शहरी क्षेत्रों में अब रविवार को भी नियमित टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध



  • जनवरी से शुरु हुई इस पहल अब तक 8.5 लाख बच्चों को किया जा चुका है प्रतिरक्षित

लखनऊ - नवजात एवं बाल रुग्णता और मृत्यु दर में कमी लाने में नियमित टीकाकरण की अहम भूमिका है। नियमित टीकाकरण बच्चों के जीवन और भविष्य की सुरक्षा के लिए सबसे प्रभावी और किफायती तरीकों में से एक है। शून्य से  पाँच साल तक की आयु के बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों, तथा कुपोषण से बचाने के लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओ और 16 वर्ष तक के किशोर तथा किशोरियों को टिटनस और डिप्थीरिया का टीका लगाया जाता है।

राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि अब तक नियमित टीकाकरण के अंतर्गत बुधवार और शनिवार के दिन टीकाकरण किया जाता रहा है, लेकिन गौरतलब है कि जनवरी माह से शहरी क्षेत्रों में यह सुविधा सोमवार को छोड़कर, सप्ताह के सभी दिनों पर करायी जा रही है। इसके साथ ही अब रविवार के दिन भी अभिभावक निकटतम स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर अपने बच्चे का प्रतिरक्षित करवा सकते हैं। शहरी क्षेत्रों में बहुत से अभिभावक कार्यालय जाने के कारण या अन्य किसी वजह से कार्यदिवसों पर बच्चे का टीकाकरण नहीं करा पाते हैं, ऐसे में वह अवकाश के दिन निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर बच्चे का टीकाकरण करा सकते हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रो में टीकाकरण के अच्छादन को बढ़ाना है। प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 740 सत्र आयोजित किये जा रहे है जिसके अंतर्गत अभी तक लगभग 8.5 लाख बच्चों को प्रतिरक्षित किया गया है।

नियमित टीकाकरण का ही परिणाम है कि साल 2014 और साल 2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देश को क्रमशः पोलियो और नवजात टिटेनस से मुक्त घोषित कर दिया है।

राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य  सर्वेक्षण -5 के अनुसार प्रदेश में 12 से 23 माह के लगभग 69.6 फीसद बच्चों का टीकाकरण हुआ है। शहरी क्षेत्रों में नियमित टीकाकरण कि प्रगति ग्रामीण की अपेक्षा कम है| शहरी क्षेत्र में 67.2 और ग्रामीण क्षेत्रों में 70.3 फीसद है।

बच्चों को पाँच साल में सात बार टीबी, पोलियो, काली खांसी, गलघोंटू, खसरा, हिपेटाइटिस बी, टिटेनस, निमोनिया, वायरल डायरिया, दिमागी बुखार और रुबेला आदि बीमारियों से बचाव के टीके लगाये जाते हैं।