अब हर 15 को मनेगा एकीकृत निक्षय दिवस



  • टीबी संग कुष्ठ रोग, फाइलेरिया व कालाजार का भी होगा इलाज
  • रविवार के कारण इस बार 16 को मनेगा एकीकृत निक्षय दिवस

लखनऊ - अब हर 15 तारीख को निक्षय दिवस की जगह एकीकृत निक्षय दिवस मनाया जाएगा। इसमें एक ही छत के नीचे क्षय रोग के साथ साथ कुष्ठ रोग, फाइलेरिया और कालाजार के मरीजों का इलाज हो सकेगा। इस बार 15  तारीख को रविवार होने के कारण सोमवार (16 जनवरी) को “एकीकृत निक्षय दिवस” मनाया जाएगा।

जिला क्षय रोग  अधिकारी डा. आर. वी.सिंह  बताया कि शासन की ओर से जारी पत्र में निर्देशित किया गया है कि जिस तरह पहले हर 15 तारीख को निक्षय दिवस के अवसर पर क्षय रोगियों को चिन्हित कर जांच और इलाज की प्रक्रिया पूरी की जाती थी। इसी तरह अब इस दिवस को एकीकृत निक्षय दिवस के रूप में मनाते हुए क्षय रोग के साथ कुष्ठ रोग, फाइलेरिया और कालाजार के मरीजों पर यही व्यवस्था लागू होगी । एकीकृत निक्षय दिवस के अवसर पर ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या के सापेक्ष 10 फीसद मरीजों की बलगम की जांच सुनिश्चित की जाएगी तथा कुष्ठ, फाइलेरिया एवं काला-जार मरीजों की लक्षणों के आधार पर जांच की जायेगी।

जिला क्षय रोग  अधिकारी ने कहा कि आशा कार्यकर्ता गृह भमण के दौरान टीबी, कुष्ठ, फाइलेरिया और काला जार के बारे में समुदाय को जागरूक कर रही हैं  ताकि वह स्वास्थ्य केंद्रों पर जाकर इन बीमारियों से बचाव व उपचार का लाभ ले सकें। साथ ही वह संभावित टीबी कुष्ठ, फाइलेरिया और काला जार के रोगियों की सूची भी बना रही हैं जिन्हें वह एकीकृत निक्षय दिवस पर निकटतम आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लेकर आएंगी । सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) द्वारा उपरोक्त बीमारियों की प्रारम्भिक जांच – डायबिटीज, एचआईवी व अन्य जाँचें की जाएंगी। इसके साथ ही बलगम का नमूना लेंगे। उसे निक्षय पोर्टल पर प्रीसंप्टिव आईडी बनाते हुए नजदीकी टीबी जांच केंद्र पर भेज जाएगा। सीएचओ जांच में टीबी कुष्ठ, फाइलेरिया और काला जार की पुष्टि वाले मरीजों के परिवार के अन्य सदस्यों की भी स्क्रीनिंग करेंगे ।  हाथ पाँव ( फाइलेरिया) के चिन्हित मरीजों को प्राथमिक उपचार के साथ रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यअङ्गता उपचार(एमएमडीपी) किट के वितरण एवं इसके उपयोग के बारे में जानकारी देंगे । हाइड्रोसील एवं संभवत काला-जार और कुष्ठ रोगियों की सूची बनाकर उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) रेफ़र करेंगे।

इस दिवस को मनाने के पीछे उद्देश्य है कि मरीज का चिन्हांकन, जांच और इलाज एक ही दिन में शुरू हो। गौरतलब है कि कुष्ठ रोग और फाइलेरिया साल 2030 और क्षय रोग को वर्ष 2025 तक प्रदेश से समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित है। वहीं कालाजार उन्मूलन इसी वर्ष यानि 2023 तक खत्म करने का लक्ष्य तय है। जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि क्षय रोगियों को जांच और इलाज के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से पोषण सामग्री और भावनात्मक सहयोग दिया जा रहा है | इसके साथ ही क्षय रोगियों को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण लिए 500 रुपये की धनराशि उनके खाते में दी जा रही है ।