गर्भवती की सही देखभाल से माँ-बच्चा दोनों होंगे खुशहाल



  • सुरक्षित राष्ट्रीय मातृत्व दिवस(11 अप्रैल) पर विशेष

हरदोई - सुरक्षित मातृत्व के लिए जरूरी है कि गर्भधारण के साथ ही गर्भवती का पूरा ख्याल रखा जाए ताकि वह सुरक्षित प्रसव के साथ ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके | इसके साथ ही जन्म के 42 दिन तक गर्भवती और शिशु का खास ख्याल रखा जाना चाहिए क्योंकि इस दौरान की गयी कोई भी लापरवाही गंभीर रूप ले सकती है। इस बारे में जागरूकता के लिए ही हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश कुमार तिवारी बताते हैं  गर्भधारण करते ही महिला का शीघ्र पंजीयन, उसकी प्रसव पूर्व जाँचें, स्वास्थ्य एवं पौष्टिक पदार्थों के सेवन संबंधी सलाह, टीकाकरण, गर्भावस्था के दौरान खतरे के लक्षणों, बच्चे की देखभाल, संस्थागत सुरक्षित प्रसव और प्रसव पश्चात माँ और बच्चे की देखभाल का जिम्मा सरकार उठाती है।

इस  क्रम में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना(पीएमएमवीवाई) के तहत गर्भधारण करते ही पोषण के लिए महिला का पंजीयन किया जाता है। वहीं उच्च जोखिम की गर्भावस्था की जल्द से जल्द पहचान कर उसका प्रबंधन करने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान(पीएमएसएमए) हर माह की नौ और 24 तारीख को मनाया जाता है | इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना चल रही है। इसके साथ ही जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं और प्रसव के लिए अस्पताल  आने और वापिस घर जाने के लिए 102 एम्बुलेंस की सुविधा है। साथ ही  प्रसव के समय निशुल्क दवाएं, भोजन और रक्त की आवश्यकता पड़ने पर उसकी भी उपलब्धता सरकार सुनिश्चित कराती है। प्रसव पश्चात माँ और बच्चे में जटिलता आने पर उसके इलाज की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग उठाता है।

प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी डा. सुशील कुमार ने बताया कि  स्वास्थ्य केंद्रों और  ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के माध्यम से गर्भवती की प्रसवपूर्व जाँचे,  देखभाल, पौष्टिक आहार, बच्चे की देखभाल और शीघ्र और केवल स्तनपान के बारे में सलाह दी जाती है। आयरन और फोलिक एसिड (आईएफ़ए ) की गोलियां, टिटेनस व वयस्क डिप्थीरिया( टीडी) के दो टीके गर्भवती को तथा नवजात को पोलियो, बीसीजी और हिपेटाइटिस बी के टीके लगाए जाते हैं। सभी जाँचों, गर्भवती और बच्चे के टीकाकरण का सारा विवरण मातृ शिशु सुरक्षा(एमसीपी) कार्ड में अंकित किया जाता है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवती और धात्री को पौष्टिक आहार भी दिया जाता है।

मातृ मृत्यु की स्थिति में ऑडिट कर मृत्यु के कारणों का पता लगाया जाता है और आगे की आवश्यक कार्यवाही की जाती है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी इंद्रभूषण सिंह ने बताया कि जनपद में सुरक्षित प्रसव की सुविधा जिला महिला अस्पताल, 100 बेड वाले संयुक्त अस्पताल,  सभी 21 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, 18 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, एवं 26 उपकेन्द्रों पर उपलब्ध है। सिजेरियन की सुविधा जिला महिला अस्पताल, 100 शैया संयुक्त अस्पताल, पिहानी, बिलग्राम और संडीला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(सीएचसी) पर उपलब्ध है।

मुख्य चिकित्सा आधिकारी  का कहना है कि हमारा प्रयास है कि हर महिला को सुरक्षित और सम्मानजनक मातृत्व का अधिकार मिले। इससे संबंधित सभी सुविधाएं दी जा रही हैं।

क्या कहते हैं आँकड़े :राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)  – 5 के अनुसार, पहली तिमाही में 68 फीसद महिलाओं ने कम से कम एक प्रसवपूर्व जांच कराई जबकि एनएफएचएस – 4 में यह आंकड़ा 21.8 फीसद था। इसी तरह एनएफएचएस - 5  में लगभग 40 फीसद महिलाओं ने चार प्रसव पूर्व जाँच करायीं जबकि एनएफएचएस-4 में यही आंकड़ा 10  फीसद था। संस्थागत प्रसव की बात करें तो एनएफएचएस - 5  में यह आंकड़ा 74 फीसद है जबकि एनएफएचएस-4 में 65.4 फीसद था।