प्राण प्रतिष्ठा के बाद रत्नों के पर्वत पर विराजमान होंगे रामलला



  • सुमेरू पर्वत को काशी में कुशल कारीगारों से कराया गया है तैयार

अयोध्या। आगामी 22 जनवरी को अयोध्या राममंदिर में प्राणप्रतिष्ठा के बाद प्रभु श्रीरामलला को नवरत्नों के सुमेरू पर्वत पर विराजमान कराया जाएगा। इस सुमेरू पर्वत को काशी में कुशल कारीगारों से तैयार कराया गया है। इसके निर्माण में नवरत्नों हीरा, पन्ना, नीलम, मोती, पुखराज, मूंगा, गोमेद, रूबी और लहसुनिया के साथ ही सोना लगाया गया है। सुमेरू पर्वत के साथ सप्तधान्य और सप्तमृतिका भी काशी से आया है।

राममंदिर व रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त निकालने वाले पं. गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ व काशी विद्वत परिषद के पदाधिकारियों से इन सभी वस्तुओं को लेकर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय इसे अयोध्या पहुंचा चुके हैं। काशी विद्वत परिषद ने ही रामलला के विग्रह को नवरत्नों के सुमेरू पर्वत पर विराजमान कराने की सलाह दी थी। बात दे कि सुमेरू पर्वत में दो कैरेट से ऊपर हीरा, सवा नौ रत्ती से ऊपर हीरा, पन्ना, नीलम, मोती, पुखराज, मूंगा, गोमेद, रूबी और लहसुनिया लगा है। जबकि सप्तमृतिका में काशी के देवालयों की मिट्टी, अश्वालय, गोशाला, वेश्यालय, यज्ञशाला, गंगा और खेत की मिट्टी आयी है। सप्तधान्य में सप्तऋषियों के प्रतीक सप्तधान्य में जौ, तिल, चावल, मूंग, कंगनी, चना और गेहूं शामिल है।