अब 15 माह तक के बच्चों की देखभाल करेंगी आशा, दिया गया प्रशिक्षण ,8 ब्लॉक के 24 प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षण में लिया भाग



लखनऊ, 14 जून, 2019-अभी तक होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर के तहत आशा 42 दिन तक 6-7 बार नवजात शिशुओं एवं धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए गृह भ्रमण के लिए जाती थीं |अब आशाएँ नवजात के साथ बच्चों को बीमारियों तथा कुपोषण से बचाने के लिए 15 महीने तक पाँच अतिरिक्त गृह भ्रमण करेंगी |यह व्यवस्था भारत सरकार की ओर से चलाये गए होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड कार्यक्रम के तहत की गयी है | यह कार्यक्रम होम बेस्ड न्यू बोर्न केयर का विस्तार है |यह गृह भ्रमण शिशु की आयु 3,6,9,12 एवं 15 महीने होने पर की जाएगी | यह बातें मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने आयोजित पाँच दिवसीय होम बेस्ड केयर फॉर यंग चाइल्ड कार्यक्रम के समापन अवसर पर शुक्रवार को कहीं | इसमें कुल 24 प्रशिक्षकों  ने प्रशिक्षण लिया |


जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी एवं प्रशिक्षक योगेश रघुवंशी ने बतायाइस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बाल मृत्यु दर और बीमारियों को कम करना, छोटे बच्चों के पोषण संबंधी स्थिति में सुधार लाना व सही और आरंभिक बाल विकास को सुनिश्चित करना | अतः पोषण, बाल विकास, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के लिए लोगों को जागरूक करने एवं व्यवहार परिवर्तन के उद्देश्य से आशा द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से 3महीने -15 महीने तक शिशु के घर 5 बार गृह भ्रमण किया जाएगा |उन्होने बताया 3-5 माह के बच्चों को केवल स्तनपान नहीं कराया जा रहा है तथा 6 माह के बाद समय पर पूरक पोषाहार बच्चों को नहीं दिया जा रहा है | अतः इस कमी को दूर करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम को शुरू किया गया | आशाओं को इस कार्यक्रम के तहत पाँच दौरों के लिए आशा को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा 250 रूपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है |


राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रक्रिया प्रबंधक ( डीसीपीएम) एवं प्रशिक्षक विष्णु प्रताप ने बतायाबच्चों के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा महिला और बाल विकास विभाग के द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों में आशा की सहभागिता को बढ़ाना इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता है |इसके अतिरिक्त लोगों में लैंगिक भेदभाव के प्रति व्यवहार परिवर्तन करने के हेतु प्रयास करना |


डॉ. रुखसाना ने बताया आशा गृह भ्रमण के दौरान टीकाकरण, बच्चों के विकास की लगातार निगरानी, डायरिया के दौरान मौखिक निर्जलीकरण घोल (ओआरएस) का उचित उपयोग करना तथा बच्चे के बीमार होने पर समय पर व प्रशिक्षित डॉक्टर से उसका इलाज करायेँ इस हेतु लोगों को जागरूक करना व उनके व्यवहार परिवर्तन के लिए प्रयास करना |


प्रशिक्षक सदिया ने बताया कि बच्चे का विकास सही हो रहा है या नहीं यह तभी पता लग सकता है जब वह सही तरह से खाये पीये व उसके वजन में नियमित रूप से वृद्धि हो इस के लिए आशा द्वारा नियमित रूप से बच्चे का वजन लेना चाहिए तथा परिवार वालों को भी इसके लिए प्रेरित करें | ओआरएस डायरिया के दौरान शरीर में होने वाले पानी कि कमी को पूरा करता है |


प्रशिक्षण के अंत में मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए |