यूपी में हर वर्ष 14,700 बच्चे हो रहे कैंसर ग्रस्त



  • बच्चों में होने वाले कैंसर को समझने पर हुई परामर्श कार्यशाला
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और कैनकिड्स किड्सकैन संस्था के सहयोग से हुआ आयोजन

लखनऊ - उत्तर प्रदेश में हर वर्ष 14,700 बच्चे कैंसर ग्रस्त हो रहे हैं। इनमें से मात्र लगभग 30% बच्चे ही कैंसर उपचार केंद्र तक पहुंच पाते हैं। शेष 70% को राज्य के भीतर या बाहर देखभाल तक पहुंच नहीं है। यह कहना है प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा का। प्रमुख सचिव शनिवार को बचपन के कैंसर पर हो रही परामर्शदात्री कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और कैनकिड्स किड्सकैन के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर चाइल्डहुड कैंसर (जीआईसीसी) ने 2030 तक भारत जैसे एलएमआईसी के लिए 60% जीवित रहने की दर का लक्ष्य रखा है। इससे अतिरिक्त 10 लाख लोगों की जान बचाई जा सकेगी। 60% उत्तरजीविता हासिल करने के लिए, भारत को देखभाल तक 100% पहुंच की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि जांच केंद्र बढ़ाने और उन्हें अपग्रेड करने की आवश्यकता है। साथ ही इसका भी प्रयास किया जा रहा है कि मरीज को फालोअप के लिए सीएचसी स्तर पर सुविधा मिल जाए। उन्होंने आयोजन में उपस्थित हेल्थ पार्टनर्स से अपील की है कि प्रयास करें कि मरीजों को आवागमन जैसी सुविधा मुफ़्त में मिल सके।

डॉ. मनोज शुक्ल, महाप्रबंधक, आरबीएसके, एनएचएम ने कहा कि शुरू में हम कैंकिड्स किड्सकैन के सहयोग से स्वास्थ्य टीम को प्रशिक्षित करेंगे। पहले बीमारी को प्राथमिक स्तर पर जांचने के लिए फ्रंट लाइन वर्कर को प्रशिक्षित करेंगे।साथ ही चिकित्सकों को इलाज देने के लिए प्रशिक्षित करेंगे। अभी तो इस बीमारी का इलाज बड़े शहरों तक सीमित है लेकिन हमारा पूरा प्रयास होगा कि मरीज को इलाज के बाद उसके जनपद के नजदीकी जिला अस्पताल या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ही फलोअप की सुविधा मिले।

केजीएमयू की पूर्व डॉ अर्चना कुमार, विभागाध्यक्ष, पीडियाट्रिक हीमेटोलोजी एन्ड ऑनकोलोजी ने पीपीटी के माध्यम से बचपन के कैंसर पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस विषय पर जागरूकता बढ़ानी होगी। पहले परिवार नियोजन शायद उतना प्रभावी नहीं था लेकिन अब तो लगभग सभी एक या दो बच्चे ही रख रहे हैं। इसलिए वह हर हालत में अपने बच्चे को स्वस्थ रखना चाहते हैं।

कैनकिड्स किड्सकैन की अध्यक्ष पूनम बगई ने कहा कि हम कैंसर ग्रस्त बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कैंसर से जूझ रहा हर बच्चा सर्वोत्तम संभव देखभाल व सहायता का हकदार है। अपने सहयोगियों संग मिलकर हम यह सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण प्रयास करेंगे कि कोई भी बच्चा अकेले इस यात्रा का सामना नहीं करे। हमारा लक्ष्य स्पष्ट है कि एक ऐसा भविष्य बनाना जहां बचपन का कैंसर न केवल इलाज योग्य हो बल्कि उसे हराया जा सके, और जहां हर बच्चे की क्षमता इस बीमारी से मुक्त होकर चमक सके। यूपी में, कैनकिड्स किड्सकैन का लक्ष्य अपनी जीवित रहने की दर में सुधार करना है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सा संगठनों के साथ सहयोग करते हैं कि कमजोर बच्चों को दवा, नैदानिक सेवाएं, परामर्श, भोजन, शिक्षा और मनोवैज्ञानिक सहायता मिल सके। हमारे अस्पताल समस्या का समाधान करने में सक्षम हैं। कैनकिड्स ने 2009 से उत्तर प्रदेश में कैंसर से पीड़ित बच्चों और उनके परिवारों की मदद करना शुरू किया और संगठन अब 11 उपचार केंद्रों, तीन देखभाल केंद्रों और एक राज्य देखभाल समन्वय केंद्रों में बाल चिकित्सा ऑन्कोलॉजी देखभाल और सहायता में सुधार के लिए काम कर रहा है। हमारा लक्ष्य 2030 तक 100 प्रतिशत पहुंच और 60 प्रतिशत उत्तरजीविता में सुधार करना है। 2025-26 तक देखभाल तक 50% पहुंच बढ़ाना है।

कार्यशाला में महानिदेशक परिवार कल्याण डॉ.बृजेश राठौड़, महाप्रबंधक डॉ लक्ष्मण सिंह, प्रमुख शहरों के बाल चिकित्सक और हेल्थ पार्टनर्स ने राज्य में बचपन के कैंसर के लिए राज्य कार्य योजना तैयार करने के लिए इनपुट दिया। इस मौके पर कैंसर बीमारी को हरा चुके विजेताओं ने अतिथियों का सम्मान किया।