नवजात को छह महीने तक दें सिर्फ माँ का दूध



  • माँ के दूध में होता है पर्याप्त पानी
  • डायरिया और पीलिया जैसी बीमारियों से होता है बचाव
  • सूबे में चल रहा नो वाटर, ओनली ब्रेस्ट फीडिंगअभियान

लखनऊ - तेज धूप और गर्मी के चलते हर व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा  पानी और पेय पदार्थों का सेवन करता है जिससे कि उसके शरीर में पानी की कमी न होने पाए लेकिन नवजात के मामलें में यह सही नहीं है। नवजात को गर्मी के मौसम में भी ऊपर से पानी पिलाने की जरूरत नहीं है क्योंकि माँ के दूध में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है – यह कहना है एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. पियाली भट्टाचार्य का।

डा. पियाली बताती हैं कि ऊपर से पानी देने में बच्चे में डायरिया या जलजनित बीमारी जैसे पीलिया या अन्य किसी तरह के संक्रमण की संभावना हो सकती है। ऐसे में बच्चा कमजोर हो सकता है और  यदि बच्चा कमजोर है तो वह बार-बार बीमार पड़ सकता है।

डा. पियाली बताती हैं कि माँ के दूध में रोग प्रतिरोधक, एवं पोषक तत्व उचित मात्रा में होते हैं जो शिशु को स्वस्थ एवं बुद्धिमान बनाने में सहायक होते हैं।  माँ के दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व की उपलब्धता डिब्बाबंद दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्वों से अधिक होती है।

नवजात को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान शुरू कर देना चाहिए। माँ का पहला गाढ़ा व पीला दूध जिसे कोलस्ट्रम या खीस कहते हैं यह जरूर से जरूर नवजात को देना चाहिए क्योंकि यह अत्यंत पोषक एवं रोग निवारक होता है। यह नवजात के लिए पहला टीकाकरण जैसा है।

डा. पियाली ने बताया कि समुदाय को इस संबंध में जागरूक करने के उद्देश्य से पूरे प्रदेश में नो वाटर, ओनली ब्रेस्ट फीडिंग” अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता समुदाय को जागरुक कर रही हैं कि नवजात को मई और जून माह में पीने के लिए पानी न दें केवल स्तनपान कराएं।