आयुष्मान के तहत कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने को आगे आयें विशेषज्ञ : संगीता सिंह



  • स्क्रीनिंग बढ़ाकर रोक सकते हैं स्तन कैंसर के मामले : डॉ. पुरी
  • साचीज के तत्वावधान में एक्सेस हेल्थ, केजीएमयू व रोश इण्डिया के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में कैंसर विशेषज्ञों का जमावड़ा

लखनऊ - आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्तन कैंसर की जाँच, इलाज और देखभाल से जुड़े अस्पतालों के क्षमतावर्धन और मानक को मजबूत बनाने पर शुक्रवार को केजीएमयू के शताब्दी फेज-2 सभागार में प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित हुई। स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रेहेंसिव हेल्थ एंड इंटिग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) के तत्वावधान में आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला को टेक्निकल पार्टनर एक्सेस हेल्थ, केजीएमयू और रोश इण्डिया हेल्थकेयर इंस्टीटयूट ने सहयोग प्रदान किया।

कार्यशाला में साचीज की सीईओ संगीता सिंह ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत देश में पहली बार इतने बड़े पैमाने कैंसर विशेषज्ञों की कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इससे कैंसर के इलाज को गुणवत्तापूर्ण बनाने में बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने कार्यशाला में उपस्थित कैंसर विशेषज्ञों से आह्वान किया कि वह अपने बहुमूल्य सुझाव देकर योजना को और प्रभावी बनाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि योजना के तहत प्रदेश में पिछले चार साल में 16 लाख से अधिक लोगों ने चिकित्सा का लाभ उठाया है। उन्होंने कैंसर की स्क्रीनिंग बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि योजना के शुरू होने से पहले महिलाओं को स्तन कैंसर का समुचित इलाज नहीं मिल पाता था क्योंकि सर्जरी कराने की उनकी क्षमता नहीं होती थी। अब आयुष्मान योजना के तहत बिना किसी खर्च के सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केजीएमयू के कुलपति ले. जन. (डॉ.) बिपिन पुरी ने कहा कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में स्तन कैंसर के मामले कम हैं लेकिन देश में मृत्यु दर अधिक है। इसका प्रमुख कारण समय से कैंसर की स्क्रीनिंग का न हो पाना है। उन्होंने कहा कि कैंसर स्क्रीनिंग को जमीनी स्तर पर अभी और बढ़ाने की जरूरत है। यदि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर कैंसर के शुरूआती लक्षणों की पहचान हो जाए तो देश-प्रदेश में कैंसर पर काबू पाने में सफल हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि कैंसर का मरीज शारीरिक कष्ट के साथ ही मानसिक और आर्थिक कष्ट का भी सामना कर रहा होता है, ऐसे में मरीज को यदि घर पर ही परामर्श व देखभाल की व्यवस्था उपलब्ध करायी जाए तो उनकी बड़ी मदद हो सकेगी। केजीएमयू टेली रेडियोलाजी के जरिये ऐसे मरीजों तक पहुँचने की कोशिश में है, ताकि फालोअप के लिए मरीज दौड़भाग से बच सकें। उन्होंने कहा कि केजीएमयू में हर साल स्तन कैंसर के करीब 600 मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है। कार्यशाला में योजना से जुड़े अस्पतालों के कैंसर विशेषज्ञों ने स्तन कैंसर की जाँच, इलाज व देखभाल से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की।  

इस मौके पर रोश इण्डिया के चीफ मेडिकल आफिसर डॉ. विराज सुवर्णा ने कहा कि उनका संस्थान कैंसर की जांच, इलाज और देखभाल को और बेहतर बनाने को लेकर बराबर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि स्त्री रोग विशेषज्ञों और फेफड़ों के इलाज से जुड़े चिकित्सकों के साथ भी कार्यशाला करने की उनकी योजना है, यह तो अभी शुरुआत है। कार्यशाला में केजीएमयू के एंडोक्राइन एंड ब्रेस्ट डिजीज के प्रोफ़ेसर एंड हेड डॉ. आनंद मिश्रा ने स्तन कैंसर की शीघ्र जांच और सर्जरी की जरूरत के बारे में चिकित्सकों को महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यशाला को राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्युट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज के डॉ. मधुप रस्तोगी, एसजीपीजीआई के डॉ. गौरव अग्रवाल और केजीएमयू की डॉ. ईशा जफा ने भी संबोधित किया।  

कार्यशाला में केजीएमयू के हेमेटोलाजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ए. के. त्रिपाठी और विभिन्न जिलों के कैंसर चिकित्सक उपस्थित रहे। कार्यशाला के अंत में सवाल-जवाब के लिए खुला सत्र आयोजित किया गया। कार्यशाला से बड़ी संख्या में लोग ऑनलाइन भी जुड़े। कार्यक्रम का संचालन एक्सेस हेल्थ इंटरनेशनल की स्टेट डायरेक्टर मनीषा त्रिपाठी ने किया।