चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर जाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का सम्मान बढ़ा : कोविंद



  • वर्तमान शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति और संस्कार की है झलक 

कानपुर - चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतर जाने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का सम्मान और ताकत बढ़ गई है। कहने को विदेशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कुछ भी कहें,लेकिन उन्हें पिछड़ जाने का दुख महसूस हो रहा है। वह भारत की सफलता को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। रूस ने हमसे पहले वहां पहुंचने की जो चालाकी की थी वह फेल हो गई हैं।

ये बातें शनिवार को भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कानपुर विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित पं. रामबालक मिश्रा स्मृति समारोह में कहीं। रामकुटी फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित समारोह में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2019 में हरिकोटा से चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण की तैयारी की गई थी। बतौर मुख्य अतिथि उन्हें वहां बुलाया गया था, लेकिन अंतिम समय में कुछ तकनीकी गड़बड़ियों के चलते मिशन रोक दिया गया था। तीन महीने बाद दोबारा इसे लॉन्च किया गया। हालांकि तब यह सफल नहीं हो पाया था। उस बार,जो कमियां रह गई थी उसे दूर का इस बार वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक लैंडिंग कराई है।  

अब काम की रफ्तार ज्यादा तेज : नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि देश में नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। जब इसको बनाया जा रहा था, उस समय पूरे देश से इसके लिए सुझाव मांगे गए थे। आठ से नौ लाख सुझावों के बीच में मुख्य 10 हजार सुझावों को चुनकर नई शिक्षा नीति को तैयार किया गया है।

वर्तमान शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति और संस्कार की झलक देखने को मिलती है। कहा कि देश बदल रहा है पुरानी सरकारों ने भी बहुत काम किया है, लेकिन अब काम की रफ्तार ज्यादा तेज है। भारत इस समय दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उम्मीद है हम आने वाले सालों में दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।

30 हस्तियों को सम्मानित किया : कानपुर से अपने जुड़ाव के बारे में कहा की मर्यादाओं और समय अभाव के चलते मैं कानपुर नहीं आ पाता हूं, तो कानपुर से जुड़े लोग मुझसे मिलने दिल्ली पहुंच ही जाते हैं। उन्होंने पंडित रामबालक मिश्रा से जुड़े कई संस्मरण भी साझा किया। समारोह में चिकित्सा, शिक्षा, उद्यम और समाज सेवा के क्षेत्र की 30 हस्तियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।