नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे (30 जनवरी) पर विशेष



  • समुदाय में जागरूकता लाएं, उपेक्षित बीमारियों पर काबू पाएं
  • इन बीमारियों के उन्मूलन के प्रति विश्व की प्रतिबद्धता को दर्शाता है एनटीडी दिवस
  • गोष्ठी के माध्यम से करेंगे जागरूक, होंगे हस्ताक्षर अभियान

कानपुर नगर -  फाइलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया, कुष्ठ रोग जैसी उपेक्षित बीमारियों (नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज) को खत्म करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से दृढ़ संकल्प है। आमजन को इन बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए ही हर साल 30 जनवरी को पूरे विश्व में एनटीडी दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में हर 5 में से 1 व्यक्ति एनटीडी से ग्रसित हैं। वर्ष 2020 में विश्व को इन बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए पहली बार विश्व एनटीडी दिवस मनाया गया था । ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 16 उपेक्षित बीमारियों में से 11 भारत में पाई जाती हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने बताया की एनटीडी जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है जो अधिकतर सबसे गरीब सबसे कमजोर आबादी को प्रभावित करता है। एनटीडी में लिम्फैटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) विसेरल लीशमैनियासिस ;कालाजार, लेप्रोसी (कुष्ठरोग), डेंगू, चिकुनगुनिया, सर्पदंश, रेबीज़ जैसे 16 रोग शामिल होते हैं, जिनकी रोकथाम संभव है मगर फिर भी पूरी दुनिया में हर साल  बहुत सारे लोग इन रोगों से प्रभावित हो जाते हैं । संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ सुबोध प्रकाश बताते हैं की एनटीडी रोगों को नेग्लेक्टेड यानि उपेक्षित समझा जाता है मगर अब इन पर स्पॉटलाइट लाने का समय है । विश्व एनटीडी दिवस के अवसर पर एनटीडी के पूर्ण उन्मूलन के लिए सामुदायिक सहभागिता से कार्य किया जाये ताकि एक स्वस्थ समाज और देश का निर्माण हो सके।

जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह बताते हैं इन बीमारियों में फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को जीवन भर के लिए दिव्यांग तक बना देती है। मच्छर के काटने से फैलने वाली इस बीमारी के लक्षण आने में पांच से 15 साल भी लग सकते हैं। इसका कोई कारगर इलाज भी नहीं है, इसलिए बचाव में ही हर किसी की सुरक्षा निहित है। इसीलिए एमडीए राउंड के तहत साल में एक बार घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाती है। अब हमारी बड़ी जिम्मेदारी बन जाती है कि जब इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है तो साल में एक बार दवा सेवन कर खुद को और आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित बनाया जाए।

उन्होंने कहा कि इन उपेक्षित बीमारियों के उन्मूलन में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कार्य करने में जनपद की विभिन्न संस्थाएं भी पूरी तत्परता से जुटी हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य विभाग के मार्गदर्शन में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) द्वारा लम्बे समय से समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़े फाइलेरिया मरीजों का नेटवर्क और पेशेंट सपोर्ट ग्रुप तैयार किया है। इस पहल से मरीजों को एक प्लेटफार्म मिला है जहाँ पर आपस में मिल बैठकर वह इन बीमारियों से समाज को सुरक्षित बनाने के लिए जागरूकता पर भी जोर दे रहे हैं। उन्होंने बताया की सोमवार को मां कांशीराम जिला संयुक्त चिकित्सालय में एनटीडी दिवस पर गोष्ठी होगी और हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा।