शुभ और प्रियांश अब खुद के पैर से नाप सकेंगे दुनिया



  • आरबीएसके के तहत मुफ्त इलाज से ठीक हो रहे बच्चों के टेढ़े-मेढ़े पैर
  • जिला अस्पताल में मिल रहा क्लबफुट के बच्चों को उपचार
  • आरबीएसके व अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से चल रहा क्लबफुट क्लीनिक

कानपुर नगर - ब्लाक पतारा के हुसंगापुर गांव में मजदूरी करके परिवार पाल रहे अरविन्द संखवार बताते हैं कि इसी मई में उनको बेटा शुभ हुआ। जन्म से ही उसके दोनों पंजे मुड़े हुए थे। यह देखकर हम सब बहुत दुखी हुए। पैसा खर्च कर इलाज करवाने की हमारी हैसियत नहीं थी। इसी बीच घर आई आरबीएसके टीम ने बताया कि जिला अस्पताल में यह इलाज मुफ़्त हो सकता है। फिर जिला अस्पताल में जांच के बाद डॉक्टर ने बेटी के बिल्कुल ठीक हो जाने की बात कही तो लगा कि भगवान ने फरिश्ता भेजकर उनकी मदद की है। बेटे को मिले निशुल्क उपचार से वह अब बिल्कुल ठीक और स्वस्थ्य है। इसी तरह मोमिनपुर गांव के रहने वाले राजेश कुमार ने बताया कि इस वर्ष 21 सितम्बर को उनके घर पुत्र (प्रियांश) आगमन हुआ। डॉक्टर ने नवजात को क्लब फुट से पीड़ित बताया तो खुशी काफूर हो गई। लेकिन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम ने बच्चे की स्क्रीनिंग कर उसे जिला अस्पताल में संचालित क्लब फुट क्लीनिक भेजा। 15 अक्टूबर को प्रियांश के पैरों में प्लास्टर चढ़ाया गया। अब तक चार बार प्लास्टर चढ़ाया जा चुका है। अब ऑपरेशन के लिये डॉक्टर ने अगले हफ्ते बुलाया है।

आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह बताते हैं कि हमारी टीम आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों में जाकर बच्चों की स्क्रीनिंग करती है। बच्चों को चिन्हित कर जिला अस्पताल में इलाज के लिए भेजती है। इसके लिए सभी ब्लाकों में टीम लगी हुई है। जिला अस्पताल उर्सला में आरबीएसके और अनुष्का फाउंडेशन संस्था के सहयोग से एक क्लिनिक चलाया जा रहा है। यहां पर डॉक्टरों की टीम जन्मजात पैर मुड़े बच्चों का सफल इलाज कर रही है।

अनुष्का फाउंडेशन संस्था के जिला समन्वयक आशीष मिश्रा बताते हैं कि जागरूकता के अभाव के कारण आसानी से सही होने वाली यह विकृति स्थाई दिव्यांगता का कारण बन जाती हैं। ऐसे में बच्चों का जितनी जल्दी हो सके उपचार कराया जाना चाहिए। उन्होनें कहा कि उपचार,सहायता या परामर्श के लिए मोबाइल नंबर- 7208820487 पर संपर्क कर सकते हैं। जिला अस्पताल में प्रत्येक शनिवार को ऐसे बच्चों का स्क्रीनिंग व इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 जनवरी  से अब तक 40 से अधिक बच्चों का इलाज कर उन्हें ठीक किया जा चुका है।

जल्द से जल्द इलाज शुरू करना बेहतर : जिला अस्पताल के आर्थाेपैथिक सर्जन  डॉ राजेश बाजपेयी बताते हैं कि पैदा होने के बाद अमूमन जन्म के एक सप्ताह बाद बच्चे का इलाज शुरू किया जा सकता है। बच्चों का इलाज पोंसेटि विधि द्वारा किया जाता है जिसमें रोग की गम्भीरता के हिसाब से कुछ (4-6) प्लास्टर लगाने के बाद एक छोटा सा ऑपरेशन किया जाता है। इसके बाद पैर पूरी तरह ठीक हो जाता है। रोग दोबारा ना हो इससे बचाने के लिए कुछ समय तक बच्चों को विशेष प्रकार के जूते पहनने होते हैं जो अनुष्का फाउंडेशन संस्था द्वारा निशुल्क उप्लब्ध कराए जाते हैं।