कि दस साल बाद 2014-16 की रिपोर्ट में गिरकर 201 प्रति लाख पर पहुँच गयी । यह आंकड़े पूरी तरह स्पष्ट करते हैं कि जच्चा-बच्चा को असमय काल के गाल में जाने से बचाना है तो परिवार नियोजन को अपनाना बहुत जरूरी है । इससे परिवार की खुशहाली भी बढ़ेगी ।

वर्तमान में देश की सकल प्रजनन दर जहाँ 2.2 है वहीँ उत्तर प्रदेश की 2.7 है । यही वृद्धि दर अगर रही तो वर्ष 2028 तक विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा । बढती आबादी प्राकृतिक और आर्थिक संसाधनों पर भी दबाव बढाती जा रही है । इसका असर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सीधे तौर पर पड़ रहा है । इन्हीं बिन्दुओं पर ध्यान देते हुए 11 जुलाई 2017 को प्रदेश में मिशन परिवार विकास कार्यक्रम शुरू किया गया । इसके तहत नवीन गर्भ निरोधन साधन अंतरा और छाया की उपलब्धता ब्लाकस्तरीय चिकित्सा इकाइयों तक उपलब्ध कराने के बाद उप केंद्र स्तर तक चरणबध्द तरीके से सुनिश्चित की जा रही है । “नई पहल” परिवार नियोजन किट आशा कार्यकर्ताओं द्वारा नव विवाहित जोड़ों को 57 जिलों में उपलब्ध कराई जा रही है । गर्भ निरोधक साधन कंडोम की लगातार उपलब्धता बनाए रखने के लिए सभी जिलों के चयनित स्थानों पर कंडोम बाक्स लगाए गए हैं ।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय का कहना है कि प्रदेश में उपलब्ध विकास के संसाधनों का समुचित वितरण और बढती जनसँख्या दर के बीच संतुलन बनाने के लिए जनसँख्या स्थिरीकरण आज के समय की सर्वाधिक आवश्यकता है । इसके लिए सभी सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों में इन सेवाओं व सुविधाओं को प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं ।निजी अस्पतालों को भी हौसला साझीदारी के माध्यम से इस मुहिम से जोड़ा गया है ।

किस पर है जोर :  प्रदेश की सकल प्रजनन दर 2.1 पर लाने और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को गति देने के लिए प्रचार-प्रसार व जागरूकता पर पूरा जोर है। इसके लिए विवाह की उम्र बढ़ाने, बच्चों के जन्म में अंतर रखने, प्रसव पश्चात परिवार नियोजन सेवायें, परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी, गर्भ समापन पश्चात परिवार नियोजन सेवाएं, स्थायी एवं अस्थायी विधियों/सेवाओं और प्रदान की जा रहीं सेवाओं की सेवा केन्द्रों पर उपलब्धता के बारे में जनजागरूकता को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है ।

सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों पर उपलब्ध सेवाएं  :

  • स्थायी विधि- महिला व पुरुष नसबंदी
  • अस्थायी विधि- ओरल पिल्स, निरोध, आईयूसीडी प्रसव पश्चात्/ गर्भ समापन पश्चात् आईयूसीडी, गर्भ निरोधक इंजेक्शन अंतरा व नॉन हार्मोनल साप्ताहिक गोली छाया (सैंटक्रोमान)

विश्व जनसँख्या दिवस की शुरुआत :  विश्व जनसँख्या दिवस के आयोजन पर 11 जुलाई 1987 को दुनिया की आबादी के पांच अरब पहुँचने पर विचार किया गया था । इस दिवस के आयोजन के बारे में विश्व बैंक के सीनियर डेमोग्राफर डॉ. के.सी. जकरिया द्वारा सुझाया गया था । यह आयोजन वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसल द्वारा स्थापित किया गया था । इसी के तहत हर साल 11 से 24 जुलाई तक जनसँख्या स्थिरता पखवारा मनाया जाता है । इसके तहत जनसंख्या वृद्धि संबंधी समस्याओं पर वैश्विक चेतना जगाते हुए जनमानस को जागरूक किया जाता है । प्रदेश सरकार  ने इस वर्ष इस 31 जुलाई तक मनाने का निर्णय लिया है और इस वर्ष की थीम है आपदा में भी परिवार नियोजन की तैयारी, सक्षम राष्ट्र और परिवार की पूरी जिम्मेदारी ।  इस थीम का मुख्य उद्देश्य है कोविड-19 महामारी में भी जनसँख्या स्थिरीकरण के लिए समाज को जागरूक करने के साथ साथ परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति भी प्रदान करना है ।

क्या कहते हैं आंकड़े :

विधि                                                     2017-18                    2018-19                  2019-20

  • पुरुष नसबंदी                                    3884                         3914                       5773
  • महिला नसबंदी                               258182                     281955                     295650
  • पीपीआईयूसीडी                             300035                     305250                      358764
  • अंतरा इंजेक्शन                               23217                     161365                      344532
  • गर्भ निरोधक गोली                          270906                     287849                     4615969
  • नॉन हार्मोनल साप्ताहिक गोली छाया    213327                     260600                      789797